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राजस्थान के जन कवि और उनकी रचनाएँ
यह रचना भी शास्त्र भंडार जैन मन्दिर पाटोदी मे अन्तिम दिनो में ये कामां चले गये थे। प्रथम हेमराज के सुरक्षित है। 'प्रवचनसार भाषा' कवि की प्राध्यात्मिक नाम से निम्नलिखित रचनाए मिलती हैरचना है। इसमें कवि ने अपने प्राध्यात्मिक भावों को १. प्रवचन सार भाषा' (माघ शुक्ला ५ स. १७०६) प्रवचनसार के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया २. चौरासीबोल है। सर्वप्रथम पाण्डे हेमराज ने इसकी वचनिका की थी।
३. नय चक्र भाषा' (फाल्गुन शु. १० सं. १७२६) उसी के प्राधार पर कवि ने साहित्य जगत् को एक पद्य
४. गोम्मटसार कर्मप्रकृति (१७२०) मय रचना और भेट कर दी। इसका पूरा इतिहास कवि
५. द्रव्य संग्रह भाषा (माघ शु. १० सं. १७३१) ने स्वयं ही लिख दिया है।
६. भक्तामर स्तोत्र भाषा __ जोधराज की 'ज्ञानसमुद्र' तथा धर्मसरोवर नामक
७ परमात्म प्रकाश। दोनों कृतियां मौलिक है और दोनों ही नीति प्रधान है।
८. गणितसार। इनको छद सख्या क्रमश: १४७ और ३८७ है । धर्म सगे.
६. दोहाशतक।
१०. हितोपदेश बावनो। वर की रचना स० १७२४ के प्राषाढ़ माह की है। यह ग्रंथ बाबा दुलीचन्द्र के शास्त्र भडार में उपलब्ध है । इस
११. साधु की प्रारती ।
पाण्डे हेमराज उत्कृष्ट कोटि के कवि थे। इनका ग्रंथ में नामबद्ध, धनुषबद्ध, तथा चक्रबद्ध कवितापो के
'चौगसीवोल' छंदोबद्ध काव्य है। इन्होने शार्दूल विक्रो चित्र भी है। इन दोनों ग्रन्थो मे दोहा, सोरठा, चौपाई,
डित, छापय और सर्वया छदों में सुन्दर भावो को अभिसर्वया, गाहा, छप्पय कवित्त आदि छदो का बाहुल्य है।
व्यक्त किया है। इन का दोहा शतक भी श्रेष्ठ काव्य है । (२) हेमराज
इसमे अधिकाशतः नीतिपरक दोहे है। इसकी समाप्ति हेमराज नाम के दो जैन विद्वान हुए है। एक पाडे
कार्तिक सुदि ५ सवत् १७२५ मे हुई। इनकी कविता हेमराज जो संस्कृत प्राकृत के अच्छे विद्वान और कवि थे।
१. यह कृति शास्त्र भंडार, जैन मन्दिर पाटोदी मे उपपौर दूसरे हेमराज गोदिका, इनका जन्म सत्रहवी शताब्दी र
लब्ध है। में सांगानेर (जयपुर) मे हुअा था। अपने जीवन के .
२. हिन्दी जैन माहित्य परिशीलन-नेमिचन्द जैन पृ० १. मूल ग्रंथ करता भये, कुंद कुंद मुनिराय ।
२२३ ।
३. बाबा दुलीचन्द शास्त्र भंडार, वै० सह १३४ पर तिन प्राकृत गाथा करी, प्रथम महासुख पाय ।।
उपलब्ध है। तिन ऊपर टीका करी, अमृत चन्द्र सुखरूप।
४. जैन मन्दिर पाटोदी के वे० स०१३ पर उपलब्ध है। ससकृत प्रति सुगम, पडित पूज्य अनूप ॥ ५. शास्त्र भंडार, गोधो का मन्दिर के वै० सं० ७३३ ता टीका कौं देखिक, हेमराज सुखधाम ।
पर उपलब्ध है। करी वर्गानका अति सुगम, तत्वदीपिका नाम ।। ६. भामेर शास्त्र भडार के वे०स० १५५० पर है। देख वनिका हरिषियो. जोधराज कवि नाम । ७. शास्त्र भडार जैन मन्दिर पाटोदी के वे० सं०१०५ तब मन मे इह धारि के, किये कवित्त सुखधाम ।।
पर है।
-प्रवचनसार प्रशस्ति ८. प्रामेर शास्त्र भडार मे है। २. संवत सत्रह से अधिक, है चोईस सुजानि ।
६. दोहाशतक दोहा सख्या १०२ । सुदि पून्यो प्राषाढ़ की, कियो प्रथ सुखदानि ।।३८५॥
यह प्रथम हेमराज अग्रवाल की रचना नहीं है,
-धर्म सरोवर किन्तु द्वितीय हेमराज गोदिका की रचना है। इसी ३. राजस्थान के जैन भडारो की सूची-डा. कासलीवाल तरह गणितसार द्रव्यसग्रह भाषा, हितोपदेश बावनी, ४. दोहा शतक-दोहा संख्या ६८, ९६ (हेमराज)
साधु की प्रारती तथा नयचक भाषा भी इनकी कृति ५. वही, दोहा संख्या १००।
नही है।
-सम्पादक