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सम्राट का अधूरा सपना
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इतना कहने हुए सम्राट कुणिक उठ खडे हुए। सारी वे कहतेसभा खड़ी हो गई । जैसे ही सम्राट प्रोझन हुए, सभाग्रह 'हमारे ऊपर तुम्हें विश्वास नहीं है. तुम सही बात मे कोनाहल मच गया और तभी वस्सकार चिल्ला उठा- नही बता रहे हो।' 'मगधवामी मून लो, कान खोन कर सुन लो, मै तुम्हारी इतना कह, सदा के लिए वे उसके दुश्मन बन जाते। नगरी क सभी दुर्बल स्थानों को जानता हूँ। मैने ही कभी किसी लिच्छवी से वस्सकार कहता 'तुम्हारे तुम्हारे दुर्गों के आकार-प्रकार आदि बनवाए है। मैं तुम्हारा
। मैं तम्हारा यहाँ क्या शाक भाजी बनी है? और वही बात दिर वहाँ नाश कर दूंगा।'
होती। संन्यदल वस्सकार को बेडियों में कसकर खीचे तो किसी एक लिच्छवी को एकान्त में ले जाकर कहता. जा रहा था। कुछ लोग सहमे हुए उसकी बात के ऊहा- "तुम बड गरीब हो।" पोह मे खडे थे । युवक उसे भुजा हिला-हिला कर मार किसी को कहता-'तुम बडे कायर हो।' डालने की धर्माकयाँ देते हुए गालियां दे रहे थे ।
वे पूछते-'किसने कहा है ?' चतुर अमात्य वस्सकार की कूटनीति सफल हुई। तो वह उत्तर में किन्ही दूसरे लिच्छवी का नाम उसके बताए हुए तरीके पर सम्राट ने सभा मे सफल बता देता। नाटक किया। कोई नही समझ सका कि लिच्छवियो को इस प्रकार की कूटनीति से उसने कुछ दिनो मे धोखा देने के लिए यह जाल बिछाया गया है।
लिच्छवियो मे परस्पर अविश्वास और मनोमालिन्य फैला बस्मकार तिरस्कृत और अपमानित क्या हया कि दिया। अब वैशाली में आपसी कलह और मतभेद एक लिच्छवियो ने उसे अपने यहाँ प्राथय दिया एवं शीघ्र ही साधारण सी बात हो गई। एक राज्य का मन्त्री अगर उसे लिच्छवि गणतन्त्र का प्रामात्य बना दिया गया। स्वार्थी और घोखेबाज हो जाए तो सारे राज्य और प्रजा लोगो को वहाँ भरोसा हो गया कि मगध का भूतपूर्व महा- के चरित्र को वह कितना गिरा सकता है इसे वस्सकार मात्य अब उन्हे मगध का विनाश कराने मे अत्यन्त सफ- ने अपने २-३ वर्ष के मन्त्रित्व काल में ही वैशाली में रह लता पर्वक मत्रणा देगा।
कर दिखला दिया। थोडे ही दिनो मे वस्सकार ने वैशाली में अपना इस प्रकार कपट पूर्वक उसने जब पैशाली के जन जन प्रभाव डालना प्रारम्भ कर दिया। उसने बुद्ध की बातों में कलह और घृणा का बीज बो दिया तो इस चतुर से समझ लिया था कि लिच्छवियो मे बिना फट का बीज अमात्य के सकेत पर सम्राट अजातशत्र कुणिक तीन वर्ष के बोए उनको हराया नही जा सकता, और वह अपने पद उपरान्त अपनी सारी शक्ति के साथ वैशाली पर टूट पड़ा। का सपूर्ण लाभ उठा कर उनको प्रापस में लडवाने के पूरे नियमानुसार वैशाली में सकट की भेरी बजवाई प्रयत्न मे लग गया।
जब कभी बहुत सारे लिच्छवि एकत्र होते, वह उनमे ___-'सभी नागरिक चलं, शत्रुओं को गगा के पार न से किसी एक को एकान्त मे ले जाता और पूछता- होने दे।' -खेत जोतते हो?
परन्तु कोई प्राया? कोई नही पाया । -हाँ जोतते है।
मगध की सेना ने गगा पार कर ली। -'दो बैल से ?'
दूसरी बार सकट की भेरी फिर बजी। -हाँ, दो बेल से ।
-'शत्रुओं को नगर में नहीं घुसने दो। द्वार बन्द दूसरे लिच्छवि उससे पूछते कि महामात्य ने क्या कर अन्दर रहो।' कहा । जब वह सारी बात बताता, तो उन्हे विश्वास नही परन्तु कुछ प्राये, जो नही पाए वे कहते सुने गएहोता कि महामात्य ने ऐसी साधारण बात कही होगी। -'हम तो गरीब हैं, हम क्यो लड़ेगे।'
गई।