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४-हिन्दी साहित्य:
२. मराठा भाषा का जैन साहित्य । १. हिन्दी के मादिकाल के जैन प्रबन्ध काव्य ।
३. दक्षिण भारतीय भाषामों का जैन साहित्य । २. हिन्दी जैन साहित्य के प्रमुख कवि।
६-र्शन: ३. हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में जैन विद्वानों का१.जनदर्शन के सर्वव्यापी सिद्धांत । योगदान।
२.जैनदर्शन के प्रमुख प्रवक्ता समन्तभद्र प्रकलङ्क, ४. राजस्थान के जैन ग्रन्थ संग्रहालयों में उपलब्ध विद्यानन्दि, हरिभद्र सूरि प्रादि । हिन्दी साहित्य ।
३. जैनदर्शन में अध्यात्मवाद । ५. हिन्दी की प्रज्ञात जैन रचनाएँ।
४. जनदर्शन का भारतीय दर्शनों में स्थान । ६. हिन्दी साहित्य की सुरक्षा में जैनों का योगदान ।
५. जैन दर्शन में ईश्वर की परिकल्पना। ७. हिन्दी के वर्तमान जैन लेखक ।
लेखादि भेजने का पता८. जनों का हिन्दी गद्य साहित्य ।
डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल ५-अन्य साहित्य:
महावीर भवन, सवाई मानसिंह हाईवे, १. जैन गुजराती साहित्य ।
जयपुर
श्रीपुर पार्श्वनाथ मंदिर के मूर्ति यंत्र लेख संग्रह
पं० नेमचन्द पन्नूसा जैन, देउलगांव
[गत किरण से आगे] (१) पवली मंदिर जो प्रथम दर्शनी घन्टा है-दिगंबरी (क) पीतल पार्श्वनाथ ऊंची २"-विमलचन्द्र जैनमंदिर पवली संस्थान शिरपुर ।
उपदेशात् । (२) उत्तर दिशा का घन्टा-'श्री अन्तरिक्ष पारिसनाथ (ख) पीतल पद्मावती ऊँची ५"-श्री. मू० सं० मीति कातिक सुध पोरणीमा १४ सं० १९३६
भट्टारक इशाल (विशाल) कीर्ति श्रीपुर (३) सभामण्डप में का बड़ा घण्टा होनासा रामासा
(२) भगवंग सइतपाल । दिगंबर जैन धाकड यांनी प्रदान केला। प्रों श्री (२) श्री. सुन्दरसा देवमणसा के गृह मेंदिगंबर जैन मन्दिर पवली शिरपुर ॥
(क) पीतल पाश्वनाथ ऊंची १॥"-१२२५ श्री (४) गर्भगृह में वेदी के सामने पायथली फरसी के एक
मूलसंधे) सेनगन १२२५ पत्थर पर-श्री. मिश्रीलाल दि. जैन झावरा
(ख) पी. पार्श्वनाथ ऊंची ४"-श्री मूलमंघ सं० पाटनवाला मु. निगबी (नांदेड) तरफ से रु० १५ ।
११२४ (११३४) शिरपुर के गहचैत्याल्य के कुछ निवडक मूर्ति (३) अण्णा रावजी बोरालकर के गृहमेलेख:
(क) पीतल पाश्र्वनाथ ऊंची ३"-१७१७ फाल्गुन (१) श्री. प्रात्माराम राघोजी बेलेकर के गृह में
सु० ३ श्रीपुर।