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________________ अनेकात जैन पर्जन विद्वानों, नेतामों एवं पदाधिकारियों द्वारा भी करने से जन जीवन पर यह घोर कलंक दूर हो सकता है। मेखादि प्रकाशित कराये। दिनांक २०१।२६-प्रताप कानपुर, नमित्र, कृष्ण ५-हिन्दू महासभा के कार्यकर्तामों से सम्पर्क सन्देश प्रादि-आदि पत्रों में प्रथम लेख प्रकाशित कराया स्थापित करके प्रापने हमारे इस रथोत्सव के सम्बन्ध में गया है। हम आपके सहयोग से और प्रबल भान्दोलन कर एक महत्यपूर्ण पोर उपयोगी प्रस्ताव हिन्दू महासभा के सकेंगे। इस सम्बन्ध में कौन ऐसा जैनी होगा जिसका सूरत अधिवेशन में पास कराया। हृदय दुख से न भरा हो । इस राष्ट्रीयता और संगठनवाद ६-हजारों की संख्या में 'बयाना काण्ड' नामक एक के युग में जैन जनता पर यह अत्याचार यदि दूर करने में महान महत्वपूर्ण और सफलताप्रद ऐक्ट छपवा कर ढोल की जायगी तो भारी अप्रभावना का कारण होगा। विरोधियों में बंटवाया। मामला केवल बयाना का नहीं किन्तु सारी भरतपुर स्टेट ७-भरतपुर राज्य के दीवान साहब से मिलने के और अन्य द्वेषभरे स्थानों में जैन जाति के धार्मिक स्वत्वों लिये जैन समाज के श्रीमन्तों व विद्वान बैरिस्टरों का एक की रक्षा से सम्बन्ध रखता है। यह कलंक बयाना के शिष्टमंडल तैयार कराया। सिर पर न रहे इसके लिए माप चिन्ताशील हैं यह -हमारे इस मुकदमे सम्बन्धी समस्त कागजात जानकर सन्तोष है। इस सम्बन्ध में हम सब प्रकार की श्रीमान प्रजितप्रसादजी वकील लखनऊ एवं विद्यावारिधि शक्ति भर सेवा करने को तैयार हैं। जैनदर्शन दिवाकर वैरिस्टर चम्पतराय जी साहब के पास दिनांक ९३२६-मैं आपको विश्वास दिलाना भिजवाये। जिनको देखकर दोनों महानुभावों ने हमे चाहता हूँ कि हमारी कमेटी और हमारी समाज तन-मन मुकदमा लड़ने के बारे में उचित परामर्श दिया। धन से इस कार्य में सहायता करने के लिए तैयार है। ६-हजारों की संख्या में प्रभावशाली पैम्पलेट छपवा पाप लोग यहां का पूरा भरोसा रखें। साथ ही साथ कर विरोधियों में समय-समय पर वितरण कराये। माप लोग भी पूरी तरह कटिबद्ध रहें तो ससार की कोई १०-श्रीमान् बैरिस्टर चम्पतराय जी, श्री राम भी शक्ति हमारी पवित्र यात्रा को नहीं रोक सकेगी। स्वरूप जी भारतीय एवं अन्य नेताओं के साथ स्वयं पाप लोगों की गय पहिले जोर से आन्दोलन करने की भरतपुर एव बयाना प्राये और इस मुकदमे के सम्बन्ध में नहीं थी और ठीक भी था, नहीं तो मैं इतने जोर से समस्त जानकारी प्राप्त की। आन्दोलन उठाता कि सारे भारत में हलचल मच जाती। मापने हमारे यहाँ के जैन रथोत्सब निकलवाने के हिन्दी-उर्दू अखबारों में तो खुब लिखा गया है पर अभी सम्बन्ध में जो प्रयत्न किये व परिश्रम किया एव हमें तन । अंग्रेजी अखबारों में मैंने कुछ भी नहीं लिखा है। भाज मन धन से जो सहयोग दिया वह कहने और लिखने में बाबू अजितप्रसाद जी की राय मैगा रहा हूँ फिर जोरों से पाने वाली बात नहीं है । समय-समय पर भापके हमें अनेकों इसकी तैयारी की जायगी। दीवान साहब के पास अंग्रेजी पत्र प्राप्त हुये, जिनमे से कुछ पत्रों का संक्षिप्त सार में की चिट्टियां सारे भारतवर्ष से पहुँचाने का प्रबन्ध कर इसलिए दे रहा हूँ कि माज हमारी समस्त जैन समाज यह जान जाय कि पापका जैनधर्म व जैन समाज के प्रति रहा है। साथ ही साथ जहां जहां से ऐसी चिट्ठियां कितना अगाध प्रेम व सेवाभाव था, मैंने ऊपर जो कुछभी जायंगी उनकी सूचना प्रापको भेज दी जायगी। लिखा है वह कहां तक प्रमाणित है? दिनांक १७।३।२६-हिन्दू नेताओं के पास जो पत्र दिनांक १६२९ के पत्र में पाप हमें लिखते हैं भेजे गये हैं, एक मेरी तरफ से दूसरा बाबू अजितप्रसाद ' रथोत्सव स्थगित होने के मर्मभेदी समाचारों के बारे जी तरफ से । उनकी नकल कल पापको भेज दी जायगी। में मैंने मापसे प्रावश्यक बातें पूछी थीं। निहायत खेद की इनका जबाब माने से पत्रों में प्रकाशित किया जायगा बात है कि अभी तक मापका किसी प्रकार का उत्तर नहीं पोर पापको सूचित कर दिया जायगा। मिला है। कई पत्रों में लेख निकल चुके है और प्रयत्न दिनाक २७७२२९-माज रायबहादुर सेठ चंपालाल
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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