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________________ श्री छोटेलालजी सरावगो के करकमलों में गनी ट्रेडर्स एशोसिएशन द्वारा सादर समर्पित अभिनन्दन-पत्र मान्यवर बन्धु किया उसी का फन था कि सन् १९४२ से सन् १९५१ गनी ट्रेडर्स एसोसिएशन की और उसके माध्यम से तक की अवधि में इस एसोसिएशन ने जनकल्याण के समस्त वोरा हैसियन व्यवसाइयों की जो दीर्घकालीन कार्यों पर विशेषकर बंगाल में लगभग पाच लाख रुपये सेवाएँ मापने की हैं, उनके उपलक्ष में आज आपका खर्च किये। अभिनन्दन करते हुए हमें अतीव प्रानन्द हो रहा है। साहित्य और संस्कृति के उपासक, मतिमान संस्था, आपकी योग्यता और सेवावृत्ति केवल व्यवसाय पौर इस एसोसिएशन की स्थापना सन् १९२५ में हुई व्यवसायिक संगठन के क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रही। थी मापका प्रतिष्ठान इनके आदि संस्थापकों में से है उसी संस्कृति, साहित्य और इतिहासान्वेषण की दिशा में प्रापने समय से प्राप लगातार बत्तीस वर्ष तक संघ की कार्य- जो साधना की है और जिस लगन से पाप उस कार्य कारिगी समिति के सदस्य रहे और दस वर्ष तक अवै. मे रत है उसे देखकर हमे और भी मानन्द का अनुभव तनिक संयुक्त मंत्री के पद को सुशोभित करते रहे क्रमशः होता है। सस्कति और इतिहास पर मापने हिन्दी और तीन वर्ष तक आप एसोसिएशन के उपप्रधान और दो वर्ष अग्रेजी की कई पुस्तके तया निबन्ध भी लिखे हैं जिससे तक प्रधान पद पर भी आसीन रह । पापको प्रशस्त आपकी अन्वेषण बुद्धि और सुलझी हुई दृष्टि का परिचय सेवाओं का यह सुदीर्घकाल न केवल एसोसिएशन के मिलता है। इतिहास में ही. वल्कि सारे बोरे बाजार के इतिहास म प्रेरणाकेश्रोत. स्मरणीय रहेगा। प्रारके व्यक्तित्व में अद्भुत प्रेरणा भरी है । सादगी नीर-क्षीर विवेको और सरलता का प्रादर्श प्रापको सदैव प्रिय रहा है। जब कभी गनी व्यवसाइयों के सामने कोई सकट यशोलिप्सा आपको छू भी नहीं गई। मापको नाम से काम अथवा समस्या माई तो उसके निवारण और समाधान प्यारा रहा है। आपने जो भी कार्य किया है उस पर के लिए पापने जिस उत्साह, तत्परता और अध्यवसाय कर्तव्य-परायणता, निष्ठा, त्याग और परिश्रमशीलता की का परिचय दिया वह कभी भी भुलाया नहीं जा छाप रही है। आपके इन गुणों से कितने ही युवकों को सकता । आपकी सबसे बड़ी विशेषता व्यापारियो के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरणा मिलती रही है। पारस्परिक विवादों को सुलझाने और तय करवाने की पद्धति थी। इस कार्य मे निष्पक्षता के आधार पर आपने श्रद्धेय, प्रापकी मुदीर्घ कालीन सेवानों के लिए हम परम जो ख्याति प्राप्त कर ली थी उसके कारण प्रापका निर्णय प्राभारी हैं और यह अभिनन्दनपत्र समर्पण कर हम अापके सबको सहर्ष स्वीकार होता था। इन सेवामों का यह परिणाम था कि एमोसिएशन ने बोरा हैसियन व्यवसाय प्रति श्रद्धा और प्रेम प्रगट कर रहे हैं। मार दीर्घायु हो में और उसके बाहर भी अत्यधिक प्रतिष्ठा प्राप्त की। पौर अपना जीवन सुख शान्तिपूर्वक व्यतीत करें यही निरभिमान सेवावतो शुभकामना है। सहज मानवीय संवेदना से प्रेरित होकर पापने इस कलकत्ता हम हैं आपके गुणानुरागी व्यवसायिक संगठन को जिस प्रकार मानव सेवा में प्रेरित दिनांक ११.१०.५८ गनी ट्रेडर्स एशोसिएशन के सदस्य
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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