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________________ १८४ अनेकान्त विभाग में जहाँ भगवान का बिहार और निर्वाण हुआ था कार्य के लिये खर्च करने का सकल्प कर कार्यकर्ता बाढ़उस क्षेत्र में भगवान महावीर कल्याण केन्द्र के नाम से ग्रस्त विभाग मे पहुँचे । तीन महीने रहे और वहाँ सूरत काम करने का निश्चय किया। इस विभाग मे ४०० गॉव तथा भडौच जिले में आवश्यक काम किया। जितनी के लिए ४० रसोड़े पाँच महीने तक चलाए गये। वहाँ आवश्यकता थी उतनी सहायता कर अब भगवान महावीर स्थानकवासी समाज के बुजुर्ग कार्यकर्ता गिरधर भाई कल्याण केन्द्र के कार्यकर्ता अब राजस्थान के अकालग्रस्तों दफ्तरी भी गए थे जो ममाज से रुपया एकत्र करने में की सहायता को पहुँच गये है। कुशल है। जिसमें २० रसोडे एक पैसे मे एक रोटी के राजस्थान में स्थिति अत्यन्त भयानक है। खासकर हिसाब से भोजन दिया और २० रसोड़े मुफ्त मे भोजन जैसलमेर, बाडमेर, जोधपुर तथा बीकानेर का कुछ हिस्सा बांटने के कार्य में व्यस्त हो गए। महावीर कल्याण केन्द्र भयानक अकाल की चपेट मे आया हुआ है। वहाँ पशुओं कार्यकर्तामो ने ऐसा व्यवस्थित कार्य किया कि बिहार को चारा और पानी न मिलने से बहुत बड़ी संख्या में मर रिलीफ सोसाइटी, मद्रास के जैन संघ, परदेशी संस्थाओं रहे है। हजारो नहीं, पर कहा जाता है कि दो लाख से प्रादि ने अपना उन्हें सहयोग दिया। साधन, साहित्य और अधिक पशु मर गये है। यदि सहायता न पहुँचाई गई तो घन भी दिया। कल्पना यह थी कि इस काम मे ढाई और भी मरने की उम्मीद है । पशुओं को बचाने के लिए लाख से अधिक रुपया लगेगा पर जमा उससे भी अधिक गौ सेवा संघ, सेन्ट्रल रिलीफ कमेटी, राजस्थान रिलीफ हुआ। और रुपया एकत्र करने मे श्रम भी बहुत अधिक कमेटी, मारवाडी रिलीफ सोसायटी आदि संस्थाएं लगी नहीं करना पड़ा। जिससे वहाँ भली भांति कार्य सपन्न हुई है। महावीर कल्याण केन्द्र मानव राहत का कार्य हुआ, और कार्य सपन्न होकर भी केन्द्र के पास कुछ रूपया हाथ में लेकर काम करना चाहता है । कार्यकर्ता वहाँ की बचा, मिलकर किए हुए इस काम का अच्छा परिणाम देख स्थिति का अध्ययन करके भारत जैन महामण्डल की कर समाज के नेताओं ने निश्चय किया कि राहत कार्य राजस्थान शाखा के सहयोग से काम करेंगे। के लिए यह स्थाई संस्था स्थायी काम करे। इस प्रकार राहत का कार्य व्यवस्थित रूप से करने ____ जब भगवान महावीर २५ सौवे निर्वाण महोत्सव के वाली यह सस्था धर्म सप्रदाय या जातिका भेद का विचार कार्य में सहयोग देने के लिए श्री सोहनलाल जी दूगड से न कर मानव राहत का कार्य कर रही है। उसमे सबका कहा गया तो उन्होंने कहा था कि इस अवसर पर साहित्य सहयोग लेती है। राजस्थान के कार्य मे मुख्यमत्री सुखाप्रदर्शनी, सभाये और उत्सव तो हो ही पर कोई ऐसा डिया जी से बात की उन्होने कल्याण केन्द्र के मत्री चिमनजन कल्याण का स्थायी कार्य भी होना चाहिए जिससे लाल भाई से कहा कि आप लोग जितना खर्च वहाँ करेगे करुणानिधि भगवान महावीर की करुणा रचनात्मक कार्य उतना खर्च राजस्थान सरकार की ओर से दिया जाएगा। करे । इसके उदर मे हमने भगवान महावीर कल्याण केन्द्र इस प्रकार कल्याण केन्द्र द्वारा अधिक काम कर सकेगा की जानकारी देकर कहा था कि इस संस्था का प्रारम्भ और कल्याण केन्द्र के अनुभवी तथा सेवा भावी कार्यकर्ता भगवान महावीर जयन्ती के निमित्त से हुआ और इसे द्वारा होने वाले इस काम में जैन समाज ही नही पर सभी २५००वे निर्वाण महोत्सव के कार्यक्रम का ही यह महत्त्व- से प्रार्थना है कि वे अपने क्षेत्र में चन्दा कर महावीर पूर्ण अंग माना जा सकता है। उनकी इच्छानुसार काम कल्याण केन्द्र को भिजवावें । करने वाली इस सस्था के लिए वे स्वय बहुत बड़ी रकम आशा है जैन समाज तथा सभी मानव प्रेमी लोग देने वाले थे पर उनका देहावसान हो गया। जैन समाज अपने क्षेत्र मे चन्दा कर महावीर कल्याण केन्द्र को अधिक का कही भी कोई अच्छा कार्य होता है वहाँ दिल खोलकर कार्य करने में सहायक होगे। महावीर कल्याण केन्द्र का देता है । महावीर कल्याण केन्द्र के विषय मे भी यही दफ्तर एक्जामीनर प्रेस, दलाल स्ट्रीट, बम्बई-१ में है और हुमा । तभी गुजरात में बाढ़ आई तब दो लाख रुपये इस मंत्री है श्रीचिमनलाल चकुभाई शाह । .
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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