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विश्वभूषण को कतिपय प्रमात रचनाएं
१५९ विशालकीरति गुरू गगधार, नंदीतट गच्छ रायतु। बो-वागण खंड मंडण माह मासपुर सुप्रसिस । उपरगाम के श्रेयांस भवन का भी उल्लेख किया गया श्री जिन भवन सुहट्ट घर, वसि धावक समड ॥॥
इन पांच बड़ी रचनामों के प्रतिरिक्त विश्वभूषण के उपरगाम पुर मंडणु, श्रेयांस भवन सुभासतु ॥७॥ कई पद और गीत इस गुटके में है। उनके गुरु विशाल
तीसरी रचना अाकाश पचमी रास ९६ पद्यों की है- कीर्ति का भी ७ पद्यों का एक गीत और बारह व्रत दुहडा इसकी प्रशस्ति में भी अरगाम के श्रेयांस भवन में संवत् (१४) है। विशालकीति के अन्य शिष्य ब्रह्मचारी भोज१६४० में रचे जाने का उल्लेख है
राज के शिष्य ब्रह्मचारी कचरा ने रत्नभूपण मूरि रचित उपरिगाम श्रेयांम जिन, भुवन नयन मनुहार ।
कक्मणीहरण गीत इस गुटके में लिखा है। प्रशस्ति इस सत सोल चालीस प्रथम, मंगल तेरस शनिवार ॥१॥ प्रकार हैविद्यागण उदयाचल महेन्द्र गुरु सूर ।
बड़वाल शुभ स्थाने श्री प्रादिनाथ चैत्यालये श्री प्रवनि उदउ दय करवि, विशालकीरति रवि नूर ॥१२॥ विशालकीति तत शिष्य न० श्री २ भोजगज शिक्ष श्री तासु शिष्य नर रयण भुव, मंडण महिमा धार ।
कचरा ल (लि)नतम्। इस गुटके म और भी कई महत्वपूर्ण
रचनाएँ है जिनमे कुछ दिगम्बर है कुछ श्वेताम्बर है। भट्टारक विश्वभूषण रचयुं, रास हितकार ॥३॥
श्वे. कवि हीगनन्द रचित विद्याविलास राम (ग्चनाकाल ___ चौथी रचना "मौन ग्यारम रास" ३७, ५६, ५१
मवत् १४८५) मंवत् १६५८ मे कचरा ने लिखा हैहै। रचनाकाल का उल्लेख करते हुए लिखा है
"मवन् १६५८ कानिक वदि इग्यारम ११ सोम दिने संवत सोलइ गुणयालीसिये, वर्ष वैसाख त्रीज श्वेततु। धर्गयाउद शभ स्थाने ब्रह्मचारी श्री २ कचरा लक्षिाम् ।
इमकी रचना भी उपग्गाम के श्रेयांस जिनालय मे फूटकर रचनामों में विश्वभूषण रचिन हियानी गीत ७ की गई है--
पद्यों का उल्लेखनीय है । जिनमेन रचिन ५ पद्यो की एक उपरगाम महिमा घणीए छि श्री जिन श्रेयांस तु। अन्य हियानी भी इस गुटके में लिखी हुई है। गुटके के रसिक रास ऐतिहां किउ ऐ विविध करण श्रेयांस ॥४॥ प्रारम्भ में श्वे० कवि मंवेगमुन्दर का "मार मिग्वामण गम"
पांचवीं रचना "होली चोपई" संवत १६४२ के फागण है। नथा और भी कई श्वे० रचना है। २६३ पत्रों के पूनम को ग्रामपुर के जनभवन में रची गई। इसमे क्रमशः इस गुट के का अन्तिम पत्र खो गया है। इसमे गुटके की ४६, ४६, १.१० गाथाएं हैं। रचनाकाल व स्थान का मूची अधूरी रह गई है। पत्राक २६१.६२ मे दो पृष्ठों में उल्लेख इस प्रकार है
मुन्दर रेखाचित्र दिय हुआ है। प्रथम पृष्ठ में ऋषभदेव संवत सोल बिताला तणी, फागन प्रनिम दिन ए भणी। और दोनो ओर मेविकाय तथा दूसरे पृष्ठ पर मास्वनी शास्त्र श्रम मुझनि कई नथी, तं पिण होली उत्पति कथी। और अम्बिका का चित्र है।
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