SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन यक्ष-यक्षणियां और उनके लक्षण १५५ बा धनुष (फल), नी बा नेवला (वरद मु) वि-नीन मुख १३-चतुर्मुख (षण्मुख) ती-विमलनाथ (सुअर) वा-मोर शहरा हा-पाठ (छह) वदा क्र परशु (वज्र), परशु (धनुष), तलवार (वाण), अक्षमाला (मणियों से बनी), बा क परशु (वाण), परशु (फल), ढाल (वरद मु). दण्ड (धारण करने की-सी मुद्रा) विचार मुख १४-पातालक (किन्नरेश) ती-अनन्तनाथ (सेही) बामगर श-लाल व=दा क्र कोडा (जाल), हल (अंकुश), फल (धनुष), बाक अंकुश (वाण), शूल (फल) कमल (वरदमु) वि-१-तीन मुख २-मस्तक पर तीन फणों वाला सर्प १५-किन्नर (पाताल) ती-धर्मनाथ (वन) वा-मछली श-मूंगे के समान लाल हा-छह वदा क मुदगर (वज), अक्षमाला (अंकुश), वरद मुद्रा (धनुष), बा क चक्र (वाण), वन अंकुश (वर) वि-तीन मुख १६-गरुड़ यक्ष तो शान्तिनाथ (मृग) वा-सुमर (तोता) शश्याम हा-चार वऊ दा वज्र (जाल), नी दा कमल (अंकुश), ऊ बा चक्र (फल), नी बा कमल (वरद मु) वि-मुख टेढ़ा १७-गन्धर्व ती-कन्थुनाथ (बकरा) वा पक्षी (तोता) श-नीला हा-चार व- दा सर्प (कमल), नी दा वाण (अभय मु), ऊ बा जाल (फल), नी बा धनुष (वरद मु) १५-खेन्द्र (यक्षेट) ती-प्ररनाथ वा शख (गधा) श-काला हा-बारह (छह) वदा क्र वाण (वज्र), कमल (तलवार) फल (धनुष), माला, अलमाला, दण्ड, बा क्र धनुष, (वाण), वज्र, (फल), जाल, (वरद मु) मुद्गर, अंकुश, वरद मु वि-१-छह मुख २-तीन अखि १६-कुबेर (घनेट) तो-मल्लिनाथ (कलश) वा हाथी श-इन्द्रधनुष के समान हा-आठ (चार) व=दा क फल, (जाल), धनुष (अंकुश), दण्ड, कमल, बाक, तलवार (फल), परशु, जाल वरद मु विचार मुख २०-वरुण अपापति ती मुनिसुव्रतनाथ (कछवा) वाचल श-सफेद हा-चार (छह) व-ऊदा फल (जाल), नी दा इष्टदान मु; (अंकुश, धनुष) ऊ बा ढाल (वाण), नी बा तलवार (धनुष, वज) वि=१-पाठ मुख २-तीन प्रांखें
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy