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________________ वीर - शासन जयन्ती श्रावण कृष्णा प्रतिपदा दिनांक १६ जुलाई १९७० वीरसेवामन्दिर २१ दरियागंज के तत्वावधान मे श्री दि० जैन लाल मन्दिर चांदनी चौक दिल्ली मे वीर शासन जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया। उत्सव की अध्यक्षता दिल्ली विश्व विद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डा० रामचन्द्र पाण्डे ने की । सभा का प्रारम्भ जैन वाल आश्रम के छात्रों तथा जैन महिलाथम की छात्राओं के धार्मिक भजनों तथा गायनों से हुआ । सर्व प्रथम पं० परमानन्द शास्त्री ने वीर शासन जयन्ती के महत्त्व और उसके इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सर्व प्रथम धाचार्य जुगल किशोर जी मुस्तार ने वीरशासन जयन्ती मनाने की ओर लोगों का ध्यान प्राकृष्ट किया । तिलोय पण्णत्ती और घवला मे इस वात के सन्दर्भ मिलते है कि सावन कृष्णा प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय अभिजित नक्षत्र में प्रथम वाणी खिरी थीमहावीर के सर्वोदय तीर्थ का प्रवर्तन हुआ था । वीर सेवा मन्दिर के मंत्री श्री प्रेमचन्द्र जैन ने कहा कि वीर सेवा मन्दिर के लिए यह हर्ष और गौरव की बात है कि उसके संस्थापक प्राचार्य जुगल किशोर सुख्तार ने वीरशासनजयन्ती की शुरूआत की, जिसे हम प्रति वर्ष मनाते आ रहे हैं। इस वर्ष यह महोत्सव सर्व साधारण के हितार्थ दि० जैन लाल मन्दिर मे मनाया गया, उपस्थिति सन्तोष जनक थी। प० ० ० हुकमचन्द जी सलावा ने भगवान महावीर के सिद्धान्तो का विवेचन करते हुए कहा कि आज के युग में उनकी नितान्त प्रावश्यकता है। हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्य कार श्री यशपाल जैन ने आज के युग के सन्दर्भ में महावीर के उद्देश्यों की व्याख्या करते हुए बतलाया कि हम सब नेक और एक बने । भारतीय ज्ञानपीठ के मंत्री श्री लक्ष्मीचन्द जैन ने तीर्थ, तीर्थकर और शासन की व्याख्या करते हुए बतलाया कि वीर शासन जयन्ती की उपयोगिता तभी है जब हम भगवान महावीर के उपदेशो को अमल में लाये । प० बाबू लाल जी कलकत्ता, प० प्रकाश हितैषी भारिल्ल, तथा ला० प्रेमचन्द जैनावाच वालों ने भगवान महावीर के सिद्धान्त अहिसा अनेकान्त तथा अपरिग्रह को अमल में लाने पर बल दिया । डा० गोकुल चन्द जैन ने अपने भाषण मे बतलाया कि भगवान महावीर के चिन्तन और सिद्धान्तो की व्याख्या धर्म और दर्शन के दायरे से हटकर विश्व चिन्तन के सन्दर्भ में प्रानी चाहिए, अब तक प्रायः उनके सिद्धान्तो की व्याख्या धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोणों से की गई है आवश्यकता इस बात की है कि आज के युग के परिवेश मे उनके उपदेशों का मूल्यांकन समाज शास्त्र और लोक-कल्याण की दृष्टि से किया जाय । अध्यक्ष पद से बोलते हुए डा० रामचन्द पाण्डे ने कहा कि भगवान महावीर और उनके सिद्धान्तों के बारे मे विद्वानों ने जो कुछ कहा है वह निश्चय ही तथ्यपूर्ण है। इसलिए हमें उन्हे अपने जीवन मे उतारने का यत्न करना चाहिए । अन्त में वीरसेवामन्दिर के उपाध्यक्ष ला० श्याम साल जैन ने अध्यक्ष, विद्वानों एवं उपस्थित समस्त श्रोताओं को धन्यवाद दिया और महावीर की जय के साथ महोत्सव समाप्त किया । प्रेमचन्द जैन मंत्री वीर सेवा मन्दिर
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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