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भोपुर पाश्चनाप मूर्ति मंदिर यंत्र लेल संग्रह सेठी (स्थान) सेठी....."भार्या जिनाइ.....कर सेठी- इसी तरह अं. पाश्वनाथ के सीधे बाजू श्वे. पीतल रखल सेठी, भार्या मालाई ।
की ४ मूर्ति तथा पंचपरमेष्ठी के २ मोठे, १ छोटे चांदी (१२) पावती देवी-स. पाषाण उंची म. २- के यंत्र हैं, और प्रष्ट मंगल के एक चांदी के और पीतल स्वस्ती श्री सिरपुर ग्राम संवत् १९३० शके १७६५ मिती का यंत्र है। कातिक शदी १३ पार्श्वनाथ सामी सह हि छत्र प्रतिष्ठा ऊपर के गर्भगह में:झाली.
१. पीतल का यंत्र-शाके १७३७-चाकी लेख __इस पद्मावती देवी के मस्तक पर पार्श्व प्रभु की एक
नहीं। इस यंत्र में नन्दीश्वर द्वीप के द्वापंचाशत जिन एक मूर्ति हैं। तथा उसके दोनों बाज दो-दो ऐसी चार ।
बिम्बों को नमस्कार किया है। पद्मासनी दि. मूर्ति है। इन मूर्तियों के नीचे चमर और दण्डधारी एक यक्ष है, तथा उनके नीचे भी किसी वाहन
२. तावे का यंत्र- एक वर्तुल में-मों ह्रीं दर्श पर बैठी हुई एकेक व्यक्ति (यक्षिणी) हैं।
विशुध्याय नमः । मों ह्रीं सोडशभावनाय नमः । सोला १३. पार्श्वनाथ-काला पापाण उंची ७"-लेख नहीं।।
अंगाय नमः। (वर्तुल के बाह्म बाजू में) विवाह नाम
संवत्सरे पौष वदी पचमी शुक्रवारे प्रतिष्ठा सीरपुर १४. पार्श्वनाथ-काला पिंगट पाषाण-उंची ८"
अंतरीक्ष पार्श्वनाथ चैत्याल्ये दीक्षाग्रहण प्रतीसन पर) -अर्ध पद्मासन सप्तफणायुक्त, घ्यान मुद्रा (हाथ पावो । से उठाकर नाभी कमल तक तक उठाये) है' इसका और
३. पीतल का यंत्र- शाके १६०७ कोधनाम लेख नं०१० के अनन्त के मति का पाषाण एक ही है। संवत्सरे मार्गशीर्ष सुदी १० गुरे सेनगणे वपभसेनान्वये यह दोनों प्रतिमा जड़याने धातु मिश्रित मालूम पड़ती हैं। म. र
भ. सोमसेनदेवास्तत्पट्ट भ. जिनसेन गुरुपदेशात् जांबगाव बरी पजा समय भिवानीudaiy वास्तव्य धाकड (जातीय) जससा भार्या गौराई पुत्र के सामने ही रखी जाती हैं।
कोंडामंधवी भा. चिगाई भ्रान नेमासंगवी भा. सोयराई, १५. चांदी के सोलाकारण यंत्र-लेख नहीं-(यह भ्रात मथ
भ्रात मेथामा भार्या द्वारकाई एते प्रणमती। यंत्र सौ. जानकाबाई भ्र. मोती सा ब्राह्मण वाडीकर म० ४. दश. यंत्र तांबे का-सवत १८४५ शालि शाके अकोला इन्होंने यहां (थीपुर में) सोलाकारण ब्रतोद्यापन १७१० किलक नाम संवत फाल्गुण मासे शुक्ल ११ रवी करके दान दिया है।)
सेनगणे पुष्कर गच्छे सी मूलसघे श्री वृपभसेनान्वये श्री १६. रत्नत्रय यंत्र-ताबे का-सं. १६३६ वर्षे सिद्धमे (न)....."भट्टारक तुकसा प्रतीष्ठी ? बैशाख वदी ११ सोमे श्रीमूल संघे सरस्वती गच्छे ५. अप्टाग सम्यग्दर्शन पीतल का यत्र-शके बलात्कारगणे कुन्दकुन्दाम्नाये भ. श्री लक्ष्मीचन्द्र भ. ज्ञान- १६७६ मार्गशीर्ष सुदी १० दसमी मूलसघे वृभसेनगण भूपण भ. श्री प्रभाचन्द्र भ. श्री वादीचन्द्र उपदेशात्..... वृषभसेनगणान्वये भट्टारक श्री गुणभद्रदेवा: तत्पदे भ. प्रगामति ।
सोमसेन तत्पट्ट भ. श्री जिनसेनोपदेशात् जावग्राम धाकड १७. दशलक्षणी यंत्र २-पीतल के-माके १७२८ ।। ज्ञातो कोंडासा भार्या चिगाई एते--भार्या गौराई तयो माघ सुदी ३ श्री मूलमंघ भ. आगमिक श्री विशालकीर्ति पूत्राः त्रयः प्रथम कोंडामा भा. चिगाई तयो पुत्री प्रथम गुरुपदेशात् श्रीपुर मध्ये भगवंतजी मकराजी काले सइन रतनमा भार्या तुकाई द्वितीय लालमा, पुत्र: नेमामा भार्या बाल अनंतवतोद्यापन प्रणमति ।
सोहराई पुत्र. तु. मेयामा भार्या द्वारकाई एते नित्यं १६. दश. यंत्र-पीतल का-सं० १६०७ फाल्गुन प्रणमती। वदी १० मूल सरस्वती गच्छ (च्छे) बलात्कारगन (ण) ६. नन्दीश्वर पीतल की छोटी-भा विमल । कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भ. धर्मचन्द्रोपदेशात सकाहनी (नित्य ७. पार्श्वनाथ पीतल की ऊंची ४"-संवन १७१० (प्रणमति)।
मूल० ब० वंगाप मुद ३।