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________________ २०, वर्ष २५, कि.१ अनेकान्त मन्दिर विष्णुवर्धन के समय में निर्मित किये गए। सन् छठी सदी के निर्मित हैं। प्रथम तीन गुफा मन्दिर पाठवीं सदी तक वास्तु शैलियों ने एक निश्चित वैदिक मत से तथा चौथा मन्दिर जैन मत से सम्बन्धित माकार धारण कर लिया था। इसके पूर्व केवल गुफा है। इसके अगले भागों में एक-एक चबूतरा बना है। मन्दिरों में वास्तुकला प्रगट हुई थी। परन्तु वहां खोदने भूमि से पांच-छः फीट ऊंचाई पर गुफाएं खोदी गई हैं के अतिरिक्त अन्य कोई कौशल नहीं रहता है। ई० सन् तथा वहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां हैं । चबूतरे से प्रागे पांचवीं शतान्दी में उत्तर भारत में मन्दिरों के निर्माण बढ़ने पर दालान, डयोढ़ी तथा गुफा की पिछली दीवार का प्रयोग प्रारम्भ हुमा जो छठी-सातवीं शदी मे दक्षिण में एक गर्भगृह है । दालान के अगले भाग मे ड्योढ़ी तथा भारत में दिखाई दिया। देवघर का जैन मन्दिर शिखर दालान के मध्य ड्योढी के अन्दर खम्भे है। ये खम्भे वाले मन्दिरों में प्रथम है जिसका निर्माण छठी शताब्दी मजबत हैं व इन पर चित्र अकित है। बाहर से देखने मे हुमा था। पर गुफाएं साधारण सी लगती है परन्तु अन्दर चित्रों से __ ऐहोले, पट्टदकल्लु, बादामी इन तीन स्थानों में ही दीवार से लगी देव-मतियो से बडी सुन्दर बनी हुई है। हम कर्नाटक वास्तुशैली का उद्गम पा सकते हैं । बीजापुर खम्भे विभिन्न प्रकार के हैं । मतियाँ भव्य हैं, जो सजीवजिले का छोटा-सा ऐहोले पूर्व में मार्यपुर था। यहा किले सी लगती हैं कि उठकर पा रही हों। चौथी जैन गुफा के अन्दर ३० तथा बाहर ४० मन्दिर हम देख सकते है। का ई० सन् ६५० में निर्मित होने का अनुमान है । ३१ इनमें कुछ जिनालय है। शेष सब देवालय है। ये सब फीट लम्बा, साढ़े छ: फीट चौहा दालान, उसके पीछे २५ छठी-सातवीं सदी के बनाए हुए हैं। गांव के पूर्व की ओर फीट लम्बी, छ: फीट चौडी ड्योढी तथा उसके पीछे चार थोड़े ऊंचे स्थान पर एक 'मेगुति' है। मेगुति का प्रथं है सीढ़ियों पर एक गर्भगृह है। इस गर्भगृह में महावीर को ऊपर का मन्दिर। यह देवालय ई० सन् ६३४ म रवि- मति है। दालान मे पार्श्वनाथ तथा गौतम की मूसिया कीर्ति द्वारा निर्मित किया गया है। इसका एक गर्भ गृह । और अन्दर खम्भे व दीवारों पर प्रन्य तीर्थहरों की मन्दर का घर व ड्योढ़ी है। गर्भगृह के चारों ओर परि.. मूर्तियां खुदी हुई हैं। क्रमा करने के लिए स्थान है। इसका शिखर द्राविड़ यद्यपि विश्व प्रसिद्ध प्रजन्ता स्था एलोरा क गुका शैली का बना है। गर्भगृह में तीर्थंकर की एक मूर्ति तथा मन्दिर मैसूर राज्य के बाहर हैं तथापि अनेक कारणों से दवा का मूात ह। काव रावकीति द्वारा उन्हे कर्नाटक के अन्तर्गत मानना असत नही होगा। संस्कृत भाषा में रचित यहाँ का शिलालेख बड़े महत्व क्योंकि उनमें से प्रधिकों का निर्माण कर्नाटक के राजामों का है। ने किया है तथा कर्नाटक के शिल्पियों ने ही उन्हें बनाया , गुफा मन्दिर ही भारत की वास्तुकला का प्रथम प्रयत्न है। चित्रकला के लिए जैसे प्रजता प्रसिद्ध है वस शिल्प है। मैसूर राज्य के ऐहोले तथा बादामी मे ऐपी गुफाएं हैं। कला के लिए एलोरा प्रसिद्ध है। एलोरा में कुल ३३ ऐहोले में एक वैदिक गुफा मन्दिर तथा एक जैन मन्दिर गफाएं हैं। इनमें ग्यारह बौद्धों के तथा सोलह ब्राह्मणा है। ये दोनों ई. सन् ५०० में बनाये गए। जैन मन्दिर के हैं। छ: गफा मन्दिर जैन मन्दिर है। इन सबका ३३ फीट लम्बा तथा ८ फीट चौड़ा है। उसके अग्र भाग निर्माण छठवीं सदी में हुआ था। ब्राह्मण गुफा मान्दरा में एक दालान, अन्दर एक ड्योढी तथा गर्भगृह है। से प्रागे बढ़ने पर छ: जैन गुफा मन्दिर हैं। इनमें इंद्र गुफा के मागे चार मोटे स्तम्भ हैं। गर्भगृह मे पार्श्वनाथ सभा, जगन्नाथ सभा तथा छोटा कैलास नामक मन्दिर तथा खड़ी हुई अन्य तीर्थकर मूर्तियां हैं। गर्भगृह के द्वार मुख्य है। इद्र सभा दो मंजिलों का गुफा मन्दिर है। एक के दोनों पायों में द्वारपालक हैं । ड्योढ़ी में महावीर की प्रांगण, उसके पीछे एक दालान, एक बड़ी ड्योढ़ी तथा मूर्ति है जो सिंहासन पर बैठी है। गर्भगृह है। वाहर दाहिनी मोर एक गुफा है। प्रांगण के बादामी में भी चार गूफा मन्दिर है। ये सब ई. बाई पोर दो तथा दाहिनी भोर एक एवं दालान के
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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