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३. बाबू सा० का व्यक्तित्व एवं कृतित्व ।
४. समाज सेवा के कुछ अनुभव ।
५. सामाजिक संस्थानों के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में उनका जीवन ।
६. समाज की संस्थाओं के विकास में योगदान
२ - साहित्य एवं पुरातत्त्व सेवा :
श्री छोटेलाल जैन प्रभिनन्दन ग्रन्थ
७. बाबू सा० द्वारा संस्थापित एवं संरक्षित संस्थान ८. वीर सेवामन्दिर के विकास में उनका योगदान । ६. भारत भ्रमण ।
१. बाबू सा० की कृतियों का मूल्यांकन |
२. हृदय से सच्चे साहित्य सेवी । ३. प्रकाशित एवं अप्रकाशित साहित्य | ४. पुरातत्त्व की खोज में ।
३- संस्मरण :
४ - शुभकामनाएँ :
पर्व ।
खण्ड ख -
१. जैन समाज एक परिचय ।
२. भारतीय समाज और जैनसमाज ।
३. भारतीय समाज गत ५० वर्षों में । ४. जैन समाज का स्वातन्त्र्य संग्राम में योगदान |
५. उत्तरी भारत की प्रमुख जैन शिक्षण संस्थाएं ।
६. जैनों के विविध सामाजिक भान्दोलन । ७. बंगला में जैन धर्म एवं उसका विकास । ८. कलकत्ता जैनसमाज |
६. कलकत्ता नगर की जैन संस्थाएँ ।
१०. कलकत्ते का कार्तिक महोत्सव एक सांस्कृतिक
११. नगर के दर्शनीय मन्दिर ।
१२. राजस्थान प्रवासियों का बंगाल प्रदेश के विकास में योगदान ।
१३. महात्मा गांधी और जैन धर्म ।
१४. अग्रवाल जैनों द्वारा साहित्य सेवा में योग । ११. २०वीं शताब्दी के कुछ प्रमुख जैन सन्त, प्राचार्य सूर्वसागर जी वर्णी जी, ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद शादि ।
१६. वर्तमान के प्रतिनिधि जैन विद्वान प्रेमी जी, उपाध्याय जी, सी० मार जैन, हीरालालजी, जिनविजय
जी, सुखलालजी, कैलाली धादि
१७. देश के प्रौद्योगीकरण में जैन उद्योगपतियों का
स्थान ।
१८. भारत के प्रमुख जैन उद्योग पति । १९. भारत की प्रमुख जैन बस्तियों ।
२०. भारत के प्रमुख जैन तीर्थ एवं उनका परिचय । २१. शिल्प एवं वस्तुकला में जैनों का योगदान ।
खण्ड ग
'साहित्य और वर्शन' -साहित्य
१- प्राकृत साहित्य :
१. प्राकृत साहित्य के विकास में जैन माचायों का योगदान |
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२. प्राकृत भाषा में विविध जैनागम ।
३. प्राकृत के प्रमुख महाकाकाव्य ।
४. जैनेतर विद्वानों द्वारा प्राकृत भाषा की सेवा ।
५. म्रा० कुन्दकुन्द एवं उनकी प्राकृत रचनाएँ ।
६. आचार्य नेमिचन्द्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व । ७. प्राकृत का धर्मकालीन साहित्य | संस्कृत साहित्य
१. संस्कृत भाषा के जैन महाकाव्य । २. संस्कृत भाषा के जैन पुराण साहित्य । ३. संस्कृत भाषा के जैन काव्य साहित्य | ४. संस्कृत भाषा के जैन ग्रमर कवि । ५. जैन स्तोत्र साहित्य ।
६. आचार्य सोमदेव का व्यक्तित्व एवं कृतित्व ।
७. संस्कृत साहित्य के विकास में जैनों का योगदान ।
३- प्रपभ्रंश साहित्य :
१. अपभ्रंश के प्रमुख प्रवक्ता ।
२. हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान
३. राजस्थान में अपभ्रंश ग्रंथों की खोज ।
४. अपभ्रंश के सूर्य और चन्द्रमा स्वयम्भू धीर पुष्पदन्त ।
५. अपभ्रंश साहित्य में खोज की आवश्यकता । ६. अपभ्रंश का प्रकाशित साहित्य | ७. अपभ्रंश के प्रमुख महाकाव्य ।