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________________ जैन दर्शन और निःशस्त्रीकरण साध्वी श्री मंजुला निःशस्त्रीकरण प्राज की अन्तराष्ट्रीय परिचर्चा का रह कर नि.शस्त्रीकरण को माकार नहीं दिया जा प्रमुख विषय है । क्योकि आज सारा विश्व सहारक शक्ति सकता। से भयभीत और आशंकित है। लेकिन बाह्य वस्तु को भगवान महावीर ने इन सब तथ्यों का उद्घाटन शस्त्र मानना बहुत स्थूल बात है। वस्तुतः तो हिंसा के प्राचारांग सूत्र के प्रथम अध्ययन में बड़े मामिक ढंग से मनोभाव ही शस्त्र हैं। हिंसा के भाव उग्र हैं और शस्त्र किया है। हिंसक और अहिंसक का विवेक देते हुए वहाँ पास में नही हैं तो हाथ के आभूपण या क्रीड़ा सामग्री या मना या कहा गया है कि हिंसक वह होता है जो रुग्ण होता है१ । पूजा सामग्री भी शस्त्र का रूप ले लेगी और हिंसा के स्वस्थ व्यक्ति हिंसा नही करता। हिसा वह करता है जो भाव क्षीण हैं तो तलवार और बाण भी निष्क्रिय पड़े प्रमत्तर-प्रात्मविमुख होता है। प्रात्मोन्मुख व्यक्ति हिंसा रहेगे। नहीं कर सकता। हिंसा वह करता है जो विषयार्थी निःशस्त्रीकरण शस्त्र परिज्ञा का प्राधुनिकीकरण है। होता है। विषय विमुख हिंसा किसलिए करे। हिंसा वह माज से ढाई हजार वर्ष पूर्व भगवान् महावीर ने शस्त्र. करता है, जो भयभीत होता है। प्रभय व्यक्ति हिसा परिज्ञा का तत्त्व दिया जो निःशस्त्रीकरण का ही पर्याय नही करता। है। आज का जन-मानस निःशस्त्रीकरण को वर्तमान युग हिसा वह करता है जो विषयास्वादि कुल्लि३ प्रार की उपज मानता है और उसे राजनीति की पृष्ठभूमि पर कृत्रिम होता है। सहज व्यक्ति हिंसा नहीं करता, हिसा फलित देखना चाहता है । लेकिन यह प्रसभाव्य सा लगता वह करता है जो प्रारम्भ में आसक्त है, अनासक्त व्यक्ति है। क्योंकि निःशस्त्रीकरण धर्म, दर्शन या अभय की हिंसा नही करता। निष्पत्ति है और राजनीति कूटनीति की परिणति । तभी तो राजनैतिक क्षेत्र में नि:शस्त्रीकरण की भावनाएं फलित व्यक्ति हिंसा क्यों करता है ? यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है। इसी प्रश्न के परिप्रेक्ष्य मे हम हिंसा के समग्र नहीं होती हैं। वहाँ कार्य के प्रति जितनी तीव्रता है, कारणों का तलस्पर्शी विवेचन प्राप्त कर सकते है। कारणों के प्रति उतनी ही उदासीनता है। पाचागंग मे हिंसा के मुख्य पांच कारण बतलाए दर्शन की अपनी अलग प्रक्रिया है। वह कार्य की -१ प्रासक्ति, २ प्रयोजन, ३ प्रतिशोध, ४ सुरक्षा अपेक्षा कारणों के प्रति अधिक सतर्क रहता है। और यह ५ प्राशका । उचित भी है। क्योकि नि.शस्त्रीकरण अहिंसा का परि ये पांचों ही कारण सर्वथा मनोवैज्ञानिक है। बहुत से णाम है, यह ठीक है लेकिन अहिंसा की भावना कैसे पनपे । अहिंसा क्या होती है? अहिंसक कौन होता है? १ प्राचाराग अ० १, उ० १, सूत्र ५ अहिंसा क्यों की जाती है? हिंसा क्या होती है? क्यों की २ मा० श्रु० १,१० १, उ० १, सूत्र ४ जाती है? हिंसक कौन होता है? हिंसा किन परिस्थितियों ३ प्राचारांग अ१, उ४, सूत्र ३ में की जाती है? इत्यादि परिपार्ववर्ती कारणों से अनपेक्ष गुणासाते पकसमायारे पमत्ते प्रागार मावसे ।
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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