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________________ धुबेला संग्रहालय के जैन मूर्ति-लेख बालचन्द्र जैन एम. ए. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले मे नौगांव से ५ मील घेष्ठिवीचीतनूजा र प्रबुद्धा बि (वि) नयान्विता ॥ की दूरी पर स्थित राज्य सग्रहालय धुबेला में जैन तीर्थकरों [+] लष्म (म) णाद्यास्तया जाताः पुत्राः गुण की अनेक महत्वपूर्ण पाषाण प्रतिमाए सग्रहीत है। उनमें [गणान्विता.:] से पांच प्रतिमानों के पादपीठो पर उनकी प्रतिष्ठापना ३. ....."ढ्या जिनचरणाराधनोद्यता ॥ [४] सम्बन्धी लेख उत्कीर्ण है । ये सभी प्रतिमाएं सग्रहालय से कारितश्च जगन्नाथ [नेमि] नाथो भवातक. । त्रै एक मील दूर बसे मऊ नामक ग्राम से सग्रह की गई हैं। [लोक्यश] रणं देवो जगन्मगलकारकः ॥ [+] मतिलेख क्रमांक १ मम्वतु (न) ११६९ वैशाख मुदि २ रवी रो [हिण्याम+] यह लेख बाईसवे तीर्थकर नेमिनाथ की काले पाषाण लेख क्रमांक २ की प्रतिमा (संग्रहालय क्रमाक ७) के पाद पीठ पर दूमरा लेख मुनि मुव्रतनाप की काले पाषाण की उत्कीर्ण है। प्रतिमा मस्तक विहीन है तथा चार टुकड़ो पद्मासन स्थित प्रतिमा (२४४५६ मे० मी०, सग्रहालय मे खण्डित है। लेख की भाषा मस्कृत और लिपि नागरी क्रमाक ४२) के पादपीठ पर उत्कीर्ण है। प्रतिमा का है। अन्त मे तिथि का उल्लेख करने वाले भाग को छोड़ ऊपरी भाग खडित है। लेख मस्कृत भाषा और नागरी कर बाकी पूरा लेख छन्दोबद्ध है। जिसमें कुल मिलाकर लिपि में है तथा तिथि का उल्लेख करने वाले प्रश को पाच छन्द है । लेख में र के बाद पाने वाले चार व्यञ्ज- छोडकर बाकी पूरा लेख छन्दोबद्ध है। उपमे तीन छन्द नाक्षर का द्वित्व (पंक्ति १ और २), तथा श और के है। इस लेख का उद्देश्य है गोलापूर्व कुन में उत्पन्न स्थान पर स् का प्रयोग किया गया है। लेख का उद्देश्य श्रीपाल के पौत्र और जोहक के पुत्र सुल्हण द्वारा सवत् है गोलापूर्व कूल के वाले के पोत्र और देवकर (या देव- ११९९ में वैशाख सुदि द्वितीया, रविवार को मुनिसुव्रतकवि) के पुत्र मल्हण के द्वारा (विक्रम) संवत् ११९९ में नाथ की प्रतिमा को प्रतिष्ठा कराये जाने का उल्लेख वैसाख सुदि द्वितीया रविवार को जगत् के नाथ नेमिनाप करना । सुल्हण की माता रुक्मिणी और पत्नी का नाम की प्रतिमा की स्थापना किये जाने का उल्लेख करना। श्री था। मूल लेख इस प्रकार हैमल्हण की माता का नाम पद्मावती और लहुरे भाई का १. गोलापूर्वकुले जात. साधुश्रीपालसज्ञक । तत्सुनाम बल्हण था । सेठ वीवी मल्हण के ससुर थे। मल्हण नोजनि जीटर ममरागण तोजनि जीव्हकः समग्रगुणभूषित ॥ [ +] के तीन बेटे थे जिसमें लक्ष्मण जेठा था। इस लेख का। २. रुक्मिण्या जनितस्तेन सत्पुत्र: सुल्हणाभिधः । पूरा पाठ निम्न प्रकार है थीसज्ञिका प्रिया तस्य समग्रगुणधारिणी ॥ [२||+] १. गोल्लापूर्वकुले जातः साधुर्वा [ले] [गुणा+] मुनिसुव्रतनाथस्य विवं (बिंब) त्रैलोक्यस्वितः । तस्य देवकरी पुत्रः पद्मावतीप्रियाप्रियः।। [१॥+] ३. पूजितः कारित सुल्हणेनेदमात्मश्रियोमिवृद्धये ॥ तयोर्जातो सुतौ सि (शि) [३i+] सम्वत् ११ [१६] वैशाख सुदि २ रवी। २. स्तौ (ष्टी) सी (शी) लव्रतविभूषितो। धर्मा मतिलेख क्रमांक ३ चाररती नित्यं ख्याती मल्हणजल्ह[णो] ॥ [२॥+] यह लेख शान्तिनाथ की काले पापाण की खड्गासन मल्हणस्य व [धूरासीत्स] त्यसी (श) ला पतिव्रता। प्रतिमा (१६०४५६ से. मी०, संग्रहालय क्रमांक २४) .. .
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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