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________________ अभयकुमार परमानन्द जैन शास्त्री अभयकुमार शिशुनागवंशी राजा विम्बसार (श्रेणिक) बकरा भेजा । और कहा कि इसे खूब खिलामो-पिलायो, और नन्दश्री का पूत्र था। नन्दश्री वेणुग्राम के सेठ की परन्तु यह ध्यान रखना कि इसका एक तोला भी वजन विदूषी कन्या थी । वह बड़ी चतुर रूप और लवण्य सयुक्त न बढ़े । विप्र लोग इस आज्ञा से परेशान थे कि यदि सतो साध्वी थी। श्रेणिक का विवाह उसी के साथ हुआ बकरे को खूब खिलाया-पिलाया जायगा तो वह मोटा हो था। अभयकुमार उन्हीं दोनों का पुत्र था। वह पाठ वर्ष जायगा, उसका वजन बढ़ जायगा। और उसे खिलायाकी अवस्था तक अपनी ननिहाल में ही रहा। उसके पिलाया न जाय तो वह दुर्बल हो जायगा। तब उन्होंने पश्चात् माता और पुत्र दोनो ही राजगृह पा गए। अभयकुमार से कहा कि माप हमारी इस समस्या को हल अभयकुमार बाल अवस्था से ही चतुर बुद्धिमान और करें। कुमार ने उन्हें दिलासा दी और कहा कि घबरामो प्रतिभा सम्पन्न था। उसकी प्रतिभा विवेकशालिनी थी। नही जो मैं उपाय बताता हूँ उसे करो, तुम दिन में बकरे कई मामले क्यो न मा को खूब खिलामो-पिलानो, फिन्तु रात्रि में २-३ घंटे के जाय, फिर भी बह उससे घबराता नही था। वह सहन लिये गीदड़ के सामने बांध दो, इससे उसका वजन नहीं शील और तेजस्वी था। कठिन कार्य आने पर ही वह उस बढेगा और न कम होगा। चुनांचे एक सप्ताह बाद जब पर विचार करता और उसे हल करने के लिए अनेक उस बकरे को तौला गया तो उसका वजन न बढ़ा और न घटा-समवस्थित रहा-जितना था उतना ही उपाय काम में लाता। परन्तु वह कभी निराश नही रहा। हुप्रा। विम्बसार ने नन्दिग्राम के ब्राह्मणो को प्राज्ञा दी कि उसने अपनी बाल अवस्था मे नन्दिग्राम ब्राह्मणो की अच्छा बढ़िया दूध गाय, भैस, बकरी प्रादि किसी भी विपदामों का निराणरण किया था। उससे उसकी बुद्धि पशु का न हो, और न नारियल आदि फलों का हो । कई मत्ता का पता चलता है। यहां दो-तीन उद्धरण पाठकों घड़े दूध भिजवायो । ब्राह्मण लोग इस प्राज्ञा को सुनकर की जानज्ञारी के लिए दिये जाते है। स्तब्ध रह गए। उन्होंने विचार किया कि दूध जिन राजा श्रेणिक ने नन्दिग्राम के ब्राह्मणों के पास एक पशुओं का होता है, उसका उन्होंने निषेध कर दिया। १. तस्स णं सेनियस्य रन्नो पुत्त नंदाएदेवीए अत्तए अभए अब हम इस प्राज्ञा का पालन कैसे कर सकेगे। वे सब नाम कुमारो होत्था । घबड़ा गए । और वे अभय कुमार के पास गए और उनसे -निरवावलिका सूत्र २३ । प्रार्थना की कि राजकुमार प्रबकी आज्ञा तो ऐसी कठोर नस्साण सणियस्स पुत्ते नदाएदेवीए अत्तए अभए आई है कि हम उसके पालन करने मे सर्वथा असमर्थ है। नाम कमारो होत्था। अतः पाप हमे कोई ऐसा उपाय बतलाइये जिनसे हमारी -ज्ञाताधर्मकांग ० १ ०१ रक्षा हो सके । अभयकुमार ने कहा पाप धबड़ाइये नही, नोट-बौद्धो की थेरी गाथा अट्ठकथा में अभयकुमार प्रापका कार्य हो जायगा। राजकुमार ने कच्चे जो की को उज्जैन की पद्मावती बेश्या का पुत्र बतलाया है। ललियां मंगवाकर उनका दूघ निकलवा कर घड़ों मे किन्त दिगम्बर-श्वेताम्बर जैन परम्परा में उसे नंदश्री भरवा दिया और राजा बिम्बसार के पासभिजवा का ही पुत्र बतलाया गया है। दिया।
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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