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________________ अखिल भारतीय जैन जनगणना समिति आवश्यक-पत्र मान्यवर, सादर जयजिनेन्द्र ! ३-४ अक्तूबर १९९० शनिवार, रविवार को दिल्ली जैसा कि प्रापको विदित ही है कि देश की जनगणना में प्र० भा० जैन जनगणना समिति के अन्तर्गत जैन फरवरी १९७१ में हो रही है। भारत में जैनियों की सम्मेलन का प्रायोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक संख्या एक करोड़ से कम नहीं है, किन्तु पिछली जनगणना प्रान्तों से जैन जनगणना समिति के प्रतिनिधियों एवं सभी में केवल २० लाख प्रायी है। इस सम्बन्ध में प्रापको सम्प्रदायों के कार्यकर्ताओं को प्रामत्रित किया जायेगा। सेवा में पत्र प्रादि भेजे गये हैं, जिससे आपको अखिल जिसमें केन्द्रीय समिति का पूर्ण गठन तथा जनगणना के भारतीय जैन जनगणना समिति" की गतिविधियो की कार्य को व्यापक रूप से चलाने के लिए योजनाओं पर जानकारी मिली होगी। विचार-विमर्श होगा। आप समाज के एक स्तम्भ हैं। माप जानते ही है कि यह एक बड़ा महत्वपूर्ण कार्य प्रापका सहयोग समाज के प्रत्येक कार्य में मिलता रहा है। माज जिस समाज को शक्ति सगठित है उसकी बात है। हमें प्राशा है कि प्रापने इस महान कार्य में भी अपना का महत्व है । जैन समाज में प्रनको जाति, गोत्र, सम्प्र- योगदान दिया होगा जिसके लिए समिति प्रापको प्राभारी वाय है। जिन्हें हम अधिकतर अपने नाम के साथ लिखते है। यदि किसी कारणवश आप अपने बहुमूल्य व्यस्त हैं। जनगणना में उपजाति लिखाने के कारण समाज को जीवन में से इस महान कार्य के लिए समय न भी निकाल बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। सके हों तो आपसे निवेदन है कि आप अपने क्षेत्र व अन्य प्रागामी होने वाली जनगणना मे जैन समाज को क्षेत्रों में जहां-जहां प्रापका योग अनिवार्य हो वहां समय भूल सुधार कर अपन साथ जंन बताना एक धम के कालम अवश्य दे। क्षेत्रीय समितियों का गठन कराये तथा महिला न०१० में जैन लिखाना मावश्यक है। तभी इस महान समाज, स्वयसेवक एवं अन्य कार्यकर्तामो को तैयार करें कार्य मे सफलता प्राप्त हो सकती है। आप यह भी जानत कि वह अग्रसर होकर इस सन्देश को अपने हाथों में लेकर हैं कि यह काय किसी एक सम्प्रदाय या सस्था का नही, घर-घर, गांव-गांव पहुंचे। इस सम्बन्ध में जो-जो कार्य प्रत्येक जन का है । जैन समाज भारत क कोने-कोन म करने हैं उसका विवरण निम्नलिखित है, इसके अतिरिक्त रहती है और हमे उपरोक्त जानकारी प्रत्येक घर-घर मे जानकारीमा उपरोक्त पते पर प्राप्त कर सकते पहचाना है। हैं। ३-४ अक्तूबर को होने वाले सम्मेलन में सम्मिलित इस कार्य हेतु देशव्यापी प्रचार हो रहा है, प्रान्तीय सोने के लिए अन्य कार्यों से बचा कर रख । व क्षेत्रीय समितियो का गठन कर इसके व्यापक प्रसार का प्रयास प्रारम्भ है। कई प्रान्तो व क्षेत्रों की समितियों १-प्रप्येक जैन अपने को केवल "जैन" ही लिखाये का गठन हो चुका है। जिनका काय सुचारु रूप से अन्य कोई जाति, गोत्र, सम्प्रदाय न लिखायें। चलना प्रारम्भ हो गया है। अन्य स्थानों पर भी समि- २-जनगणना के लिए सरकार द्वारा भेजे गये प्रषितियां गठित हो रही हैं जो अपना कार्य सुचारु रूप से कारी धर्म के कालम में केवल "जन लिखें अन्य प्रारम्भ करेंगी। जनगणना समिति के अधिकारी देश का किसी प्रकार का कोई सम्प्रदाय, गोत्र, जाति प्रावि भ्रमण कर समितियों के गठन कराने के प्रयास में लगे चिन्हों को नहीं लिखें इसका घर-घर, गांव-गांव में व्यापक प्रचार करना।
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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