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संकट की स्थिति में समाज कल्याण बोडों का योगदान
एम. सी.जैन
देश में समाज कल्याण गतिविधियों के प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड की मशीनरी का उपयोग किया गया करने और उन्हें बडावा देने की प्रावश्यकता हमेशा से था। मोर्चे पर जाने वाले जवानों को सुख-सुविधाएं पहुँमहसूस की जा रही है, परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह चाने की दृष्टि से केटीनों का संगठनकिया गया । हिमाअनुभव किया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर समाज कल्याण लय के सीमावर्ती क्षेत्रों और राजस्थान के मरुस्थलों में कार्यक्रमों का संचालन तभी किया जा सकता है जब प्रसूति सेवानों, डाक्टरी सहायता बालवाड़ी, शिल्प प्रशिस्वेच्छिक संगठन और स्वेच्छिक कार्यकर्ता इन कार्यक्रमो क्षण तथा महिलामो के लिए समाज शिक्षा जैसी बहुद्देशीय के लिए साधन जुटाने मे गहरी दिलचस्पी लें। एक अोर गतिविधियो से युक्त कल्याण विस्तार परियोजनाएं संगस्वेच्छिक अभिकरणों और स्वेच्छिक कार्यकर्तामो और ठित की गई थी। इन परियोजनामों का उद्देश्य सीमादूसरी ओर सरकारी मशीनरी के प्रयासो को मजबत बनाने वर्ती क्षेत्रों के लोगो मे विश्वास पैदा करना तथा देश के के लिए केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। शेष भागो के साथ उनका सांस्कृतिक और भावनात्मक यह एक सर्वथा नवीन प्रयोग था। गत अठारह वर्षों के एकीकरण करना था। कार्यकाल में बोर्ड ने राष्ट्रीय स्तर पर कल्याण कार्यक्रमों सन् १९६५ में पाकिस्तानी माक्रमण के समय भी को बढावा देने के साथ-साथ समाज के दर्बल वोके मोच पर जाने वाले जवानों को सुख-सुविधाएं पहुँचाने प्रति जन-चेतना पैदा की है और राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय और जवानों के परिवारों के लिए कल्याण कार्यक्रम संगस्तर पर गैर सरकारी कार्यकर्तामों को केन्द्रीय तथा राज्य
ठित करने की दिशा में बोर्ड किसी से पीछे नही रहा । सरकारो के सरकारी अभिकरणों के साथ कधे से कंधा हाल ही में सन् १९६६ में जब प्राध्र में बाढ़ आई मिलाकर काम करने के लिए प्रेरित किया है। विभिन्न तो इन दोनों राज्यों के समाज कल्याण संगठनों ने बाढ़ स्तरो पर बोर्ड के विभिन्न कार्यक्रमों का सचालन करने पीडितों के लिए धन राशि तथा सामग्री के सग्रह में वाले अभिकरणों में ५० हजार के ऊपर कार्यकर्ता सलग्न सक्रिय भाग लिया । सन् १९७१ के प्रत में जब उड़ीसा है और इनमें से लगभग २० हजार व्यक्ति स्वेच्छिक में तूफान प्राया तो उड़ीसा राज्य बोर्ड ने पीड़ितों के लिए संस्थानों के कार्य में सक्रिय रूप से सलग्न है। बोर्ड के धन राशि तथा सामग्री के संग्रह के साथ-साथ कल्याण कार्य के लिए क्षेत्र ढूंढ निकाले हैं, जिनमें सहस्रों निःस्वार्थ सेवामों का संगठन भी किया। कार्यकर्ता, विशेष रूप से महिलाए स्वेच्छा से कार्यरत है।
शरणार्थी शिवरों की स्थापना अब इन स्वेच्छिक तथा वैतनिक कार्यकर्तामों पर हमेशा
मई, १९७१ में पाकिस्तानी सैनिक शासकों के जघन्य पूरी तरह निर्भर रहा जा सकता है मोर राष्ट्रीय, प्राकृ.
भत्याचारों और कत्लेग्राम के कारण हमारे देश में पूर्व तिक या अन्य विपत्तियों की अवस्था में लोगों को राहत
बंगाल से लाखों शरणार्थियों के माने से बड़ी गम्भीर पहुंचाने के उद्देश्य से इन पर उपयोग लिया जा सकता
स्थिति पैदा हो गई। इस कस्लेग्राम से लोगों में दहशत
फैल गई और वे मासाम, मेघालय, त्रिपुरा तथा पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में कल्याण-कार्य
बंगाल के शिविरों में इकट्ठे होने लगे। सरकार और पहली बार सन् १९६२ मे चीनी प्राक्रमण के समय बंगला देश सहायता समिति के प्रयासों की पूर्ति के लिए. जवानों के लिए सामग्री, उपहार और ऊनी वस्त्र इकट्ठे केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्षता की मोर से