________________
२८८
अनेकान्त
३६. प्रतिहार साम्राज्य में जैनधर्म
५४. शोध-कण-परमानन्द शास्त्री -डा. दशरथ शर्मा एम. ए. डी. लिट् १७ ५५. शोध-कण-(महत्वपूर्ण दो मूर्ति लेख) ३७. बोध प्राभूत के संदर्भ में प्राचार्य कुन्दकुन्द
-नेमचन्द धन्नूसा जैन साध्वी श्री मंजुला
१२८ ५६. श्रावक प्रज्ञप्ति का रचयिता कौन ? ३८. ब्रह्म नेमिदत्त और उनकी रचनाएँ
-श्री बालचन्द्र सि० शास्त्री -परमानन्द शास्त्री
५७. श्री छोटेलाल जैन अभिनन्दन ग्रंथ । ३९. भगवान पार्श्वनाथ-परमानन्द शास्त्री
-डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल ३७, ७८ ४०. भ. विश्वभूषण की कतिपय अज्ञात रचनाएँ -श्री अगरचन्द नाहटा
- ५८. श्री बाबू छोटेलाल जैन का संक्षिप्त परिचय
१५८ ४१. भूधरदाम का पार्श्व पुराण-एक महाकाव्य
-डा० कस्तूरचन्द्र कासलीवाल - ७७ श्री सलेकचन्द जैन एम. ए.
११६ ५६. श्रीपुर पार्श्वनाथ मन्दिर के मूर्ति-यन्त्र लेख ४२. भूपाल बौत्रीसी की एक महत्वपूर्ण सचित्र प्रति - संग्रह-प० नेमचन्द धन्नूसा जैन २५,८० --अगरचन्द्र नाहटा
५६ ६०. श्रीपुर निर्वाणभक्ति और कुन्दकुन्द ४३. मोह विवेक युद्धः एक परीक्षण
-डा० विद्याधर जोहरा पुरकर --डा. रवीन्द्र कुमार जैन तिरूपति १०७ ६१. श्री लाल बहादुर शास्त्री-यशपाल जैन २३७ ४४. मध्यकालीन जैन हिन्दी-काव्य में शान्ताभक्ति ६२. श्री मोहनलाल जी ज्ञानभंडार सूरत की ताड़-डा. प्रेमसागर जैन
१६४ पत्रीय प्रतियाँ-धीभंवरलाल नाहटा १७.६ ४५. महपि बाल्मीकि और श्रमण मस्कृति
६३. श्री सम्मेदशिखर तीर्थरक्षा-प्रेमचन्द जैन ४८ -मुनि विद्यानन्द ४३ ६४. श्री सिद्धस्तवनम् (धवला से)
१४५ ४६. यशस्तिलक कालीन प्राथिक जीवन
६५, सम्यदर्शन-साध्वी श्री संघ मित्रा १६६ -डा.गोकुलचन्द जैन
६६. साहित्य मे अन्तरिक्ष पाश्वनाथ श्रीपुर ४७. यशस्तिलक में चचित-पाश्रम व्यवस्था और
--40 नेमचन्द धन्नूसा जैन .२२४, २६५ संन्यस्त व्यक्ति-डा. गोकुलचन्दर्जन १४६ ६७. साहित्य-ममीक्षा-परमानन्द शास्त्री ४५, १५, १६२ ४८. यशस्तिलक मे वणित वर्ण व्यवस्था और समाज
२४० गठन-डा० गोकुलचन्द जैन
२१३ ६८. साहित्य-समीक्षा-डा०प्रेमसागर ४६. वजरंग गढ़ का दिशंद जिनालय श्री नीरज जैन ६५ .
५५ ६६. सेनगण की भट्टारक परम्परा ५०. वर्णीजी का प्रात्मपालोचन और समाधि संकल्प
-श्री पं० नेमचन्द धन्नूसा -श्री नीरज जैन
७०. सुपार्श्वनाथ जिनस्तुति-समन्तभद्राचार्य ५१. विधर्भ में जैनधर्म की परम्परा -डा. विद्याधर जोहरा पुरकर
१४ ७१. सुमति जिनस्तवन-समन्तभद्र ५२. वृषभदेव तथा शिव-सम्बन्धी प्राच्य मान्यताएँ ७२. सोलहवीं शताब्दी की दो प्रशस्तियां डा० राजकुमारजन
२३०, २७६ -परमानन्द शास्त्री ५३. शन्द चिन्तनः शोध दिशाएँ
७३. हेमराज नाम के दो विद्वान -मुनि श्री नथमल
-परमानन्द शास्त्री
૨૨