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________________ प्रापदग्रस्तों के लिए सहायक संस्था : महावीर कल्याण केन्द्र श्री चिमनलाल चकुभाई शाह भारत जैसे विशाल देश में हर वर्ष कही न कही कि भगवान् महावीर के जन्म और कार्यक्षेत्र में भयानक प्राकृतिक आपत्ति आती ही रहती है। कही बाढ़ आई तो अकाल है। लोग भूग्वो मर रहे हैं । अहिसा प्रेमी जैनियों कहीं सूखा पडा, कही भूकम्प पाया तो कही कुछ आपत्ति को चाहिए कि वे वहा पीडितो और भूग्वो को बचाने के आई । ऐसे विपदग्रस्तो को राहत पहुँचाने के लिए महा लिए कुछ करे । सभा का संचालन श्री चिमनलाल चकुवीर कल्याण केन्द्र जनता की सेवा कर रहा है। भाई शाह कर रहे थे । स्टेज पर बैठे साहु श्रेयांसप्रसाद यों तो जैन तथा व्यापारी समाज जनहित के कामों जी, लालचन्द हीराचन्द दोशी, प्रताप भोगीलाल, कातिलाल में सदा अगुवा रहा है और हर साल समाज की ओर से ईदवरलाल, फूलचन्द शामजी आदि प्रमुख लोगो से चिमन अलग-अलग सप्रदायो तथा जातियों की प्रोर से करोडों भाई ने चर्चा की और कुछ रकम एकत्र करने का निर्णय का दान भी होता है। अनेक जन कल्याण के काम भी किया। इस क्षेत्र में भूखो को भोजन देने के लिए कुछ ग्गोटे चलाने के लिए एक लाख बीस हजार रूपया जैन कार पर विशेष न तो प्रभाव ही है और न उनके कार्यों समाज की ओर से देने की बात हुई। इस निमित्त से का योग्य मूल्याकन ही होता है। यदि सब जैनी मिल कर चन्दा एकत्र करने के लिए शकुन्तला जन गर्ल्स हाई स्कूल योजनापूर्वक काम करे तो बहुत अच्छा कार्य होकर उसका म सभा बुलाई गई जिसम मण्डल क भूतपूर्व अध्यक्ष परिणाम भी अधिक हो सकता है। यह अनुभव महावीर । अमृतलाल कालिदास दोशी, श्रेयामप्रसादजी, प्रताप भोगीकल्याण केन्द्र की सेवारो को देखकर आता है। लाल, कातिलाल ईश्वरलाल, फूलचन्द शामजी, रतीलाल मनजीभाई, चन्दुलाल कस्तूरचन्द, चिमन भाई, रिषभदास दो साल भी नही हुए बिहार में भीषण अकाल पडा राका, गभीर चन्द, उमेदचन्द, गिरधर भाई दफ्तरी, हीरा था महावीर जयन्ती के अवसर पर चारों सप्रदायो और लाल (ल० शाह आदि उपस्थित थे । रतीलाल मावजी भारत जैन महामण्डल की ओर से सभा बुलाई गई थी। भाई, एक व्यापार से अवकाश प्राप्त गफल व समद्ध व्या उसमे श्री जयप्रकाशनारायण जी को विशेष अतिथि के रूप । पारी है। उन्होने सभा को प्राव्हान किया कि हम कुछ मे निमत्रित किया था। उन्होंने अपने व्याख्यान में बनाया रसोड़ों के लिए रूपये भिजवावे, इससे तो भगवान महा[रक्सगणे] ऐसा कोई पाठ होना चाहिए, जिसे मैने छोड वीर के विहार क्षेत्र में से कुछ हिस्सा लेकर वहाँ हम दिया है । अकोला की ५२ जिनालय वाली मूर्ति का लेख उनके नाम पर काम करे । बात ठीक होने पर भी बिहार यदि दुबारा सावधानी से पढ़ा जाय तो लेख की सभी में जाकर काम करना आसान बात तो थी नही इसलिए अशुद्धियां दूर हो सकती है। और उस पर पर्याप्त प्रकाश सभा मे कहा गया कि बात ठीक है पर वहाँ जाकर पड़ सकता है। कारजामे भट्टारक पीठ रहा है, वहाँ सोमसेन बैठेगा कौन ? वे बोले इसकी चिता मत कीजिए। मैं नाम के चार भट्टारकों का पता चलता है। उन चारों में अपने साथियो को लेकर जाऊँगा और यह कार्य भगवान अभिनव विद्य सोमसेन कौन है ? इसका विचार करना महावीर के कार्यक्षेत्र में उन्ही के नामसे ही होना चाहिए। चाहिए । उनका अभिनव विद्य विशेषण उनसे जुदाई वे बिहार मे कार्यकर्ताओं के साथ गये। वहाँ की स्थिति का बोधक है । प्रादि बातें भी विचारणीय हैं। * का अध्ययन किया और खासकर राजगृह तथा पावापुरी
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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