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अनेकान्त
सेठ हीराचन्द जी, नेमीचन्द जी शोलापुर ने मराठी में २१. स्वयंभू स्तोत्र (हिन्दी अनुवाद प्रस्तावनादि), प्रकाशित कराया था)।
२२. युक्त्यनुशासन (हिन्दी अनुवाद प्रस्तावनादि), २३. ५. महावीर जिन पूजा, ६. बाहुबली जिन पूजा, ७. देवागम (हिन्दी अनुवाद प्रस्तावनादि), २४ समीचीन अनित्य भावना हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित, धर्मशास्त्र (हिन्दी भाष्य प्रस्तावनादि), २५. समाधि८. सिद्धिसोपान हिन्दी अनुवाद सहित, ६-१०. वीर पुष्पां- तन्त्र (प्रस्तावनादि), २६. सत्साधुस्मरण मंगलजलि और युगवीर भारती ('मेरी भावना', 'मेरी व्य पाठ (हिन्दी अनुवाद), २७. अध्यात्मकमल मार्तण्ड पूजा' आदि अनेक काव्य कृतियो का संग्रह) ।
(प्रस्तावनादि), २८. प्रभाचन्द्र का तत्त्वार्थ सूत्र (सानु११. युगवीर निबन्धावली प्रथम भाग (इसमें कुल
वाद व्याख्या और प्रस्तावनादि), ६. कल्याण कल्पद्रुम ४१ निबन्ध हैं जिनमें 'जिन पूजाधिकार मीमासा', विवाह
(भाष्य और प्रस्तावनादि), ३०. तत्वानुशासन (भाष्य समुद्दे श सेवाधर्म, हम दूःखी क्यों है ? उपासना तत्व,
और प्रस्तावनादि), ३१. अध्यात्म रहस्य (हिन्दी व्याख्या अनेकांत रसलहरी, सुधार का मूलमन्त्र, परिग्रह का
प्रस्तावनादि), ३२. समाधि मरणोत्साह दीपक (हिन्दी प्रायश्चित्त आदि अलग से प्रकाशित ट्रेक्ट भी सग्रहीत हैं)।
व्याख्या प्रस्तावनादि), ३३. योगसार प्राभृत (हिन्दी
भाष्य प्रस्तावनादि), ३४. रत्नकरण्ड श्रावकाचार (विशाल १२. युगवीर निबन्धावली द्वितीय भाग (इसमें कुल
प्रस्तावना प्रभाचन्द्र टीका युक्त), ३५. स्तुति विद्या , ६५ निबन्ध है जिनमे 'विवाह क्षेत्र प्रकाश' आदि अलग
(विस्तृत प्रस्तावना) । ३६. 'अनेकात' का अनेक वर्ष प्रकाशित ट्रेक्ट भी सग्रहीत है)।
तक सम्पादन और उममे अनेक निबन्धों का प्रणयन । १३. समन्तभद्र विचार दीपिका, १४. जन-साहित्य अन्य पत्रों में प्रकाशित निबन्ध आदि । और इतिहास पर विशद प्रकाश (इसमे कुल ३२ लेख है
इस तरह यह महाभारत और अष्टादश पुराणो के जिनमें-'भगवान् महावीर और उनका समय', 'स्वामी समन्तभद्र' आदि अलग से प्रकाशित ट्रेक्ट भी सम्मिलित
रचयिता व्यास की तरह हो आपकी विशाल साहित्य सेवा
है जो आपको सिद्ध सारस्वत और श्रुतयोगी निर्दिष्ट १५. सन्मति सूत्र और सिद्धसेन (अग्रेजी अनुवाद),
करती है। १६. पुरातन जैन वाक्य सूची (इसमें १७० पृष्ठ की आपका साहित्य वास्तव में ही सद्सद् विवेक को विशाल प्रस्तावना भी है), १७. भवाभिनन्दी मुनि और जागृत करनेवाला, युगानुसारी, समीचीन दिशा निर्देशक, मुनि निन्दा ।
मौलिक, कलात्मक और वैज्ञानिक है। १८. नये मुनि विद्यानन्द जी की सूझबूझ, १६. बाबू अन्त मे हम पाण्डित्य विभूति प्रतिभामूर्ति श्री मुख्तार छोटेलाल जी की आपत्तियों का निरसन, २०. जैनाचार्यों सा. की पुनीत स्मृति को दिल में सजोये हुए उनके प्रति का शासन भेद।
सादर श्रद्धाजलि समर्पित करते हैं। प्रलप यकी फल दे धना, उत्तम पुरुष सुभाय । दूध मरे तृण को चरं, ज्यों गोकुल की गाय ॥ जेता का तेता करे, मध्यम नर सम्मान । घटे बड़े नहि रंचहू, धरचो कोठरे धान ।। बीजे जेता ना मिले, जघन पुरुष की बान । जैसे फट घट घरघो, मिल प्रलप पयथान ॥
-बुधजन