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________________ हिन्दी भाषा का महावीर साहित्य ० कस्तुरचन्द कासलीवाल वीर निवाण रावन २:१५न चका' योर र डानीपत्रो मे " 'द गूनापत्र वर्ष मे भी कम समय पश्चात् चिर प्रतीक्षित २५००वा होगा। जिसमे एक ही भाग मे २० हजार से भी अधिक निर्वाण संवत् प्रारम्भ हो जावेगा। इस अवसर पर ग्रन्थों का विवरण दिया गया है। राजस्थान के टन २५००वे निर्वाण महोत्सव तक उनके जीवन से सम्बन्धित विभिन्न दिगम्बर शास्त्र भण्डारों मे भगवान महावीर के जितना भी साहित्य है उसके प्रकाशन की योजना विचा- जीवन पर अब तक जो काव्य उपलब्ध हए हैं उनमें मबगे राधीन है। भगवान महावीर के जीवन पर मस्कृत, अप- अधिक काव्य हिन्दी भाषा में निबद्ध है। वसे सस्कृत अशा एवं हिन्दी तीनो ही भापायो मे विभिन्न कवियो ने भाप में अब नर भाषा मे अब तक जिन रचनाओं की उपलब्धि हो चुकी परित काव्य, पुराण एवं रास काव्य लिखें है। गात एव है उनके नाम निम्न प्रकार है। स्तवन लिख कर उनका यशोगान गाया गया है और १. बर्द्धमान चरित महाकवि अशग इसी तरह कथा, चौगाई, बनासी, छत्तीमी, चौढाल्या २. वर्द्धमान पुगण भट्टारक मलकीनि एव अष्टक के माध्यम से उनके जीवन को विभिन्न ३. वर्द्धमान चरित मुनि विद्याभूषण दष्टियो से पाका गया है। लेकिन दुःन इस बात का है ४. वर्द्धमान चरित मुनि पद्मनन्दि कि हमारे इन प्राचीन कवियों की अधिकाश रचनाये अपभ्रश भाषा की अब तक जो रचनाएं प्राप्त हो अभी शास्त्र भण्डारी की शोभा बढ़ा रही है और अपनी चुकी है उनका परिचय निम्न प्रकार है। दुर्दशा पर प्रासू बहा रही है। क्योकि इनके निर्मातामो १. महावीर चरित ने जब इनकी रचना की होगी तो उनके हृदय मे कितना पुष्पदन्त कृत अपभ्रश भाषा उमंग और उत्साह होगा उसवी कल्पना एक कवि हृदय के महापुराण मे से संकलित २. वड्ढमाणचरिउ ही कर सकता है । भगवान महावीर के चरणो मे उन्होंने जामत्रहल ३. वड्ढमाणचरिउ श्रीधर स्थायी श्रद्धाजलि ममपित की पी लकिन हम स्वयं उनकी ४. मन्मति जिन चरिउ रइध कृतियो का मूल्याकन नहीं कर सके और न दूमगे को ही ५. वडठमाण चरिउ उमके मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान किया। नरमेन अभी जब भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से भगवान उक्त पांचो काव्य विभिन्न विद्वानों द्वारा सम्पादिन महावीर से सम्बन्धित मभी काव्यों के प्रकाशन की योजना किये जा रहे है जिनमे में महावीर चरित का सम्पादन सामने प्रायी तो पहिले यह प्रश्न उपस्थित हुप्रा कि देश डा० हीरालाल जी जैन कर रहे है। यह चरित काव्य के विभिन्न भण्डारो मे जितने काव्य पुगण अथवा चरित सचित्र प्रकाशित होगा। जयमित्रहल कृत वड्ढमाणचरिर सज्ञक रचनाएं है उनका कम से कम परिचय तो प्राप्त का सम्पादन डा० नेमिचन्द्र जी शास्त्री पारा, कर रहे कर लिया जावे जिससे उनके प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ है। डा. राजागम जैन श्रीधर कृत बड्ढमाणचरिउ पर किया जा सके। इस दृष्टि से राजस्थान के जैन शास्त्र कार्य कर रहे है और नीमच के डा० देवेन्द्र कुमार नरसेन भण्डारो की ग्रन्थ सूचियो के चार भागो को देखा गया। कृत वड्ढमाणचरिउ का सम्पादन कार्य प्राय. समाप्त कर ग्रन्थ सूची पॉचवा भाग भी शीघ्र ही प्रकाशित होने चुके है। इन सभी विद्वानों को महावीर साहित्य शोध वाला है। यह भाग सारे देश में अब तक प्रकाशित होने विभाग की ओर म पाण्डुलिपियाँ भेजी जा चुकी है।
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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