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________________ डा० दरबारीलाल जी कोठिया का अध्यक्षीय भाषण २३५ अतिरिक्त तीन अप्रकाशित संस्कृत-प्राकृत-अपभ्रश के प्रथों गरिमा मे चार चांद लगाये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि या भगवान् महावीर सम्बन्धी नयी मौलिक रचनामों का मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा यहाँ जो प्राचीन मूर्ति संग्रप्रकाशन किया जाय। हालय स्थापित है उसमे बहुत सी जैन मूर्तियां सगृहीत एवं ___ यदि अगले तीन वर्षों में परिषद् ये तीन कार्य कर लेती सुरक्षित है। इसके लिए मध्यप्रदेश शासन निश्चय ही । हता वह संस्कृति की एक बहुत बड़ी सेवा कही जावेगी। पहमूल्य पुरातत्व सरक्षण काल वहुमूल्य पुरातत्व-स रक्षण के लिए धन्यवावाहं है । यहाँ के पूर्व कलेक्टर श्री रामविहारीलाम भी कम बधाई योग्य शिवपुरी और उसकी गरिमा : नहीं हैं, जिन्होने अपने निसर्गज पुरातत्व प्रेम से इस सनविद्वत्परिषद् का यह रजत-जयन्ती अधिवेशन जिस हालय को जन्म दिया। यहां का मनीकुण्ड, भदैयां कुण्ड शिवपुरी में श्री महाजिनबिम्ब-पचकल्याणकप्रतिष्ठा-महो भोर कोलारस की प्राचीन विशाल खड्गासन मूर्तियां त्सव के पुण्यावसर पर हो रहा है उसकी ऐतिहासिक भोर शिवपुरी पाने वालों के लिए प्राकर्षण की वस्तुएं हैं। सांस्कृतिक गरिमा है। भारतीय स्वतंत्रता के प्रमर सेनानी विद्वत्परिषद् के माकर्षण के लिए ये वस्तुएँ तो रही हैं, वीर तात्या टोपे को यहीं फांसी दी गयी थी। उनके प्रमर . भाई नेमीचन्द जी और सुहृवर ५० परमेष्ठीदास जी की बलिदान का यह पुण्य स्थल है। खडेलवाल वंशीय दान प्रेरणा पौर सौहार्द भी भाकर्षक रहे हैं। विद्वत्परिषद इन वीर सिंघई मोहनदास और उनके परिवार ने १७०३ में सबसे लाभान्वित हुई है। वावन कुण्डो से युक्त नन्दीश्वर द्वीप की रचना करके इसकी सास्कृतिक गरिमा भी स्थापित की और प्रब भाई अन्त में प्राप सबके प्रति नम्रतापूर्वक प्राभार प्रकट . नेमीचन्द जी गोदवालो तथा उनके परिवार द्वारा महावीर- करता करता है, जो मापने धैर्यपूर्वक मेरे भाषण को सुना । जिनालय एव सम्बद्ध अन्य सस्थान निर्मित होकर उस 'जयतु जनं शासनम्'। 'अनेकान्त' के स्वामित्व तथा अन्य व्योरे के विषय में प्रकाशन का स्थान 'वीर सेवा मन्दिर' भवन, २१, दरियागंज, दिल्ली प्रकाशन की अवधि द्वैमासिक मुद्रक का नाम श्री वंशीधर जैन शास्त्री राष्ट्रीयता भारतीय पता २१, दरियागंज, दिल्ली प्रकाशक का नाम श्री वंशीधर जैन शास्त्री, मन्त्री, वीर सेवा मन्दिर राष्ट्रीयता भारतीय पता .२१, दरियागंज, दिल्ली सम्पादकों का नाम डा०मा० ने० उपाध्ये, कोल्हापुर; डा. प्रेमसागर, बड़ौत; श्री यशपाल जैन, दिल्ली; परमानन्द जैन शास्त्री, दिल्ली। राष्ट्रीयता भारतीय पता मार्फत : वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली स्वामिनी संस्था वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली मैं वंशीघर जैन शास्त्री घोषित करता है.कि उपयुक्त विवरण मेरी जानकारी मौर विश्वास के अनुसार सही है। १७-२-७३ ह.बंशीपर बैन शास्त्री
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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