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________________ २०६, पब २३, कि० ५-६ अनेकान्त पद्य दो अर्थों को प्रस्तुत करता है, प्रथम अर्थ रामायण से १६ प्रमुदितवदना 13.४०.४१ सम्बद्ध है और द्वितीय पर्थ महाभारत से । वह संस्कृत १७ प्रहर्षिणी 5.६५, 8.६,८,२६, 9.५२: 14.१-२४; भाषा के विविष अर्थशक्ति का सुन्दर निदर्शन है । उसकी १८ मत्तमयूर 3.३६; 8१४,१६; 10.३७-३८; 13.१. संस्कृत व्याख्या सहित सम्पादित एक सुन्दर संस्करण की २८,३६, 14.२६, पावश्यकता थी। भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रो. खुशालचन्द्र १६ मन्दाक्रान्ता 13.४३; 14.३०; गोरावाला द्वारा सम्पादित द्विसन्धान महाकाव्य का प्रका- २० मालिनी 6.५१: 13.४२; 16.८३,८५; 17.87%B दान करके इस कमी को पूरा कर दिया है। इसके लिए २१ रथोद्धता 8.१२, 10.१.३.५७.६.११,१३,१५१७, सम्पादक और प्रकाशक दोनों धन्यवादाह हैं । १६,२०,२१२३ २५,२७,१६,३१,३३,३१, द्विसन्धान महाकाव्य में प्रयुक्त छन्द ४४, 17.४८,५६) २२ वसन्ततिलका 1.५२; 2.३०; 4.५५; 6.५२; 8.६, वृत्तनाम सर्गाः (पांग्लः) इलोकाः (नागरी) २२,५२, 10.४६, 11,३४,३८,३६१ १ अनुकूला 8.३०-३३; 12.४७,५१,५२, 14.३८-३६% 15. २ अनुष्टुभ 7.१-१४; १.१.५१, 18.१-१४४, ४६-४८.५० 16.८६-८७; 17.८६, ३ प्रपरवक्त्र 13.३७; 15.३४.४४; 18.६५-६६; ४ इन्द्रवज्रा 8.२१,२३,४१,४२,४४; 10.३६; २३ वंशपत्रपतित 8.१६; 17.८५-८६ ५ इन्द्रवशा 17.७६; २४ वशस्थ 1.१.५१; 6.१.४६; 10.४३; 11.३१; 13. ६ उद्गता 17.१.३६ ३३,३६, 17.७१,७२,८२; ७ उपजाति 2.३१, ३३33.१.३८,४०% 5.१.६४, २५ वियोगिनी 4.१-५४; 11.३६18.३१(समचरण); 6.४७-४८; 8.१८,२५,२८,२६, ३४.४०, 17.४१.४२ ४३,४५-४७, ४६,५१,५४,५५,५७; 10. वैतालीय व वियोगिनी एकच. ३६,४०, 11.३२,३३,३५,३६, 12.४८% २६ वैश्वदेवी 2.१.२६% 8.२७% 13.३०,३२,३५, 14.२५,२७-२८,३३-३६; २७ शार्दूलविक्रीडित 7६५; 14.३६, 18.१४५-१४६) 16.१-८२% 17.४५,४६,५३,५५,५७,६०, २८ शालिनी 2.३२; 3.४१-४२, 6.४६% 8.१०,५०; ६२-६४,६८,७३,७७% 11.१-३०,४०; 12.४६% 14.३२, 17. ८ औपच्छन्दसिक 10.४१४२; 13.३१ (विषम चरण) ४७,७०,७४७५,८०,८१,६०%3 17.४६,५४,६१,७६; २६ शिखरिणी 11.३७; 12.५०; 13.३४; 14.२६% ६ जलघरमाला 8.७,११,१३,१५,१७, 15.४६; 16.८४; 17.४०% १. जलोद्धतगति 8 २४; ३. स्वागता 5.६६; 10.२,४,६,८,१०,१२,१४,१६,१८, ११ तोटक 8.४७, ५३; २२,२४,२६,२८,३०,३२,३४, 14.३७) १२ द्रुतविलम्बित 5.६८; 6.५०; 8.१-५,२०; 17.५०,५२,५६,५६,६७,८८, १३ पुष्पिताग्रा 2.३४; 5.६७; 13.३८ 15.१-३३० दरिणी 3.४३: 5.६६: 8.५८% 10.४५: 13.२० 17.५८,८३ 15.४५; 17.६९ १४ पृथ्वी 13.४४; १५ प्रमिताक्षरा 8.५६:12.१-४६, 17.४३,४४,७८,८४;- धवला, राजरामपुरी, कोल्हापुर (महाराष्ट्र)
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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