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________________ ७८ अनेकान्त पी.चन्द्रा, श्री एन० जी० मजमदार, श्री के एन. दीक्षित दर्शन देने तथा व्यवसाय धन्धे में लगाने में पाप सतत अमूल्य चन्द्र विद्याभूषण, डा. विभूतिभूषणदत्त, डा. ए. प्रयत्नशील रहते हैं। कलकत्ते के बंगाली एवं जैनेतर मार भट्टाचार्य, डा. एस. आर. बनर्जी आदि सैकड़ों समाज में भी पाप विशेष प्रिय हैं तथा वहाँ के प्रतिष्ठित विद्वानों ने मापसे जैन साहित्य एवं पुरातत्व में पूरा सहयोग साहित्य सेवियों एवं समाज सेवियों से आपका विशेष लिया है। सम्बन्ध है। बाबू जी सदैव सफल व्यापारी रहे हैं। एक लम्बे समय तक माप कलकत्ता की प्रसिद्ध ट्रेड एसोसियेसन के लेकिन दुःख है कि आपका स्वास्थ्य प्रापका साथ प्रमुख सदस्य रहे। इस संस्था के प्राप वर्षों तक मन्त्री नहीं देता और बीमारी चाहे जब आपको परेशान करती एवं अध्यक्ष भी रहे हैं। पापकी व्यवसायिक योग्यता देख रहती है। अस्वस्थ रहने पर भी उत्साह एवं लगन के कर बंगाल चैम्बर आफ कामर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज तथा साथ प्राप समाज एवं देश की सेवा में व्यस्त रहते हैं। इण्डियन चैम्बर आफ कामर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज ने अपनी हमारा कर्तव्य है कि ऐसे देश सेवी, समाज सेवी एवं मोर से प्रापको पंच नियुक्त किया। साहित्य सेवी महानुभावों का समुचित सत्कार किया इन सब के अतिरिक्त प्राप दानी, परोपकारी, एवं जाय । ऐसे साधक एवं संस्कृति के अनन्य सेवक के सत्कार कर्मठ कार्यकर्ता हैं। अब तक आपने मिलाकर विभिन्न का प्रायोजन वस्तुतः अपने पापको गौरवान्वित करना है सामाजिक संस्थानों को लाखों रुपये का दान दिया होगा। और इसीलिए आपके अभिनन्दन का आयोजन किया जा पापको समाज के नवयुवकों का बड़ा ख्याल है। उन्हें मार्ग रहा है। श्री छोटेलाल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ सम्पादक मण्डल कृपया आप अपना मौलिक लेख किसी एक भाषा में सूची के विषय या अन्य विषय पर ३१ मई ६५ तक भेज कर डा. कालीदासी नाग, पण्डित चैनसुखदास न्यायतीर्थ अनुगृहीत करें । अभिनन्दन ग्रन्थ में लेख प्रकाशित होने पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल, पर पापको लेख को २० प्रतियाँ अतिरिक्त भेज दी श्री टी. एन. रामचन्द्रन, श्री अगरचन्द नाहटा, डा. सत्य जावेंगी। रंजन बनर्जी। कृपया आप जिस विषय को चुने उसकी स्वीकृति प्रापको यह जान कर प्रसन्नता होगा कि सुप्रसिद्ध शीघ्र ही भिजवाने का कष्ट करें। समाजसेवी, इतिहास एवं पुरातत्त्ववेत्ता श्री छोटेलाल जी जैन कलकत्ता के ७०वे वर्ष की समाप्ति पर उनका सार्व श्री छोटेलाल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ जनिक अभिनन्दन करने का निश्चय किया गया है। इस विषय-सूची अवसर पर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ भी भेट किया खण्डक जावेगा। अभिनन्दन ग्रन्थ में देश के प्रख्यात लेखकों, विचारकों १. जन्म, परिवार, मातापिता, शिक्षा, विवाह एवं एवम् विद्वानों के गवेषणापूर्ण लेख होंगे। अन्य हिन्दी, व्यसन । अंग्रेजी एवं बंगला तीनों भाषाओं में प्रकाशित होगा। २. धर्मपत्नी का संक्षिप्त परिचय (सचित्र)।
SR No.538018
Book TitleAnekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1965
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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