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६. कविताएं
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युगगीत-काशीराम शर्मा ८११६२ युग परिवर्तन-मनु ज्ञानार्थी साहित्यरत्न १२१३४२ युगान्तर हमारा लक्ष्य-भगवत जैन २१६३८ युवकों से-कल्याणकुमार शशि ११३०३
रामगिरि पार्श्वनाथ स्तोत्र-जुगलकिशोर १११७३
वर्णी बापू-सौ० चमेली देवी १०१११६ वासनायो के प्रति-श्री भगवत जैन ५।२६२ विधि का विधान-युगवीर किरण ६ का टा• पृ. १ विनय स्वीकारो-प. सूरजचन्द ७।१५८ वोर निर्वाण-कल्याणकुमार शशि २२ वीर वन्दना-युगकीर १०।१२१ वीर वन्दना-युगवीर ११११ वीरवाणी-युगवीर १०२ वीर वाणी-भगवन्त गणपति गोयलीय ११६६ वीर वाणी-कल्याणकुमार 'शशि' २२२२६ वीर प्रभु की वाणी-युगवीर वर्ष ३ कि० १ टा. ३ वीर शासन-प. हरिप्रसाद शर्मा २।१५४ वीर शासन जयन्ती-श्री सोमप्रकाश शर्मा ४।३६४ वीरशासनपर्व का स्वागत गान-वैद्य प्रोमप्रकाश ७।२०६ वे प्रार्य-प. रतन चन्द्र २१६५७
सखि पर्वराज पर्यषण पाये-'मनु' ज्ञानार्थी १३१६१ सच्चा कर्म योगी-श्री माधव शुक्ल ८।४७ सच्ची खोज-प. दरबारीलाल कोठिया १७७ सत्कर्म सन्देश-पं. नाथूराम प्रेमी १२६२ सत्मग अज्ञात- २१३३४ सना का अहकार-चैनसुखदास ६।११ मत्य वचन माहात्म्य-मुन्नालाल मणि १३।७२ सन्देश-पुष्पेन्दु ७१३ सन्देश-सन्देश-भगवन्त गणपति गोयलीय १।१६४ सफल जन्म-भगवत जैन ३१४८ समन्तभद्र स्तोत्र-युगवीर १४१२ समय रहते सावधान-कवि भूधरदास ॥१८६ समर्पण-बाबू जयभगवान १७१४७ समस्या पूति-पं. दरबारीलाल १२२५२ समाज सम्बोधन-युगवीर ११४४६ सम्यग्दृष्टि-कवि बनारसीदास ६।१६७ सलाह-श्री शरदकुमार मिश्र ६।२४८ समार की सपत्ति कैसी-बनारसीदास ॥३१० संमार वैचित्र्य-श्री ऋषिकुमार ४३६६ साधु-विवेक-प. दलीपसिंह कागजी वर्ष ६ कि० ५
टाइटिल १ साधु विवेक-दलीपसिंह कायजी १२४२६ सिकन्दर प्राजम का अन्त समय- ४३१६ सुख का उपाय-युगवीर टाइटिल कि०६, १ सुख का सच्चा उपाय-युगवीर १।१२६ स्वपर-गुण पहिचान रे-कविवर बेबीदास १११३०२ स्वभाव तेरा धर्म है-वसंतकुमार बन १६६२५८ स्वार्थ-श्री चित्र २२१५ स्वागत गान-ताराबन्द्र प्रेमी ११३८ स्वागत गान-कल्याणकुमार 'शशि' २२
शरद सुहाई है-प. मुन्नालाल 'मणि' ११६५४ शान्ति-श्री नूतन ११५०४ शिक्षा-ब. प्रेमसागर 'पचरत्न' ३१६५६ श्रद्धांजलि-अनूपचन्द जैन न्यायतीर्थ श्रद्धांजलि-श्री व्रजलाल जैन ६।२३२ श्री जंबू जिनाष्टक-पं. दरबारीलाल कोठिया VIE श्री जिनाष्टक पदी-पं. घरणीघर शास्त्री ४.३०२ श्री वीर की प्रमली जयन्ती-पं. मर्जुनलाल सेठी १५३६४ श्री वीर जिन पूजाष्टक-जुगलकिशोर मुख्तार १३६१२२ श्री वीर पंचक-पं. हरनाथ द्विवेदी ५७४
हम प्राजादी के द्वार खड़े हैं-पं. काशीराम शर्मा ८.१५३ हम तुमको विभु कब पाएंगे-श्री हीरक ६।२४५ हमारा जैनधर्म-प. सूरजचन्द जी डांगी २।३९८ हल्दी धारी-श्री भगवत जैन १६४
संकट का समय-श्री भगवत बैन ।१३३ संत विचार-पं. भागचन्द जी १४२०