________________
जन यक्ष-यक्षणियां और उनके लक्षण
१५७
६. मनोवेगा
ती पद्मप्रभ (लालकमल) वा-घोड़ा श-सुनहला हा=चार व=ऊ दा फल (बज्र), नी दा फल (चक्र), ऊ बा
फल, नी बा तलवार (वरद मु) ७. काली कालिका)
ती=सुपार्श्व (स्वस्तिक) वा=बैल (भैसा) श-सफेद (काला) हा-चार (पाठ) व-ऊ, दा घण्टा (त्रिशूल), नी दा फल (जाल,
अकुश, धनुष), ऊ बा शूल (बाण), नी बा वरद
मु (चक्र, अभय मु, वरद मु) ८. ज्वालिनी (ज्वालमालिनी) तीचन्द्रभ (चन्द्रमा) वा=सुअर (कमलासन तथा बैल) श-चन्द्रमा के समान उज्ज्वल (काला) हा-पाठ (चार) व=दा क्र चक्र (घण्टा), धनुष (त्रिशूल), जाल,
चमड़ा, बा क त्रिशूल (फल), वाण (वरद म),
मछली, तलवार ६. महाकाली
तो-पुष्पदन्त (मगर) वाकछवा श-काला हा-चार व= दा वज्र, नी दा फल (गदा), ऊ बा मुद्गर
(वरद मु) नी बा दान मु (अभय म्) १०. मानवी
ती शीतलनाथ (कल्पवृक्ष) वा-काला सर्प (सुअर) शहरा (श्याम)
११. गौरी
ती-श्रेयोनाथ (गेंडा हाथी) वामृग (काला मृग)
श-सुनहला हाचार वऊ दा मुद्गर (जाल), नी दा कमल (अकुश),
ॐ बा कलश (कमल), ना बा वरद म १२. गान्धारी
ती वासुपूज्य (भैसा) वामगर शहरा (श्याम) हा=चार (दो) वऊ दा कमल, नी दा मसल, ऊ बा कमल (फल)
नी बा दान म १३. वैरोटी (विराटा)
ती विमलनाथ (सुअर) वा=सर्प (माकाशयान) शहरा (श्याम) हा-चार (छह) वऊ दा सर्प (वरद मु), ना दा धनुष (तलवार,
घनुष), ऊ बा सर्प (वरद म), नी बा वाण
(ढाल-वाण) १४. अनन्तमती (प्रनन्तमति)
ती-प्रनन्तनाथ (सही) वा-हंस श-सुनहला हाचार वउदा धनुष, नी दा फल (वाण), ऊ बा बाण
(फल), नी बा वरद मुद्रा १५. मानसी
ती-धर्मनाथ (वन) वा-वाघ श-मूगा के समान (लाल)
९
व-ऊ दा मछली (जाल), नी दा माला (अंकुश),
ऊ बा मातुलिंग (फल), नी बा दान मु (वरद म)
व-दा क्र कमल (त्रिशूल), धनुष (जाल), दान म
(चक्र), बा क्र अकुश (डमरू), वाण (फल), कमल (वरद मु)