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________________ वैशालो गणतंत्र का अध्यक्ष राजा चेटक का राजा चेटक हैहय फूल में उत्पन्न हुमा'। उनकी साध्वी, पतिव्रता और विदूपी थी। उसमे दश पुत्र मोर भिन्न-भिन्न गनियो से सात पुत्रियाँ उत्पन्न हुई। प्रभा- सात पुत्रिया उत्पन्न हुई थी। घनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र, बनी, पावती, मुगावती, शिवा, प्ठा, सुज्येष्ठ पौर सुदत, सिंहभद्र, सुकम्भोज, प्रकम्पन पतगक, प्रभंजन चेनणा। इनमें से प्रभावती वीतभय के राजा 'उदायन और प्रभास नाम के दश पुत्र थे। प्रियकारिणी (त्रिको, पपावती चम्पा के राजा दधिवाहन को, मृगावती को- शिला) सुप्रभा, प्रभावती, मगावती, चेननी, ज्येष्ठा मोर शाम्बी के शासक राजा शतानीक को, शिवा उज्जैनी के चन्दना नाम की सात पुत्रियां उत्पन्न हुई थीं। जिनमे शासक प्रद्योत (महासेन) को मोर ज्येष्ठा कुण्ड ग्राम में प्रियकारिणी (त्रिशना) विदेह देशस्थ कुण्डपुर नगर के वर्षमान स्वामी के बड़े भाई नन्दिवन को विवाही गई। णात, नात, जात, णाह या नाथव शी राजा सिद्धार्थ को सुज्येष्ठा और चेलना तब तक कुमारी ही थी। विवाही थी, जिससे भगवान महावीर का जन्म हुमा था। दिगम्बर परम्परा में राजा चेटक वैशाली गणतन्त्र सुप्रभा दशाणं देशस्थ हेमकक्ष नगर के सर्यवंशी राजाका. का अध्यक्ष था। वह धर्मनिष्ठ, राजनीतिज्ञ, कर्तव्यनिष्ठ, रथ को विवाही थी। प्रभावती का विवाह कच्छ देशके वीर, पराक्रमी और उदार विचारो का व्यक्ति था। रोरुकनगर के राजा उदयन या उहायण से हपा था। जिनेन्द्रभक्त और प्रतिशय विनीत एवं श्रावकोचित षट- शीलवन का दृढ़ता से पालन करने के कारण प्रभावती कोका सम्पालक था। चेटक के पिता का नाम कोशिक का अपर नाम 'शीतवती' प्रसिद्ध हो गया था। मगावती और माता का नाम शोभनमति था। तथा धर्मपत्नी का का पाणिग्रहण संस्कार वत्म देश के सोमवंशी नाम सुभद्रा या भद्रा था। जो रूप लावण्यादि के साथ सती, शतानीक से हुप्रा था जिसका पुत्र उदयन वस देश का प्रसिद्ध शासक था । और वीणावादन मे वह प्रत्यधिक ७. वैशालीए पुरीएगिरि पास जिणेस सासण-सणाहो। चतुर था। हैहय कुल संभूपो चेडग नामा निवो प्रासि ॥ गन्धार देश के महीपुर नगर के राजा सत्यक ने राजा -उपदेशमाला पत्र २३८ । चेटक से ज्येष्ठा की याचना की थी। किन्तु राजा चेटक ८.तोय वेसालीए नगरीए चेडो राया, हैहय कुल ने उसे नहीं दी। तब उसने कुपित होकर युद्ध किया, संभूतो, तस्म णं अण्णमहण्णाणं सत्तधनायो पभावती, स किन्तु वह युद्ध में हार गया। प्रनएच मान भग होने के सावपो पर विवाह करणस्स---धनानो ण कारण लज्जावश वह दमभर मुनि के निकट दिगम्बर देत्ति कस्संति । ताम्रो भाति भिस्स गामो राय प्राप. मुनि हो गया। पोर चेना का विवाह निम्बस : च्छिता अण्णसि इच्छित काण सरिसंगाणं चेति ।” न के साथ सम्पन्न हुपा"। ज्येष्ठा पौर चन्दना माजम्म कुमारी ही रहीं और ये महावीर के संघ मे दीक्षित .. पभावती वीतभए उदायणस्स दिण्णा, पउमा. । उनमें चन्दना महावीर के संघ में प्रायिकानों में सबसे वती चराए दहिवाहणस्स, मिगावतो कोसाम्बीए सनाणियस्स, सिवा उन्जेणीएपउनोतस्म, जेट कृण्ड. प्रमुख थीं। वह संघ की गणिनी थी। चेटक के दश पुत्रों में से सिंहभद्र बज्जिय गणतन्त्र ग्रामे बद्धमाण सामिणो जेट्टस्स णदिबद्धणस्स दिग्णा। सुजेटा चेल्लणाए दो कण्णाम्रो प्रच्छति । १०. देखो, उत्तर पुराण ७५ श्लोक ५ से १२ पृ. ४५२ । -पावश्यक चूणि उत्तरा, १६४ -हरिषण कथाकोश '.. ए वहि वि सिंघु देसे जणंति, ११. गधार विषये ख्यातो महीपालो महीपरे । नामेण विसाली उरि महति । याचित्वा सत्यकी ज्येष्ठा मलब्ध्वा कुदवान विधिः।। कोसिय निवेण जसमइहे जाउ, युद्धवा रणाङ्गणे प्राप्त ममभङ्गः सत्रयः । - सोहणमा चेडय नामुराउ ।। सद्यो इप्रवर प्राप्य तरः संयम मग्रहीत:। -श्रीचंद कथाकोस १२-१६ ., - उत्तर पुराण पु० ७५ श्लोक १३,१४
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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