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________________ शिवपुरी माहमा धी घासीराम जैन 'चन्द्र' पावन विध्याचल अंचल है, चलती मद् मंद समीर यहां, कलरव करती सरिताओं के, कलनाद भरे वर तीर यहां, झर झर करते झरने सुन्दर, बहता प्रिय निमल नीर यहां, मदमाती हरषाती लहरें, प्रोढ़े प्रिय पल्लव चोर यहा ॥१॥ श्री मोहनदास सिंघई निर्मित, बावन गंगा अति पावन है, नंदोश्वर की मोहक रचना, जल कुण्ड मनोहर बावन है, जलस्रोत भदैयां कुन्ड ललित, निश वासर झरना झरता है, सख्या सागर जल केलि थली, रहता कंचन समनीर यहां ।।२।। सिन्धिया वंश माधव नृप को, शुभ कीर्ति यही पर छायी है, जीजा माता की भव्य मूति, रच कला भवन पधराई है, प्रिय हरित भरित परिधान सजित, शोभाशाली सून्दर उपवन, मनहरण जलाशय पाम्रकुञ्ज, यश गाते कोकिल कीर यहा ।।३।। सिद्धेश्वर धर्म धरा लखिये, शिव मन्दिर शोभा शालो है, शिवपुरी नगर का कीर्तिकुञ्ज, रहती निशदिन खुशहाली है, यह भव्य नगर का गौरव है, सौरभ सूगध यश गान भरी, पूजन अर्चन अाराधन को, रहती भक्तों की भीर यहां ॥४॥ स्वातत्र्य युद्ध ज्वाला फंकी, तात्या टोपे सेनानी ने, आजादी का था मंत्र दिया, लक्ष्मी झांसी की रानी ने, शिवपुरी नगर बलिदान भूमि, यह मूर्तिमंत तीर्थस्थल है, वन भी सरिता सर गिरि मंदिर, मन भावन सिन्धु गहीर यहां ।।५।। कैसा अति सुन्दर संग्रह है, यह पुरातत्त्व की झांकी है, खंडित जिन प्रतिमाएँ अद्भुत, शोभा सुखदायक वाकी है, विखरी चहुं ओर कला पाकर, शिवपुरी धन्य कहलायी है, सुरनर मुनि नतमस्तक होते, छवि छटा छलकते क्षीर यहां ।।
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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