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१८०, वर्ष २३ कि. ४
अनेकान्त
८. उनके स्वर्गवासी होने पर चाहड राजा हुए ।
क्षेमसिंह हुआ। है, चाह के भी स्वर्गगामी होने पर शत्रुहता नृवर्मा हए। ३४. एक दिन जैसिंह ने इस प्रकार विचार किया। १०. इन न्यायी नवर्मा के राज में प्रजा अत्यंत सुखो थी। ३५. नित्य एक प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराने वाले विल्ह और ११. नवर्मा के स्वर्गवासी होने पर प्रासल राजेन्द्र हुए।
गुणवान् प्रणग तथा सांभर राज के कृपापात्र क्षेमकर १२. विजय श्री इन पासलनरेन्द्र के सदा चरण चुमती थी।
ये नरपुंगव हुए। १३. इन्होंने अनेक शो को पराजित कर विपुल पृथ्वी ३६. हमारे कुल मे और भी बहुत से धन्यपुरुष हुए इस को अधिकृत किया था।
प्रकार विचार कर पलामकुन्ड के पास भव्य जिन१४. इनके राज्य में पौनलख देश मे नलपुर नाम का नगर मन्दिर बनाकर जैत्रसिंह ने पूर्वजों के नाम को रोशन था।
किया। १५. यहा जैसवाल वश जयवंत था।
३७. वह जिनमंदिर महान् सुन्दर और बडाही लाजवाब था। १६. इस वंश मे पहिले विवेकी साटदेव हुए।
३८. पौरवाड वंश में श्रीधर के भाई के पुत्र बुद्धिमान् १७. उनके श्रीकुमार नाम का पुत्र था।
नागदेव हुए। १८. श्रीकुमार के नागण नाम का पुत्र था ।
३९. नागदेव के दो छोटे भाई चाहड और गांगदेव थे तथा १६. नागण की धर्मपत्नी राजल्लदेवी थी।
दो पुत्र प्राम्रदेव और सोमदेव थे। २०. उनके राज्य-भूषण प्रसिद्ध त्रसिंह पुत्र हुआ । ४०. विद्वान् नागदेव ने महेन्द्र बनकर संवत् १३१६ में २१. जैनसिंह महादानी थे उन्होंने एक भव्य जिनमन्दिर इस चैत्यालय में प्रतिष्ठा की। बनवाया था।
४१. कुवादि-जेता अमरकीर्तिदेव और ज्ञानी वसंतदेव इस २२. उनकी धर्मपत्नी श्रीलक्ष्मी थी जो केशवदेव की प्रतिष्ठा में गुरु बने ।
४२. जैसवाल वंश मे धनी सेठ माधवराज हुए। २३. श्री (लक्ष्मी) ने सात पुत्रो को जन्म दिया।
४३. उनके पुत्र गुणवान् देवसिंह हुए। २४. प्रथम उदयसिंह था जो महान यशस्वी था।
४४. उनके वीरा नाम की पत्नी थी जिनसे सलक्षणसिह २५. साथ ही वह महा धनसपन्न और दानवीर था।
और कृत्यसिंह ये दो पुत्र हुए। २६. वह सब प्रकार के वैभवो से परिपूर्ण था।
४५. जस्सा साहू के पुत्र विजयदेव साहू थे जिनकी पत्नी २७. दूसरा पुत्र शृगार सिंह और तीसरा राजसिंह था।
शृगार देवी थी। २८. चौथा वीरसिंह और पांचवा लक्षणसिंह था।
४६. उनसे सहदेव और आम्रदेव ये दो जुगल पुत्र हुए। २६. छट्ठा रत्नसिंह और सबसे छोटा किन्तु गुणों में बड़ा ४७. परवाड़ वश में जाजे सेठ थे । सातवा नयनसिंह था।
४८. गुणों के भंडार सहदेव थे। ३०. साह उदयसिंह (प्रथम पुत्र) की पत्नी ने चार पुत्रों ४६. दानवीर मैनाक साह थे। को जन्म दिया।
५०. निर्मल हृदय वाले पाहड साहू थे । ३१. उनके नाम क्रमशः कर्मसिंह, देहसिंह, पद्मसिंह और ५१. साहूमों के मुकुट चाहड़ साह थे। धर्मसिंह थे।
५२. अनेक गुणो से युक्त वीचि साहू थे । ३२. शृगार सिंह (द्वितीय पुत्र) के दो पत्नियां थी शोभाल ५३. वे गभीरता में समुद्र और स्थिरता में पर्वत तथा
और दुमडा। तथा राजसिंह (तृतीयपुत्र) के एक दान में राजा बलि के तुल्य थे । पना नाम की स्त्री थी।
५४. कुधामिक बातों से दूर रहने वाले प्राभ साहू थे । १३. वीरसिंह (चतुर्थ पुत्र) के विजयदेवी थी। जिससे ५५. जिनधर्म मे दढ़ माढ और चाहड साह थे।
पुत्री थी।