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________________ पर्व २४ कि. २ अनेकान्त नन्द राजा ले गया था, पौने तीन सौ वर्ष बाद ला कर से स्पष्ट है । और तीसरा कमरा शायद खारवेल ने खारवेल ने महोत्सव के साथ प्रतिष्ठित किया था। बनवाया था। गुफा के मध्य में एक महत्वपूर्ण उत्कीर्ण एक सम्राट खारवेल ने स्वयं भी इस पर्वत पर व्रत उपवासादि चित्र था जो अब नष्टप्राय हो गया है। इसका सम्बन्ध उस द्वारा प्रात्म-साधना का अनुष्ठान किया था। इन सब ऐतिहासिक घटना से जान पड़ता है, जब सम्राट खारवेल उल्लेखों से कुमारगिरि की महत्ता का प्राभास सहज ही मगध विजय करके कलिंग जिनकी मति लाये भौर कलिंग मिल जाता है । नगर मे उत्सव के साथ प्रतिष्ठित किया था। यह चित्र उदयगिरि पर जो महत्वपूर्ण गुफाएं हैं, उनमें से कुछ इसी घटना को सद्योतित करता है। इससे उसकी महत्ता खास गुफाओं का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है :- का स्पष्ट भान होता है। रानीगुफा-उदयगिरि की गुफाओं के मध्य में रानी गणेशगुफा-इसमें दो कमरे है, इस गुफा के चित्रों हंसपुर नामक गुफा सबसे बड़ी और चित्ताकर्षक है। में रानी गुफा के चित्रों का; जो पौराणिक पाख्यानों. इसकी बनावट बड़ी सुन्दर है, इसे रानीगुफा के नाम से कथाओं और मूर्तिकला को अभिव्यक्त करने वाले है उन पकारा जाता है, क्योंकि सम्राट् खारवेल ने इसे सिंधुला- अनेक चित्रों का सूक्ष्म रूप दिया हया है जिनका विषय रानी के लिए बनवाई थी। यह गुफा दोमंज ली है। और भाव वही है । इसकी कोठरियां दो पंक्तियों में सुशोभित है। गुफा का स्वर्गपुरी गुफा-इसमे दो बड़े कमरे और एक छोटा दक्षिण-पूर्व पार्श्व खुला हया है। नीचे की पंक्तियों में कमरा है, कमरों के बीच में गुफा का निर्माण कराने गाठ और ऊपर की पक्ति में छ: प्रकोष्ठ हैं। ऊपर की वाली रानी का लेख उत्कीणित है। यह गफा हाथी गफा मंजिल में २० फूट लम्बा बरामदा है जो गुफा की विशेष- के बाद बनी मालूम होती है। इस तरह उदयगिरि पर षता का निर्देशक है। इन्ही वर(मदों मे प्रतिहारियों की ओर भी अन्य गुफाएं हैं, जिनका परिचय लेख के भय से मतियां प्रत्यन्त स्पष्ट रूप मे उकेरी गई है। बरामदे की नही दिया जा सका। छत को थांभने के लिए प्रस्तर स्तम्भ बनाए गये है। खण्डगिरि किन्तु वे अधिकाशतः जीर्ण-शीर्ण हो गए है। गुफा मे खण्डगिरि पर जितनी गुफाएं है उनमे कई गुफाएं पौराणिक पाख्यानो, कथानो, और मूर्तिकला को अभि- बड़ी महत्वपूर्ण है। उनमे तत्त्व गुफा और अनन्त गुफा व्यक्त करने वाले अनेक चित्र उत्कीणित है। दोनो ही सबसे अधिक महत्व को है। मजिलों में महत्वपूर्ण तक्षण कार्य हुमा है। नीचे की तत्त्वगुफा में तीन द्वार और प्रस्तरासन, पार्श्वस्थ मंजिल के तक्षण कार्य का शिल्प भरहुत से भी सुन्दर है। छिद्र और चोकोर स्तम्भ है। मध्य टोडियों पर भी मतियों का तक्षण कार्य उनकी सजीवता और प्रोजस्विता अलंकरण दृष्टिगोचर होते है । नतंकी और वीणापाणिनर, का परिचायक है । जैसाकि सांची के द्वारों में प्रकित है। पूष्पमाल सहित अलंकृत नारी, तथा स्तम्भ के ऊर्ध्व भाग इन सब बातों से रानी गुफा की महत्ता का सहज ही भान के शृगो पर दाहिनी ओर सिंह और वाई पोर हाथी हो जाता है। है । और भी अनेक अलकरण दिखाई देते है। इस कारण मंचूरीगुफा-इस गुफा में तीन कमरे है जिनका फर्श यह गुफा अपनी खास विशेषता रखती है। कुछ उभारको लिए हुए बनाया गया है। जिससे शयन करने अनन्तगुफा- इस गुफा के तोरणो के ऊपर दोनों वाले श्रमणो का शिर ऊचा रहे । इसमे दो कमरे कुदेपश्री' मोर नाग है, इसी कारण इसे अनन्त गुहा कहते है । और कुमार वडुख ने बनवाए थे। जैसा कि उनके लेखों ३. प्ररहत प्रसादाना(म्) कालिंगा (न) म् समणानम् १. ऐरस महाराजस कलिंगाधिपतिनो महा......वाह लेणं कारितं राजिनो ल (1) लाक (स) कुदेपसिरिनो लेणम् ।। हथिसहस-पयोतसधुनाकलिंग-च [खा] रखेलस प्रग २. कुमार वर्डखस लेणम् । महषीया का लेण ।
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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