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वैबेही सीता
जल पवणहि प्रासासिव चेयणपतपिय॥ प्रवहीसर संवोहिय वय विहिसंगहिय । सण्णासें तणु छंडिवि पक्खिणि सग्ग गया ।। सुयसायर उवएसेविगिरि कंदरह ठिया । वयविहिकरि उज्जवणउ दंपइ परम सिया ।। काराविउ जणमणहरु मंगल विविह किया। वाणु पुज्ज विरयंतह णिर प्रावासठिया । सत्यपुराण सुणंतह सोलालंकरिया । परियणु पुत्तहि मडिय सुहसायरे रमहि ।। जिणवर जतकरावहि भोयण विहि समहि । तामकाल अवसाणे सल्लेहण मुणिवि ।। जिणवरिंदु अंच्चेपिणु पाराहण सुणिवि ।। परम मंतु सायंतहं बंपद अमरपुरे।
संपत्ते सुह पावहि सेविय विधिह सुरे। पवर विलासकर तहं सायर काल गया ।। मेरु जिणालय वंदहि दसण मूलरया । अण्णजि वयविहि पालहि ते अरिद तणु ॥ पुणु रिदकित्ति तणु पालिय जीवगण । मणिवरिंद वय पालि वि पावहि, मुत्तिसिया । पुष्व मुणिदहि भासिय, जह तह एह किया । सरसइ खमउ भडारी सुरणरथुवचरणा,
मह परमत्यपयासउ भवसायरतरणा। विज्जागंदिय सण साहारणभणिया। पंडिय सोहि पयासहु कोइल पचमिया ।। इति श्री नरेंद्रकीति शिष्य ब्रह्मसाधारण कृत कोकिला
पंचमी समाप्तः।
वैदेही सीता
श्री सुबोधकुमार जैन राम ने सीता को स्वयंवर मे पा ही लिया। दोनों दशरथ का माथा राम के कन्धे पर । दशरथ बेहोश । का विवाह हो गया और वापस अयोध्या पहुँचते-पहुँचते राम वैद्यों द्वारा बतलाई प्राथमिक परिचर्या में संलग्न । सचमुच में राम बदल गये । आत्मा-परमात्मा, अध्यात्म, जब वैद्यों ने बताया कि होश पा रहा है तो कुछ कर्मवाद, स्याद्वाद और अनेकान्तवाद की महत्वपूर्ण गोष्ठि- चैन से राम ने मां कौशल्या से पूछा-'मां यह सब कैसे याँ उनके प्रासाद में होने लगीं।
हुया ?' गुरु वशिष्ठ की भकुटी चढ़ी। और जब राम को यह
क्रोधित होते हुए जब कौशल्या ने चुपचाप बैठी सूचना मिली कि राजा दशरथ, मां कैकयी के कोपभवन
कैकयी की ओर देखते हुए कहा-'इससे पूछ।' तो राम में बेहोश पड़े हैं तो वे दौड़ पड़े।
और भी चिन्तित हो गये।
उन्हें इशारा मिल गया कि कोई गोपनीय और गूढ़ दरवाजे पर ही चिन्तित सीता मिली।
बात हुई है। राम ने पूछा-क्या हुआ ?'
गुरू वशिष्ठ और परिवार के व्यक्तियों के अतिरिक्त सीता ने बस इतना ही कहा-'प्रात्मशक्ति और सभी कमरे के बाहर हो गए। त्याग की परीक्षा का समय आ गया है, चूकना मत । दरवाजा बन्द होते होते फुकार मारती हुई केकयी शीघ्रता करो पिता जी की हालत खराब है।'
बोली-'मुझे बात बनानी नहीं पाती। मैं सीधी बात राम को पूरा उत्तर नहीं मिला, वे असमंजस में करना जानती है।' दौड़े।
फिर दशरथ की ओर अंगुली से दिखाते हुए वह