SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उदारमना स्व. बाबू छोटेलालजी माप कभी गलतरूढि को स्वीकार नहीं करते थे । जो भी ऐसे मूक सेवक, निराभिमानी दानी, उदारमना गलत रूढ़ि या अन्ध श्रद्धा जनित मूर्खतापूर्ण कार्य करता, सरावगी जी को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कामना करता उसका पाप विरोध करते थे । पाप कभी दूसरों के मत हूँ कि वे कालातर में श्रेयस सुख की प्राप्ति करें। की खातिर अपने सिद्धान्त की बलि नही करते थे। आपने माप गत ७-८ वर्षों से निरतर बीमार रहते थे फिर जैन समाज के सुधारकों की यथा सभव सहायता कर , भी सास्कृतिक व सामाजिक कार्यों के लिए अपना बराबर सुधार का मार्ग प्रशस्त किया था। योगदान देते रहते थे। प्राप नवयुवकों का हमेशा पथ प्रदर्शन करते थे। गत नवम्बर दिसम्बर माह में पाप विशेष रूप से किसी भी नवयुवक को सुमार्ग में लगाने, उसे व्यवसाय पीडित रहे। दिसम्बर के द्वितीय सप्ताह मे स्थानीय माधन जुटाने मे हमेशा महायता करते थे। आप विद्याथियों एव विद्वानो को अध्ययन की प्रेरणा देते रहते थे। मारवाडी रिलीफ सोमाइटी के अस्पताल में प्रापको भर्ती वे म्बय इस रुग्णावस्था में भी थोडी सी शाति होने पर कराया गया था। आप इतनी भयकर बीमारी में भी अध्ययन मे लग जाते थे । आपने कितने ही व्यक्तियो को सास्कृतिक व साहित्य की चर्चा में रुचि लेते थे। मापने नव साहित्य मजन की प्रेरणा दी है उसके प्रकाशन प्रादि इस रुग्णशय्या पर रहते हुए भी 'वीरशासनसंघ' की व्यवस्था करा देते थे। से प्रकाशित होने वाली जैन निबन्ध रत्नावली का प्रकाश कीय वक्तव्य लिखवाया जो पापका अन्तिम वक्तव्य कहा आपको जैन संस्कृति के सरक्षण एवं विकास की जा सकता है। हमेशा चिता बनी रहती थी। विद्वानो से, नेतानो से, दम रुग्ण श य्या पर ही आपने श्री अगरचन्दजी ममाज के कार्यकर्तामो मे अपनी चिता व्यक्त करते रहते ये इसके लिए उन्होंने अपने ढग से अनेक कार्य किए। नाहटा के निबन्धो को प्रकागित करने की योजना बनाई आप पुरातत्व सामग्री का स्लाइडलेम्प मे प्रदर्शन भी थी, काश वह पूरी नहीं हुई। यथावमर करते थे। आपने कलकत्ता देहली प्रादि केन्द्रीय आप अपने अभिनन्दन विज्ञापन प्रादि से दूर रहते थे। स्थानो पर जैन कला एवं सस्कृति की प्रदर्शनियाँ भी जब कभी पापसे आपके अभिनन्दन की चर्चा की, आपने लगाई थी। जिसकी प्रशमा सभी ने मुक्त कठ में की थी। हमेशा विरोध ही किया। आपके कार्यों का पूरा लेखा ऐमे निर्भीक समाज सेवी का अभिनन्दन करने की जोखा प्रस्तुत नही किया जा रहा है, क्योंकि तत्सबन्धी योजना चल ही रही थी कि कराल काल ने उन्हें हमेशा सा . सामग्री नहीं मिल मकी। के लिए छीन लिया । वे हमेशा अभिनन्दन का विरोध जो कुछ सामग्री मिली है उसी में मन्तोप करते हुए करते रहते थे। उन्होने कहा कि हमने जो कुछ भी किया प्रापके प्रति अपनी श्रद्धाजलि अर्पित करता हूँ और माशा है मेवा व कर्तव्य ममझ कर किया है उसके लिए सम्मान करता हैं कि उनके द्वाग सपादित एवं सकेतिक कार्य या अभिनन्दन कैसा? समाज के लिये हमेशा प्रकाश-स्तम्भ का कार्य करेंगे।* प्रसंग की बात खण्डगिरि उदयगिरिमें जन हितार्थ एक औषधालय खुलवाने का प्रयास बाबुजी बहुत समय से कर रहे थे। इसके लिए पर्याप्त सहयोग भी उन्होंने दिया और '६६ के गणतंत्र दिवस पर प्रातःकाल इस खारवेल औषधालय का शुभारम्भ हो गया। जब उधर इस औषधालय का उद्घाटन हो रहा था तभी इधर बाबू जी की अर्थी सजाई जा रही थी। उसी प्रभात में उनका देहावसान हुमा । -नीरज
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy