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अनेकान्त
स० ११५७) है। तथा दो लाईन के बाद यह लेख खण्डित यह सब देने का कारण यह है कि, इन राज पुरुषों या अपूर्ण है । उसके बाद शायद ऊपर को पूरक ऐसा लेख को एलिचपुर के राजा श्रीपाल उर्फ ईलके ही वंशज माना है । उसका काल शक स० १०६४ (ई० स० ११७२) जाता है। क्योंकि खेरला यह गांव श्रीपाल राजा के है । यह लेख एक वापिकादान के हेतु उत्कीर्ण होने से आधीन था इतना ही नही किन्तु वहाँ के किले में वह रहता इसमें इन राजाओंके कर्तृत्त्व या इतिहास पर खास प्रकाश था। (प्राचियॉलाजिकल सर्वे आफ इण्डिया, न्यू सिरीज, नहीं पड़ता। तो भी इस शिलालेख का प्रारंभ 'जिनानु- वाल्यूम १६ पृष्ठ ४५) कितनेक खेटक को खेडला भी सिद्धिः से शुरु होने से ये राजा ई० स० १२५७ में जैनधर्मीय कहनेसे खटइल-खेडइल-ऐसे उत्पत्तीके साथ राजा ईल ने ही थे और बाद एकादशी व्रतमान्य वेदधर्मीय बने ऐसा उलेख बसाया है। ऐसा ही मानते है । इसी ईल राजा के वश है । उसका काल काल ई० स० ११७२ दिया है। में जयतपाल राजा हुा । देखो लिस्ट एन्टिक्वेरियन् रीमेन्स इस समय जैतपाल राजा थे । उनको मराठी के पाद्य- २
इन द सेंट्रल प्रॉव्हन्सेस अंड बेरार-कमेन्स, १८९७, पृष्ठ कवि मुकुदकाज ने वेदधर्म का उपदेश देकर ब्रह्म साक्षात्कार
४६ । तथा बैतूल गजेटियररसेल, १७०६ पृष्ठ २६, और कराया था। ऐसा उल्लेख स्वयं मुकंदराज ने शक स०
बेरार गजेटियर-सर प्राल्फेड लायस पृष्ठ ११४) इस १११० (ई० स० ११८८) के 'विवेक सिधु' नामके ग्रंथ
लेख में प्रो. वाबगावकरके अनुसार-राजा श्रीपाल, में किया है। और उस समय राजा सारंगधर राज्य कर "
जयतपाल के १५० साल पहले हुमा, ऐसा बताया है। रहा था ऐसा भी बताया है।
डॉ० य० खु० देशपांडे, राजा श्रीपाल की मृत्यु ई० इस शिलालेख से यह स्पष्ट होता है की, ई० स०
स. १०७५ के दरम्यान मानते है। साथ में यह भी मानते ११५७ से ११७२ तक जैतपाल राज्य कर रहा था । अगर
कि राजा श्रीपाल के साथ मुहम्मद गजनी का भांजा दुल उसका राज्य काल इस मर्यादा के आगे पीछे पांच साल
- अब्दुल रहमान का खेडला और एलिचपुर के पास युद्ध याने ई० स० ११५२ से ११७७ तक ऐसे २५ साल माने
हुआ था। इस समय मुहम्मद गजनी जिन्दा था । मुहम्मद जाएं तो ई० स० ११७७ से ११८८ के दरम्यान ही उसका
गजनी का काल प्रायः ई. स. ९ से १०२७ है । और अंतिमकाल निश्चित होता है । तथा बडनगर प्रशस्ति के
'तवारिख-इ-अभजदिया' के अनुसार श्रीपाल विरुद्ध अब्दुल प्राधार पर अनेक इतिहासकारीका अभिप्राय कि रहमान का युद्ध ई० स० १००१ में हुमा । तो इस काल राजा बल्लाल की मृत्यु ई० स० ११५१ मे या इसके पूर्व
मे १०-१५ साल का अतर पड सकता है । ७५ साल का ही हुई है । अतः जैतपाल ई० स० ११५१ से ही राज्यारूढ़
का अंतर नही पा सकता । निदान १०२७ के पहले श्रीपाल होंगे।
की मृत्यु माननी ही पड़ी। राजा बल्लाल के राज्य करने के उल्लेख प्रायः ई० इससे राजा श्रीपाल तथा नृसिंह तक चार पीढ़ी हो स० ११३५ के मिलते हैं। क्योकि लक्ष्मीशंकर व्यास जी गई हो ऐसा लगता है । क्योंकि इनमे १०० साल का प्रतर इस सम्बन्ध में लिखते हैं कि, ऐतिहासिक तौर पर इस है। इन को साधनेवाला प्रमाण मिल जाय तो एक लप्त बल्लाल का पता लगाना कठिन है। इतना तो निश्चित है प्राय दिगंबर जैन राजवंश का पता चल जायगा। बताया कि, बल्लाल ने ई०स० ११३४-४० मे यकायक राज्य जाता है कि, खेरला के किले में एक और शिलालेख है। प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की हो। इससे कम से कम उसको देखने पर या उसके प्रकाश में आने पर अधिक यह बल्लाल ई० स०११६५ से ११५० तक राज्य करता संशोधन हो सकता है। रहा यह स्पष्ट है। वैसे ही उसके पिता नसिह-नरसिंह का या प्रारम्भ में जिस ऊन क्षेत्र का उल्लेख किया, वहाँ राज्य काल ज्यादा से ज्यादा ३५ साल भी माने तो भी के मूर्तिलेखों का या खण्डहरों का अधिक बार किसी विद्वान ई० स० ११०० से ११३५ तक हो सकता है। निदान द्वारा अध्ययन हो जाय तो भी इस राजवंश पर अधिक प्रकाश इसके पीछे तो जा नहीं सकता।
पड़ने की संभावना है। क्योंकि वहाँ के प्राचीन मतिलेखों