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राजस्थानी लोककथाओं में अभिप्राय और
कथानक रूढ़ियों की सीमा रेखाएं
श्री रमेश जैन अभिप्राय, मनुष्य की प्रादिम काल से अब तक की जिसके पेट मे मात माह का बच्चा था। उसने भूत को ऐतिहासिक जीवन यात्रा में जीवन को जीने व रक्षित झासा दिया। कि वह इन सूनी हवेलियो मे अपने व्याहे करने के निमित्त प्रकृति से स्थापित सामंजस्य, अपनी मूल सात भाइयों को बसाने के लिए उन्हें बुलाने पीहर जाना वृत्तियों भय, त्राण, हर्ष विषाद मुख-दुख मे जिए अब तक चाहती है। भूत ने उसे इजाजत दे दी। भूतों मे शक्ति के मूल्य और उसकी परम्पग के प्रति मोह में निहित है। तो बहुत होती है पर उनमे प्रकल का प्रश भी नही होता।
अभिप्राय जीवन मूल्यो व विश्वासो की वह परम्परा विधवा बहू पीहर जाकर नहीं लौटी। है जिसे खुले आकाश के तले खडे मानव ने जीवन की उसको एक बेटा हमा। जो बारह साल की उम्र मे बारहखडी से प्रारम्भ करके, अब तक के ममद्ध व सम्पन्न ही बहुत शैतान हो गया था : गांव मे शरारत करता जीवन को इस सूदीर्घ अवधि में पाया है। इन मूल्यों व फिरता था। एक दिन नाई के लडके को झुरनी खेलत विश्वास के निर्माण मे वह सभी शामिल है जो उमने इस समय पटक दिया तो वह ताना मारता हुमा बाला एसा सुदीर्घ जीवन मे मीखा, जोडा और छोडा है। इम जोडने बहादुर बनता है तो अपने घर वाला का बदला चुका,
र पार बाहर की सभा शक्तियो जिन्हे भतो ने खा लिया है। बान मीधी लडके के कलेजे ने क्रियात्मक भाग लिया है। लोक जीवन में घुले इन जाकर लगी। मा से बोला-मा मच्ची बात बता । मैं अभिप्रायो को दीर्घ यात्रा कैसी रही, आदिम मूल्यों से
भून, प्रेत, राक्षस, जिन्द, खवीस कोई हो, घर वालो का लोक रूप तक का लेखा जोखा' प्रस्तुत निबन्ध का प्रयो
बदला लेकर छोड़ गा। मेरी बुद्धि पर भरोसा रख । मा जन नहीं है।
ने पहले टालमटूली की फिर अन्न मे सब बात बता दी। अभिप्राय स्पष्ट रूप से कथ्य अथवा कथानक
मंह में मागलिक गुड देकर उसने अपने बेटे को घरवालो (theme) और रूढि (type) से भिन्न है। थीम कथा का बदला लेने के लिए विदा कर ही दिया। का कथ्य या प्रयोजन होता है। कथ्य के प्रस्तुतीकरण में
उस गाव के लोगो के समझाने व रोकने के बावजूद, बुने कथा जाल मे अभिप्राय स्वतः ग्रहीत है। इस विचारणा
उसने हवेली मे डेरा जमाया । उस समय भूत अपने मित्र को स्पष्ट करन के लिए राजस्थानी की एक लोक कथा
से मिलने गया था। घमते-घूमते वह रसोई घर में 'उमर का परवाना ले ले । सक्षा में कथा यो है -
पत्वा । वहाँ उमने प्राटा, घी, गुड की सामग्री का ढेर ____एक बनिए के मात बेटे थे। बनिए ने सातो बेटो के
देख कर अनुमान किया कि भूत स्वय पाकी है। लौटने लिए अलग-अलग हलिया दुकाने व बाड़े बनवा दिये थे।
पर भखा होगा उम तयार रसोई उपलब्ध करा कर प्रसन्न पर होनहार को नमस्कार ! उसके मामने किसी का वश
करने का मुअवसर है। भूत को लौटने पर हलुए और नही चलता। उसी वस्ती में एक भूत का बसंग था।
मनुष्य को गन्ध प्राई। वह लडके पर झपटता है पर वह अपनी भूख और इच्छानुसार बारी-बारी सब को
लड़के के निश्चित भाव से हंसने पर पूछता है कि मै तुझे गटकता गया। अन्त मे छोटे बेटे की विधवा बहू बची
स्वाने वाला हूँ और तू हसता है। मुझे इसका कारण १. देखे लेखक के निबन्ध : मानव की ऐतिहासिक यात्रा, बता । लडका निशंक होकर बोला-मैने सारे दिन मेह
मूल वृत्तियों से सम्बद्ध अभिप्रायो का लोकीकरण। नत करके अपने मामा के लिए इतनी सफाई से रसोई २. बाता री फुड़वाड़ी भाग १: स.विजयदान देथा। बनाई, जिसका मुझे यह फल मिल रहा है। पिछले जन्म