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________________ विज्ञान क्या है ? विशेष ज्ञान के स्वभाव का। क्या मतलब ? विशेष ज्ञान ही विज्ञान है। धर्म और विज्ञान का सम्बन्ध किसका ? वस्तु वस्तु के स्वभाव का | धर्म और विज्ञान का सम्बन्ध ? धर्म ज्ञेय है, विज्ञान ज्ञान धर्म साध्य है, विज्ञान साधन धर्म सूत्र है, विज्ञान व्याख्या क्यों ? इसलिए कि एक वस्तु का स्वभाव है दूसरा उसी का विशेष ज्ञान । क्या मतलब ? धर्म या वस्तु के स्वभाव को विज्ञान या विशेष ज्ञान द्वारा ही जाना जाता है, सिद्ध किया जाता है औौर व्याख्यात किया जाता है । धर्म के सिद्धान्त-पक्ष और विज्ञान का सम्बन्ध ? अनिवार्य है, यदि यह सम्बन्ध नहीं बनता तो निश्चय मानिये कि या तो धर्म सदोष है या विज्ञान धर्म की सदोषता का उदाहरण २ शब्द को ( नैयायिको द्वारा ) आकाश का गुण माना जाना ३ सदोष है क्योकि विज्ञान (फोनेटिक्स) से वह पुद्गल (मैटर) का पर्याय (रूपा स्तर) मिड होता है, आकाश का गुण नहीं४ विज्ञान की सदोषता का उदाहरण ? वैज्ञानिकों (भूगोलशास्त्रियो) द्वारा पृथ्वी का गोलाकार माना जाना सदोष है५ क्योंकि यदि ऐसा हो तो (जैन धर्म के अनुसार ) पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर कोई भी चीज स्थित न रह सके, नीचे की प्रोर टपक पडे६ | चन्द्रलोक की यात्रा ? यह प्रायः किसी भी धर्म के अनुसार संभव नही है जबकि विज्ञान के धनुसार मभव है। इस विषय मे और ऐसे ही धन्य विषयों में जारी वैज्ञानिक अनुसन्धान जब तक पूर्ण नही हो लेते ३. सम्यगुणकमाकाशम् ' तर्कसग्रह. प्रत्यक्षपरिच्छेद । ४. सप्रमाण एव विस्तृत विवरण के लिए दे० मुनि श्रीहजारीमल स्मृतिग्रन्थ १०३७२ । ५ दे० मोक्षशास्त्रकौमुदी ( लेखक प्रोर प्रका० ब० मुक्त्यानन्द जैन सिंह ६८, धनुपुरा, मुजफ्फरनगर), पृ० १२२ धौर भागे । 1 ६. दे० मिद्ध । तत्वार्थश्लोकवार्तिक, सवालोकवादिक, अध्याय २, मूत्र १, कारिका ७-६ । ७. दे० 'जैन सन्देश' (दि० १४ जून, ६१ ) का सम्पाद कीय जिसमें पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री ने इस समस्या पर विचारणीय प्रकाश डाला है । १२३ तब तक न धर्म की निर्दोषता को चुनौती दी जा सकती है और न विज्ञान की निर्दोषता को । धर्म के मान्तर-पक्ष और विज्ञान में सम्बन्ध ? यह भी अनिवार्य है वरना या तो धर्म सदोष होगा या विज्ञान धर्म की सदोषता का उदाहरण ? हरी शाकसजियों के खाने की इजाजत न देना चादि धर्म की सदोषता है क्योंकि विज्ञान (हाइजिन) से सिद्ध होता है कि उनमे रहने वाले तत्व (विटामिन ) स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। विज्ञान की सदोषता का उदाहरण ? मांसा हार का समर्थन विज्ञान की सदोषता है क्योंकि इससे होने वाले लाभो की अपेक्षा हानियाँ अधिक हैं । मन्त्रतन्त्र प्रादि ? शब्द-शक्ति द्वारा किसी को प्रभावित करना मन्त्र है और विचार-शक्ति द्वारा किसी को प्रभाषित करना तन्त्र है, इस दृष्टि से मन्त्र तन्त्र का समर्थन धर्म द्वारा भी होता है और विज्ञान (साइकोलॉजी) द्वारा भी; किन्तु धान के इतने विकृत हो गये हैं कि उनसे धर्म की दुर्गति हो रही है और हम विज्ञान के पूर्व लाभ से बचित हो रहे हैं। नतीजा क्या ? धर्म और विज्ञान में सम्बन्ध होना अत्यन्त अनिवार्य है वरना वह दिन दूर नही जब विज्ञान के faरुद्ध धर्म को ढकोसला और पाखण्ड कहा जावेगा। मौर धर्म विरुद्ध विज्ञान को अमानवीय कुचेष्टा १० धतः अपनेअपने क्षेत्र के सक्षम धौर प्रतिष्ठित सज्जनों को चाहिए कि वे वक्त रहते इन दोनों मे समतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करें ऐसा करने के लिए जहाँ विज्ञान की धारा को मानबता की पोर मोडना होगा वहाँ धर्म (चाहे जैन हो या कोई और) का प्रोवर हालिंग भी जरूर जरूर करना होगा । ८. दे० खिलविश्व जैन मिशन द्वारा मासाहार के विरोध मे प्रकाशित पट ६. दे० 'सरिता' (१ दिम०, ६४ ) में श्री प्रनन्तराम दुबे 'प्रभात' का लेख 'मंत्र-तंत्र मंत्र' | १०. दे० 'सरिता' (१५ दिसं०, ६५, १५ मार्च १ ल और १५ अप्रैल ६६) में श्री सखा बोरड़ की 'कितना महगा धर्म ?' मला
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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