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________________ उदारमना स्व. बाबू छोटेलालजी अनेक सार्वजनिक संस्थानों में सक्रिय भाग लेते रहे थे, अपनी सगृहीत बहुमूल्य पुस्तके दी थी। समिति की पोर जिनमें कुछ का संक्षिन्त वर्णन इस प्रकार है से सन् १९२१ मे 'जैन विजय' नामक पत्र प्रकाशित हुमा स्थानीय महावीर दि० जैन विद्यालय के मन्त्री २५. था, उसमे पाप सहायक सम्पादक नियुक्त किये गये थे। ३० वर्ष तक रहे। आप अपने कार्यकाल में बच्चों की सन् १९२२ मे बाढ-पीड़ितों की सहायता के लिए चन्दा धार्मिक शिक्षा एव सस्कागे पर विशेष जोर देते थे। हुआ, उसके लिए भी आपने प्रयत्न किया था। जैन बच्चो के लिए धार्मिक विषय में सफल होना अनि- सन् १९१७ मे सेठ पद्यराजजी रानीवालों एवं प्राप वार्य रखते थे, जिसका यह परिणाम हुआ कि उस कालके के प्रयत्नों से जैन समाजो की एकता व उन्नति के लिए विद्यालयो के विद्यार्थियो मे धामिक रुचि अधिक बढो श्री महावीर जैन समिति की स्थापना की गई, जिसके थी। सभापति रानी वाले एव पाप मन्त्री रहे थे । समिति की अपने पिता श्री के ट्रस्टी होने के कारण आप भी अोर से मासिक सभा करवाने तथा विशेषतः स्त्री-जाति प्रारम्भ हो से दिगम्बर जैन मन्दिरो की व्यवस्था प्रादि में विद्या प्रचार करना प्रादि तय किया गया। समिति में सक्रिय भाग लेते रहे । पाप भी वर्षो मे दिगम्बर जैन की मोर मे १९१७ मे जैनधर्म भूषण स्व०७शीतल. मन्दिरो के ट्रस्टी एव रथयात्रा कमेटी के भी ट्रस्टी रहे। प्रसादजी के सभापतित्व में भारत जैन महामण्डल का अधि जैन भवन के निर्माण में प्रमुख भाग लेते रहे है। वेशन प्रा. जिसमे प्राय सभी प्रान्तों के प्रतिनिधियों ने अहिसा प्रचार समिति के संस्थापको में से है एवं भाग लिया था। समिति की ओर से काग्रेस अधिवेशन के इसके निर्माण एवं सवर्द्धन में सक्रिय भाग लेते रहे हैं। समय २७-१२-१७ को All India Jain Association कलकत्ता मे सन् १९४४ मे वीर शासन जयन्ती व Political Jain Conference का भी आयोजन महोत्सव विशाल स्तर पर मनाया गया, उस समय वीर- किया गया था, जिसमे लोकमान्य बाल गगाधर तिलक व शासन सघ एवं वित् परिषद की स्थापना कराई। देश-पूज्य खापर्डे भी सम्मिशित हुए थे। श्री खापर्डे जैन अाप कलकता में श्वेताम्बर दिगम्बर समाजो को पोलिटिकल कान्मन्स के सभापति थे। मयुक्त रूप से महावीर जयन्ती मनाने के पक्ष में प्रारम्भ समिति १९१७ मे कांग्रेस-Affiliate हो गई थी से रहे है। पाप जैन समाज के सभी सम्प्रदायो मे ऐक्य और समिति को प्रतिनिधि भेजने का अधिकार मिल गया चाहते थे। जैसे प्राप दिगम्बर समाज मे प्रिय एवं था। बाबूजी भी अनेक वर्षों तक कांग्रेस के प्रतिनिधि सम्मानित थे वैसे ही श्वेताम्बर समाज मे भी थे। आप होते रहे हैं। जैन समाज की एकता की प्रतीक श्री जैन सभा मे कार्य बगाल, बिहार, उड़ीसा दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र करते रहे हैं । आप १९४७-४८ में इसके सभापति चुने कमेटी के अनेक वर्षों तक मन्त्री रहे। बिहार प्रान्तीय गये थे। अापके कार्यकाल में सभा की प्रोर से महावीर दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के एवं अखिल भारतीय जयन्ती उत्मव मनाया गया, जिसमे दोनों समाजों व इतर दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की प्रबन्धकारिणियों मे अनेक ममाजो के उच्च कोटि के विद्वान सम्मिलित हए थे। वर्षों वे सम्मानित सदस्य के रूप मे रहे थे। पाप उसके बाद में मभा की कार्यसमिति में बराबर रहते आपने खण्डगिरि, उदयगिरि का इतिहास समाज के आये हैं । मापने सदैव जैन समाज की सभी शाखामो को सामने रखा । भ० महावीर के फूफा जितारी का निर्वाण एकता पर बल दिया। म्थल सिद्ध कर इसे मिद्ध-क्षेत्र घोषित किया। इस क्षेत्र 'श्री दिगम्बर जैन युवक समिति' कलकत्ता की एक को प्रमिद्धि में लाने का श्रेय प्रापको ही है। महत्वपूर्ण संस्था है। इसके स्थापन एवं प्रारम्भिक कार्यों आप कलकत्ता के गनी ट्रेडस एसोसिएशन के स्थामे आपका विशेष हाय रहा है। इस समिति की पोर से पनकाल (सन् १९२५) से ही सक्रिय कार्यकर्ता रहे है। महावीर पुस्तकालय संचालित होता है, उसमें प्रापने पाप ३२ वर्ष तक इसकी कार्यकारिणी समिति के सदस्य
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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