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प्रसिद्ध उद्योगपति साहू शान्तिप्रसाद जोन का उद्घाटन भावन
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मामोद-प्रमोद का इन्तजाम हो। यदि हमने मोक्ष हेतु ने और धर्म साधकों ने बीज रूप मंत्रइस ससार को केवल हेय ही समझा, तो भाने वाली सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्राणि मोम मार्गः समाज को सन्तान भारतीय संस्कृति से बहुत दूर चली जायगी और दिया, जो परम सत्य है। किन्तु जो मार्ग मुक्ति का है। भगवान महावीर के जो ममतमय नैतिक उपदेश हैं, उनसे उस पर चलने से पहले जो संसार का लम्बा-चौडा मैदान मानवता वचित हो जायगी।
है, उसमे किस प्रकार विचरण करना चाहिए। इसका समाज को स्वस्थ बनाने का उपाय भगवान प्रादिनाथ पूरा विधिवत उपदेश न मिलने के कारण समाज मे अनेक ने सुझाया, इसका विवरण मादिनाथ पुराण में विस्तृत विषमताये मा गई । जैसे स्थापना का सिद्धान्त तो सत्य रूप से है। उन्होंने सभी विद्यायो और कलामो को जन्म है, किन्तु उसकी प्रति के कारण बच्चे उसे समझ नहीं दिया, राजनीति, समाजनीति, युद्धनीति का विवेचन पाते हैं और उनके विश्वास पर चोट लगती है। स्थापना किया। भगवान मादिनाथ के बताये हुए रास्ते पर चल- वही करनी चाहिए, जह! उसकी परम प्रावश्यकता हो । कर स्वस्थ समाज का निर्माण ही हमारा लक्ष्य है, जो परिषद को भगवान मादिनाथ का बताया हुआ भगवान महावीर का उपदेश साधुपो को लक्ष्य करके कहा नैतिकता और मानव धर्म पर स्थित, जो श्रावक प्राचार गया है, उस पर दृष्टि तो रखनी चाहिए-किन्तु यदि परम्परा है उस पर अधिक बल देना चाहिए। उस मार्ग पर गृहस्थ रहते हुए चलने की कोशिश की तो समाज के सभी सूधारकों का मैं अभिनन्दन करता न हम घर के रहेगे न घाट के।
हूँ। अनेक प्राज हमारे बीच नही हैं, उनकी सेवामों के चल तो सकेगे नही पौर विडम्बना मात्र कहे जायेगे। ही कारण प्राज जैन समाज देश की सभी प्रवृत्तियों में मुक्तिप्राप्ति शुक्ल ध्यान से होती है । हम धर्म ध्यान भी कधे-से-कंधा मिलाकर सहयोग दे रहा है और देश का नही कर पाते है। द्रव्यो की पूजा के द्वारा मोक्ष की सब प्रकार समद्ध और सबल बनाने में समर्थ होगा। कामना करते है-जो असंभव है। पूजा और दान से सद्- श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भगवान महावीर के गति की कामना भोर प्राप्ति ही सत्य है।
२५००वें निर्वाणोत्सव की नेशनल कमेटी की अध्यक्षा-पद सद्गृहस्थ रहते हुए स्वर्ग मोर मनुष्य गति ही हमें स्वीकार किया है। हम उनके प्राभारी हैं और हमे प्राप्त हो सकती है । मुस्लिम प्राधिपत्य के समय मे ज्ञान विश्वास है कि निर्वाणोत्सव से देश का नैतिक बल बढ़ेगा का ऊहापोह होना असभव-सा हो गया था। प्राचार्यों और समाज सब प्रकार से सुखी होगा।
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