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१५८, वर्ष २४, कि०४
अनेकान्त १६. महामानसी
२१. चामुण्डा ती-शान्तिनाथ (मृग)
ती-नमिनाथ (नीलकमल) वा-मोर (पक्षिराज-गरुड)
वा-मगर (बदर) श-सुनहला
श-हरा (लाल) हा-चार
हा-चार (पाठ) व-ऊ दा चक्र (वाण), नी वा फल (शंख), ऊ बा व-ऊ दा दण्ड (शूल), नी दा ढाला (तलवार, वाण (वन), नी बा वरद मु (चक्र)
मुद्गर, जाला), ऊ बा अक्षमाला (वन), नी बा
तलवार (चक्र, डमरू, अक्षमाल) १७. जया ती-कुन्थुनाथ (बकरा)
२२. अम्बा वा-काला सुपर
ती-नेमिनाथ (शंख) श-सुनहला
वा-सिंह हा-चार (छह)
श-हरा व-ऊ दा चक्र (वन), नी दा शंख (चक्र, जाल), ऊ
हा-दो बा तलवार (अकुश) नी बा वरद मु (फल,
व-दा अाम्रगुच्छा (फल), बा छोटा पुत्र प्रियंकर
(वरद मु) वरद मु)
वि-१. बायीं जंघा पर पुत्र प्रियंकर को बैठाकर बायें १८. तारावती (विजया)
हाथ से थामती है।। ती-अरनाथ मछली
२. दायें हाथ में पाम्रगुच्छ लिये रहती है और वा-हस (सिंह)
उखी की एक अगुलि को बड़ा पुत्र शुभंकर श-सुनहला
पकडे रहता है। हा-चार
३. पृष्ठभूमि पर ग्राम का वृक्ष होता है। व-ऊ दा सर्प (वज), नी दा मृग (चक्र), ऊ बा २३. पद्मावती व्रज (फल), नी बा वरद मु (सर्प)
ती-पार्श्वनाथ (सर्प) १६. अपराजिता
वा-कर्कट जाति के सर्प पर कमलासन (मुर्गा पर
कमलासन) ती-मल्लिनाथ (कलश)
श-लाल वा-प्रष्टापद (=पाठ पैरों वाला जंगली जानवर)
हा-अठारह (चार) श-हरा (श्याम)
व-दा क्र जाल आदि छह तथा शंख प्रादि तीन (ऊ हा-चार
दा जाल, नी दा अकुश) बा क शंख प्रादि पांच ब-ऊदा ढाल (तलवार), नी दा फल (ढाल), ऊ बा तलवार (फल) नो बा वरद म
तथा अंकुश. कमल, अक्षमाला, वरद मु (ऊ बा
कमल, नीलाकमल) २०. बहुरूपिणी (बहुल्या)
२४. सिद्धायिका ती-मुनिसुव्रतनाथ (कछवा)
ती-महावीर (सिंह) वा-काला सर्प (सर्प)
वा-सिंह श-पीला (सुनहला)
श-सुनहला हा-चार (दो) व-ॐ दा ढाल (तलवार), नी दा फला, ऊ बा व-दा पुस्तक, बा दान मु (मभय सु) तलावार (डाला), नीना वरद म
वि-सुभद्रासन (भद्रासन)