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साहित्य-समीक्षा
है, जो बीकानेर की दर्शन परिषद में पढ़ा गया था। पड़ी है । छपाई सफाई सुन्दर और आकर्षक है। इसके ___ ग्रन्थ का प्रकाशन सुन्दर हुमा है, और वह भक्तिवश लिए सम्पादको को अधिक परिश्रम करना पड़ा है जिसके दो स्याही में छापा गया है। और प्रचार की दृष्टि से वे धन्यवाद के पात्र हैं। प्रचार की दृष्टि से स्मारिका का उसका मूल्य भी कम रक्खा गया है। इस सुन्दर सस्करण मूल्य कम है । प्राशा है समाज उसे अपनाएगी। के लिए दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट धन्यवादाह ६. सार्ड शताब्दी स्मृति अन्य :-प्रकाशक श्री हैं । वास्तव में सिद्धान्त ग्रन्थों के प्रकाशन इसी तरह जैन श्वेताम्बर पचायती मंदिर साई शताब्दि महोत्सव होना चाहिये।
समिति १३६, काटन स्ट्रीट कलकत्ता ७। पृष्ठ संख्या ५. सिलवर जुबली स्मारिका एवं हू इज :- १४२ मूल्य सजिल्द प्रति का २) रुपया। सम्पादक चक्रेश कुमार बी. काम एल. एल-बी. और प्रस्तुत स्मृति ग्रन्थ में कलकत्ता के श्वेताम्बर जैन मुनीन्द्र कुमार एम. ए. बी. एस-सी. एल. एल. बी. । प्रका- पंचायती मन्दिर का इतिहास देते हुए वहां के अन्य शक, मत्री जैन सभा नई दिल्ली, मूल्य ५० नया पंसा। श्वेताम्बर जैन मन्दिरों का सचित्र परिचय दिया है. साथ प्रस्तुत पुस्तिका जैन सभा नई दिल्ली के सिल्वर में दिगम्बर मंदिरों का यथा स्थान उल्लेख एवं संक्षिप्त
सन के पतमा 7 प्रकाशित हई है। इसके परिचय अंकित है। कलकत्ता के कार्तिकी महोत्सव का प्रारम्भ में नए मन्दिर धर्मपुरा दिल्ली की मूलवेदी में भी परिचय दिया गया है। विराजमान सं० १६६१ की प्रतिष्ठित भगवान आदिनाथ स्मारिका में कई लेख महत्वपूर्ण और सुन्दर है। जैन की मूर्ति का चित्र अंकित है। बाद में राष्ट्रपति राधा सिद्धान्त में पुद्गल द्रव्य और परमाणु सिद्धान्त दुलीचन्द कृष्णन का चित्र दिया है, और पश्चात् अन्य पदाधि- जैन मुगावली का यह लेख पठनीय है। बिहार का ताम्र कारियों के चित्रों के साथ उनकी सभा के प्रति शुभ शासन बाबू छोटेलाल जी का लेख भी पठनीय है। कामनाएं दी हुई हैं । उसके बाद डा० ए. एन उपाध्ये हिन्दी के प्राचीन नीति-काव्य में जैन विद्वानों का योगदान एम- ए. डी. लिट का भगवान महावीर के जीवन और डा० राम स्वरूप का लेख और जैन स्तोत्र साहित्य आदि शासन पर प्रकाश डालने वाला महत्वपूर्ण लेख दिया है, के लेख भी महत्व पूर्ण है। इस तरह यह स्मृति ग्रन्थ पश्चात् अन्य लेखकों के हिन्दी अग्रेजी के संक्षिप्त सरल सचित्र और आकर्षक भी है। एवं पठनीय लेख दिये है। और अन्त में जैन सभा नई ग्रन्थ का चयन और प्रकाशन सुन्दर हरा है इसके दिल्ली के सदस्यो और पदाधिकारियों का परिचय लिये सार्द्ध शताब्दी महोत्सव समिति के सदस्यगण धन्यदिया हुआ है . इन सबके कारण स्मारिका सुन्दर बन वाद के पात्र हैं।
-परमानन्द शास्त्री
अनेकान्त की पुरानी फाइलें
अनेकान्त की कुछ पुरानी फाइलें अवशिष्ट हैं जिनमें इतिहास, पुरातत्व, दर्शन और साहित्य के सम्बन्ध में खोजपूर्ण लेख लिखे गए हैं जो पठनीय तथा संग्रहणीय है। फाइलें अनेकान्त के लागत मूल्य पर दी जावेंगी, पोस्टेजखर्च अलग होगा। फाइलें वर्ष ८, ९, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६, १७ वर्षों की हैं । थोड़ी ही प्रतियां अवशिष्ट हैं। मंगाने की शीघ्रता करें।
मैनेजर 'अनेकान्त' वीरसेवामन्दिर २१ दरियागंज, दिल्ली।