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________________ मानव जातियों का देवीकरण साध्वी श्री संघमित्रा जैनागमों में उल्लेख है कि भगवान महावीर को भी सक्षम होते है। जैन परम्परा के अनुसार देव शब्द से मंगलमयी वाणी सुनने के लिए चार प्रकार के देव उप- उन प्राणियों का बोध होता' है जिनका निवास स्थान इस स्थित होते थे। धरती पर नही है। जो या तो इस लोक से सहस्रों मील (१) भवन पति, (२) वाणव्यन्तर, (३) ज्योतिष्क ऊंचे रहते है या सहस्रों मील नीचे, जहाँ मानव की पहुँच मोर (४) वैमानिक ये देव कौन थे? उनकी क्या महत्ता किसी भी प्रकार से नही है। उन देवो का शरीर सूक्ष्म थी ? क्या सस्कृति थी? कहाँ रहते थे ? आज यह प्रश्न परमाणुओं से बना होता है। वे समय-समय पर चाहे बहुत ही मीमासनीय बन गए है । भिन्न-भिन्न परम्परामो जैसा रूप परिवर्तित करने में सक्षम होते है। उनके शरीर मे देव शब्द से भिन्न-भिन्न बोध होता है। वैदिक दर्शन मे अस्थि, मास और रक्त जैसा कोई तत्त्व नहीं होता। के व्याख्याता ऋग्वेद और पुराण इन दोनो के देव भी इसलिए वे सदा युवा बने रहते है, बहुत ही ऋद्धि सम्पन्न एक नही है। ऋग्वेद मे देव शब्द (Natural Powers) प्राणी होते है उन्हे इस धरती की दूर से ही गध आती है। का प्रतीक है। उन्होंने सूर्य, चन्द्र, मरुत्, वरुण, अग्नि भगवान महावीर की परिषद मे उपस्थित होने वाले प्रादि की सचालित शक्तियों को देव रूप में स्वीकार क्या ये ही देव थे? इस प्रश्न के सदर्भ मे हमे कुछ किया है। ऋगवेद के देवो में मानवीय सम्बन्ध नहीं होते चिन्तन करना है। थे । यद्यपि' ऋग्वद को प्राथना में ऐसा गाया जाता है जैन दृष्टि से देवो के क्रम में सबसे पहले भवनपति नियम और यमी सूर्य की सन्तान है ।. दोनो परस्पर आते है इनके दस प्रकार है। ई-बहिन है । यम दिन है और यमी रात। एक बार (१) असुर, (२) नाग, (३) विद्युत, (४) सुपर्ण, यमी वैवाहिक सम्बन्ध की याचना करती है लेकिन यम । (५) अग्नि, (६) वायु, (७) स्तनित, (८) उदधि, भाई-बहिन के पवित्र सम्बन्ध को सुरक्षित रखना चाहता ही है अतः वह इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है। इस इन दसो मे असुर कुमार का स्थान सर्व प्रथम है। पवित्र सम्बन्ध को युग-युग तक सुदृढ़ रखने के लिए यम असुर कुमार की चर्चा वैदिक, बौद्ध और जैन तीनों परऔर यमी कभी नही मिलत, यम आता ह तब यमा चला म्पराओं में रही है। इतिहास के संदर्भ में यह स्पष्ट है जाती है और यमी आती है तब यम भाग जाता है । यही कि किसी समय यहाँ पर तीन मुख्य जातियाँ निवास स का क्रम युग-युग से चला आ रहा है। दाना करती थी। देव, असुर और मानव' । बाल्मीकि रामायण का प्राज तक कभी मिलन नहीं हुआ। ऋग्वेद में देव में आया है कि देव, असुर और मनुष्य इन तीनो जातियो विषयक इसी प्रकार के सारे कल्पित सम्बन्ध है। के हथियारों को चलाने में राम बहुत ही निपुण थे। पौराणिक देवो मे मानवीय सम्बन्ध जुड़ जाते है। ३. जीवाभिगम देवताधिकार । उनका परिवार होता है। सन्ताने होती है। जन्म मरण ४. प्रोपपातिक अध्याय १ को धारण करते है। तथा वरदान और अभिशाप देने में ५. देवासुर मनुष्याणां सर्वास्त्रेषु विशारदः । १. औपपातिक अध्याय १ सम्यग् विद्या व्रत स्नातो-यथावत्साङ्ग वेदवित् ॥३४॥ २. The Sphiny Speakes Ch. IV P. 27. वा. रा. पायोध्याकाण्ड सर्ग २॥
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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