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१५४, वर्ष २४, कि० ४
अनेकान्त वि-तीन आँखे
व-ऊ ब दा अक्षमाला (पर), नी दा वरद मु ४-यक्षेश्वर (चतुरानन)
(पाश), ऊ बा कुल्हाड़ी (अभय मु), नी बा फल ती-अभिनन्दननाथ (बदर)
(वरद मु) वा हाथी (हंस)
वि-तीन प्रांखें श-श्याम
६-अजित (जय) हाचार
ती-पुष्पदन्त (मगर) वऊ दा सारस का पंख (सर्प), नीदा तलवार
वाकछवा (जाल), ऊ वा धनुष (वन), नी वा ढाल
श-सफेद (अकुश)
हा-छह (चार) ५-तुम्बर (तुम्बुरु)
वदा क्र प्रक्षमाला (शक्ति), माला (भक्षमाला), ती=सुमतिनाथ (चकवा)
वरद, मुबाक दान मु (फल), शक्ति (वरद मु), वा गरुड
फल श-श्याम हा-चार
ती-शीतलनाथ (कल्पवृक्ष) व-ऊ दा सर्प, नी दा दान नु (सर्प), ऊ बा सर्प, वा कमलासन (हंस) (फल) नी ब फल (वरद मु)
श-चन्द्रमा के समान उज्ज्वल वि-सों से लिपटा हुमा
हापाठ (चार) ६-पुष्प (कुसुम)
व=दा क्र वाण (जाल), कुल्हाड़ो (मकुश), तलवार ती पद्मप्रभु (लालकमल)
वरद मु, बा क्र धनुष (अभय म),दण्ड (वरद मु), वामग
ढाल, वज्र श-श्याम
विचार मुख हा=चार (दो)
११-ईश्वर (यक्षेट्) व-ऊ दा भाला, नी दा गदा, ऊ बा ढाल, (अक्ष- ती योनाम (गेडा हाथी) माला), नी बा अभय मु
वाल ७-मातंग
श-सफेद तोसुपार्श्व (स्वस्तिक)
हा-चार वा=सिंह (भेड़)
वऊ दा प्रक्षसूत्र (त्रिसूल), नी दा दो फल (अक्षश-काला
माला), ऊ बा त्रिशूल (फल), नीना दण्ड (वरद हा-दो व=दा शूल, (गदा) बा दण्ड (पाश)
वि-तीन पाखें वि-मुख टेढ़ा
१२-कुमार ८-श्याम (विजय)
वी-वासुपूज्य (भैसा) तीचन्द्रप्रभ (चन्द्रमा)
वा-हस (मोर) वाकबूतर
श-सफेद श-श्याम
हाचार हा-चार
व=ऊ दा गदा (धनुष), नी दा इष्टदान मु(वाण) ऊ