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________________ भारत में वर्णनात्मक कथा-कोष २७५ रूप दे सकता है। इन जातकों ने न केवल बुद्ध के बुद्ध के पूर्व भवों की ही बात कही जाती है, वहाँ अपदान व्यक्तित्व की महत्ता को और भी महान बना दिया है मे सामान्य रूप से परन्तु सदा ही नही किसी भी प्रर्हत् अपितु कर्म और पुनर्जन्म की भावनाप्रो को भी चुपचाप के पूर्व भव की बातें कही जाती है । अपदान मे भी कितने प्रसारित कर दिया है एवम् समाज की सामूहिक भलाई ही सतो की अच्छी जीवनियाँ है। कुछ तो थेर, और के नैतिक मानक भी स्थापन कर दिये है। जातक रूप मे थेरी-गाथा के सुप्रसिद्ध भिक्षु और भिक्षुणियों जैसे ही है। प्रस्तुत की जाने वाली कुछ कहानियाँ तो सूत्रों से पहले से ये कहानियाँ सामान्यतः प्रथम पुरुष मे ही कही गई है। ही साधारण कहानियो के रूप मे मिलती है। यदि उनमे इनमें कितने ही नाम तो ऐतिहासिक है। इनमें कितने ही से बोधिसत्व का व्यक्तित्व, और विशिष्ट बौद्ध दृष्टिकोण नाम तो ऐतिहासिक ही है और सारिपुत्र, मानन्द, राहुल, एवम् परिभाषा निकाल दी जाए तो हम सहज ही में देख खेमा, किसा-गोतमी, जैसे कुछ व्यक्ति तो बौद्ध परम्परा सकेगे कि उनमे रूप कथाएं, पौराणिक गल्पे, पाख्यान, मे दूसरे प्राधारों से भी सुप्रतिष्ठित और सुख्यात है। साहसी और रोमानी कहानियाँ, नीति की कथाएं और परन्तु अधिकांश कहानियो का ढाँचा और विषय बिलकुल उक्तियों और सिद्ध-पुरुषो की जीवनियाँ सभी समाविष्ट वैचित्र्यहीन है। ऐमा लगता है कि उनकी रचना पारहै । ये सब भारतीय लोक-कथाओ के उस सामान्य भण्डार माथिक या और किसी कार्य को गौरवान्वित करने के से ही ली गयी है जिनका कि भिन्न भिन्न धार्मिक सम्प्रदायों लिए ही विशिष्ट रूप से की गई है। टीकाकार बुद्धघोष ने अपनी दृष्टि में अपने लिए उपयोग किया है। और धर्मपाल दोनो ही ने जातक और अपदान दोनों इन जातक कथाओं से दूसरे ही प्रकार की प्रपदान प्रकार का मन प्रकार की अनेक कथाए अपनी अनेक टीकामो में उद्धत कथाएं है जिसमें नायक के पूर्वभवो की कथा इस दष्टि से की है और ये सब मिला कर बोद्ध वर्णनात्मक कथानों दी गई है कि अच्छे और बुरे कर्मों पर और आगामी भव का एक महत्व का समूह या सग्रह है। इन सभी कथामों मे उनसे प्राप्त होने वाले परिणामों पर पर्याप्त जोर दिया में धार्मिक प्र . में धार्मिक और वैरागिक भावनामो की रक्षा करने की जा सके। ये साहसी कर्मों की कहानियां है, याने नर प्रवृत्ति बिलकुल ही स्पष्ट है। (क्रमशः) और नारियो के पुण्य और धार्मिक कार्यों की। 'जातक ६. उदाहरणार्थ देखो, हारवर्ड प्रो सिरीज भा० २८-३०, की तरह ही अपादान मे' पूर्व भव की कथा और 'वर्तमान केम्ब्रिज मसे. १९२१ मे वरलिंगम का लेख बुद्धिष्ट भव की कथा' तो होती है, परन्तु जातक में जहाँ सदा लीजेण्ड्स । भगवान महावीर और छोटा नागपुर __ श्री सुबोधकुमार जैन मगध से उत्कल प्रदेश (उड़ीसा) जाते हुए तीर्थकर खण्डगिरी और उदयगिरी की यात्रा की, तभी इन सभी महावीर, विहार के छोटा नागपूर प्रदेश से गुजरे । मान- क्षेत्रों के महत्व पर दृष्टि अनायास गई। मानभूमि और भूमि और सिंहभूमि का यह इलाका उन सभी यात्रियो सिंहभूमि उडीसा से सटे हुए स्थल है। वर्धमान महावीर को पार करना ही पड़ता था जिन्हे बग देश या मगध से की वाणी ने उड़ीसा के जनमानस पर प्रपार प्रभाव डाला उत्कल जाना हो। था । जिस प्रकार मगध के ख्यातिप्राप्त जैन सम्राट चन्द्रतीर्थंकर महावीर के उपदेशो से इस प्रदेश की जनता गुप्त, सम्प्रति प्रादि हुए उसी प्रकार यहाँ के सम्राट खारअत्यन्त प्रभावित हुई और देखते-देखते जैन धर्म यहाँ वेल भी अपने काल के महान जैन राजनेता और वीर प्रथित और पल्लवित हुआ। दो वर्ष पूर्व जब मैं उड़ीसा ऐतिहासिक नरपुंगव हुए थे। आज भी उड़ीसा वाले इस के भुवनेश्वर नगर पहुंचा और वहां के मशहूर जैन तीर्थ जैन सम्राट् खारवेल का नाम गौरव पूर्वक लेते हैं।
SR No.538022
Book TitleAnekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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