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श्री भारतवर्षीय दि. जैन परिषद् की स्वर्ण जयन्ती
प्राचीन संस्कृतियों से सम्पन्न, राजस्थान की मोद्यो. भगवान महावीर के पच्चीस सौवी निर्वाण शताब्दि के गिक नगरी कोटा मे श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परि- प्रादर्श रूप से मनाने के सम्बन्ध मे है। ३रा प्रस्ताव षद् की स्वर्ण जयन्ती का उत्सव ता०६, ७ जनवरी सन् सामाजिक कुरीतियो के निवारण के बारेमें है। ४था प्रस्ताव ७३ को सानन्द एवं सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया। इस समाज में विद्यमान चारित्रिक गिरावट को दूर करने के ऐतिहामिक महोत्सव का उद्घाटन जैन समाज के रत्न, विषय मे है । ५वा प्रस्ताव समाज एवं देश से बेकारी को अनुपम दानी स हू शान्तिप्रसाद जी के करकमलों से हुआ। हटाकर खुशहाली लाने के सम्बन्ध मे है। ६ठा प्रस्ताव परिषद् अधिवेशन के अध्यक्ष बा. महावीर प्रसाद जी प्रकाल पीड़ितों की सहायता करने के बारे में है। इमा जैन एडवोकेट हिसार हरियाणा थे। उत्सव के स्वागता. प्रकार अन्य छ प्रस्ताव परिषद को सदस्य संख्या बढ़ाने, ध्यक्ष श्री जम्ब कुमार जी जैन थे। इस स्वर्ण जयन्ती जैन मूतियो की चोरी से सुरक्षा करने तथा बूचड़खानों मे समारोह के अवसर पर जैन युवक सम्मेलन जिसके अध्यक्ष भारत सरकार द्वारा निश्चित दिनो मे निषिद्ध हिंसा के रमेशचन्द्र जी जैन तया जैन महिला सम्मेलन जिसकी बन्द रखने की व्यवस्था के सम्बन्ध में है। प्रध्यक्षा श्रीमती लेखवती जी जैन थी प्रति सफलता भारत की राजधानी दिल्ली में शिक्षा साधनों को पूर्वक सम्पन्न हुए । उत्सव मे भारत के सभी भागों से प्रोत्माहन देने के बारे मे अखिल भारतवर्षीय जैन परिषद् गण्य मान्य जैन बन्धु पधारे थे। दोनों दिन भारत को की विशेष रुचि का होना भी आवश्यक है। शिक्षा के प्राचीन नगरी कोटा की चहल-पहल एवं शोभा अति मन माध्यम से धर्म एव समाज का स्थायी प्रचार व प्रसार लुभावनी रही।
होता है इस विषय में दो राय नही हो सकतीं। राजपरिषद् की स्थापना भारत का राजधानी दिल्ली घानी में हिन्दू मुमलिम, सिक्ख ईसाई समाज के नगरी मे सन् १९२३ मे जैन समाज के सामाजिक सुधार अनेक कालेज है लेकिन कोई जैन कालेज नहीं है। हालां की बलवती भावना से प्रेरित स्वनाम धन्य ब्रह्मचारी कि इस प्रकार के जैन कालेज को पोषण देने वाले अनेक शीतलप्रसाद जी, वरिष्टर जुगमन्दर लाल जी, वैरिस्टर प्राइमरी, हायर सेकण्डरी स्कूल लडके तथा लडकियों के चम्पतराय जी, वकील अजितप्रसाद जी लखनऊ मादि जैन यही विद्यमान है। इस प्रावश्यक कमी पूतिके लिए जब तब समाज के तात्कालिक उत्साही एवं पाश्चात्य शिक्षा से प्रयत्न भी हुए है लेकिन उनकी पूर्ति का सौभाग्य दिन सुसम्पन्न महानुभावों ने की थी। सन् १९२३ से १९७३ प्रभी नही पाया है । भगवान महावीर की पच्चीस सोवी तक यह परिषद् उत्साह और लगन से जैन समाज सेवा निर्वाण शताब्दि के एक स्मारक के रूप मे यदि एक महाका कार्य करती मा रही है। परिषद् के प्रयत्नों से देश. बीर जैन कालेज की स्थापना हो जाय तो यह एक सराहविदेश में जैनधर्म का बहुत प्रचार एवं प्रसार हुआ है। नीय एवं स्मरणीय कार्य होगा। यद्यपि दिल्ली की जैन इस महोत्सव में परिषद् ने जैन समाज को उन्नति को समाज, जहाँ कोटयधीशों की कमी नहीं है, के लिए भी यह लक्ष्य बनाकर उसकी पूर्ति के लिए जो प्रस्ताव पास किये कोई कठिन कार्य नहीं फिर भगवान महावीर का पच्चीस हैं उनका संक्षिप्त विवरण यहाँ दिया है।
सौवां निर्वाण दिवस तो जैन समाज की एक विशाल प्रथम प्रस्ताव दिवंगत ४२ समाजसेवी बन्धुनों की समष्टि का पायोजन है। प्राशा है समाज का ध्यान इस शान्तिलाभ की कामना का है। द्वितीय प्रस्ताव सन् १९७५ कमी की पूर्ति के लिए दृढ़ता पूर्वक जायेगा। में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति समृद्ध रूप से मनाये जाने वाले
-मथुरावास न एम. ए, साहित्याचार्य