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एक महत्वपूर्ण पत्र
अनेकान्त पत्र के १८वे वर्ष के मैंने दो-तीन ग्रंक पड़े हैं। प्रत्येक अंक में विषय चुने हुए है। लेख मामिक और पिद्वानों के द्वारा पठनीय है। छपाई सुन्दर है। जैन साहित्य और इतिहास के सम्बन्ध में इससे पर्याप्त जानकारी मिलती है। शोध-खोज का कार्य करने वाले विद्वानों को अनेकान्त मंगा कर अवश्य पढना चाहिए। अनेकान्त का भाषा साहित्य उच्च कोटि का है। हां, एक बात जरूर खटकती है और वह यह कि इस पत्र में सर्व माधारण के लिए कुछ नहीं रहता। संचालकों को चाहिए कि वे इसमें कोई सुन्दर कहानी और जन-साधारण के लिए सरल भाषा का लेख भी दिया करे । ऐसा होने पर जन-साधारण भी इस पत्र को अपनायेगा। जन-समाज को चाहिए कि ऐसे प्रतिष्टित पत्र को महयोग दे और अधिक से अधिक ग्राहक बन कर जैन साहित्य के विकास में योग-दान करे। '
-डा. प्रार. सी. जिन्दल
वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक
१०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता | १५७) श्री जगमोहन जी सरावगी, कलकत्ता १०००) श्री देवेन्द्रकुमार जैन, ट्रस्ट,
१५०) , कस्तूरचन्द जी मानन्दीलाल कलकत्ता श्री साहु शीतलप्रसाद जी, कलकत्ता
१५०) , कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता ५००) श्री रामजीवन सरावगी एण्ड संस, कलकत्ता १५०) , पं० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५० ) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता
१५०) , मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता
१५०) , प्रतापमल जी मदनलाल पांड्या, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता १५०) , भागचन्द जी पाटनी, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता
१५०) , शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्री रा. बा. हरखचन्द जी जैन, रांची १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जी कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पहाडपा), कलकत्ता १०) , मारवाड़ी वि. जैन समाज, व्यावर २५१) श्री स० सि. धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) , दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन,
१०१) , सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं. २ मंसस मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता १०१) , लाला शान्तिलाल कागजी, दरियागंज विल्ली २५१) श्री लाला जयप्रकाश जी जैन
१०१) , सेठ भंवरीलाल जी बाकलीवाल, इम्फाल स्वस्तिक मेटल वर्स, जगाधरी
१०१) , शान्ति प्रसाद जी जैन जैन बुक एजेन्सी, २५०) श्री मोतीलाल होराचन्द गांधी, उस्मानाबाद
नई दिल्ली २५०) श्री बन्शीवर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता
१०१) , सेठ जगन्नाथजी पाण्डया अमरीतलया २५०) श्री जगमन्दरदास जी जैन, कलकत्ता
१०१) , सेठ भगवानदास शोभाराम जी सागर २५.) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी
(म०प्र०) २५०) श्री महावीरप्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता १०१) , बाबू नृपेन्द्रकुमार जो गैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. पार० सी० जन, कलकत्ता
१००) , बद्रीप्रसाद जो प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १००) , रूपचन्दजी अंन, कलकत्ता १५.) श्री बजरंगलाल जी चन्द्रकुमार जो, कलकत्ता १००) , जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द गो टोंग्या १५०) श्री चम्पालाल जी सरावगी, कलकत्ता