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प्रकाशकीय
जैनधर्म और जैन संस्कृति की यह पत्रिका अपने इतिहास और लेखों की वर्गीकृत सूची के साथ प्रस्तुत है; इसमें अनेकान्त के अब तक के प्रकाशित ११२ अंकों की उल्लेखनीय सामग्री का दिग्दर्शन भी कराया गया है । और वह अनेकान्त के जिस वर्ष के जिस अंक में प्रकाशित हुई है उसका भी उल्लेख अंकों द्वारा स्पष्ट किया गया है।
इस सूची के निर्माण करने में काफी श्रम करना पड़ा है। पं. गोपीलाल जी 'अमर' ने हमारी प्रेरणा से अनेकान्त के इतिहास को तथा लेखकों के नाम और लेख सूची का वर्गीकरण किया है, इसके तैयार करने में उन्हें काफी समय लगा है। तैयार होकर पाने के बाद उसके संशोधन में तथा छपने में भी बिलम्ब हआ है। इस सहयोग के लिए गोपीलाल जी 'अमर' का जितना आभार माना जाय वह थोड़ा है। उन्होंने यह कार्य बिना किसी स्वार्थ के किया है, जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। आशा है भविष्य में उनका उचित सहयोग प्राप्त होता रहेगा।
अनेकान्त के इस साहित्य इतिहास अंक के प्रकाशन में आशातीत विलम्ब हो गया है, पाठकगण उसकी उत्कंठा के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं । इस विलम्ब के कई कारण हैं । रचनामों को समय पर न मिलना, दूसरा कारण अनेकान्त की ऐतिहासिक साहित्यिक सामग्री का वर्गीकरण करने में अधिक समय लगना तीसरे प्रेसकी अव्यवस्था, उसमें छपाई का काम अधिक होने से हरा है। इसके लिए हम पाठकों से क्षमा चाहते हैं। यह ग्रंक पाठकों को देर से अवश्य मिल रहा है, पर उसमें प्रकाशित सामग्री उनका अनुरंजन अवश्य करेगी।
भविष्य में अनेकान्त के प्रकाशन में विलम्ब न हो, वह समय पर प्रकाशित होता रहे, इसके लिए प्रयत्न किया है। प्राशा है पागे हम उसके समय पर प्रकाशन में समर्थ हो सकेंगे।
प्रेमचन्द जैन प्रकाशक 'अनेकान्त'
अनेकान्त को प्राप्त सहायता अनेकान्त को जिन सज्जनों ने सहायता भेजी या भिजवाई हैं वे सब धन्यवाद के पात्र हैं। माशा है दूसरे महानुभाव भी इसका अनुकरण करेंगे। सहायता निम्न प्रकार है :१०१) सहायता पनेकान्त, बाबू निर्मलकुमार जी, कलकत्ता । २२) बा. मानमल जी जैन, दो बार कलकत्ता। २१) जगमोहन जी जैन धर्मपत्नी श्री सुमित्रा देवी, कलकत्ता। ११) ला. इन्द्रलाल जैन दरियागंज, विवाहोपलक्ष में निकाले हए दान में से। ११) सेठ भंवरीलाल जी कासलीवाल ।