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________________ अनेकान्त अन्तिम प्रशस्ति :......गज का...."नीको भ्र प्रगासु जाम भगतामर स्तवनु सुष हू कौ धाम है। ताको उदाहरण....."जिनदास संव पदहु ना..'धन धर्म ग्रह काम है। पढायो पढाइयो सुनाइयो जु माधु....."धम्नि वहै....."धरि पल्लु धन्नि वहै । धनुदास हमी देव भी निरु उजारं कह। भव्यानन्द स्तुति पंचाशिका या नाम है ॥४६॥ संवत नवसै मात सात पर मुनु धीर पउप पिता तू गुरती.....'कीयो क्रत की। स्यौपुर थानक विराज राजनन्द धनुदास ताकी मनु भयो भवि पिक्षांमृन्त कौ।। एक - एक काव्य की यया एकु. एक के कै एक एक बासर में एक-एक नित कौ। विय कर जारि धनगज कहै माधुनि सौ असाधु संसुद्ध काजी जानि मन हित सौ ॥१०॥ इत श्री भन्यानन्द पंचासिका समाप्ता मंवत १६१४ वर्षे वैमाव सुदी ७ को मनोहरदास का (या) स्थ चित्रामु कीनी । संवत १६६५ वर्षे चंद्र मुदी । भौमवासरे लीपनं पं० सिरोमनि भक्तामर स्तवन भावार्थ काव्य पंचामिका ।। मुभं भवतु ।। पोथी लिपाइ माहु धनराज गोलापूरब कर्म काय निमिते । प्रति परिचय : इस पंचाशिका की प्रति बहुत ही जीर्ण और जर्जस्ति हो चुकी है। ऐसा लगता है कि जहां कहीं यह रही है, उस पर लगातार पानी पडता ही रहा है। तभी तो वह इतनी गल गई कि हाथ लगाने ही पत्र फटने लगते हैं। कहीं-कहीं ना पाठ भंग लुप्त हो गया है। चित्र भी भ्रष्ट हो गये हैं। अनुसंधान में रुचि गम्बने वाले मजनों से निवेदन है कि यदि इस भव्यानंदपंचाशिका की प्रति अन्यत्र कहीं प्राप्त हो तो सूचित करने का कष्ट करें ताकि एक अज्ञान रचना पूर्णत्व प्राप्त कर सके । ★★★ कलकत्ता में महावीर जयंती -रानी दुधीरिया : कुमार चन्द्रसिंह दुधीरिया कलकत्ता महानगरी में महावीर जयंती पर इस बार नय देना प्रारंभ किया।। वाताबरण की सृष्टि हुई। तीर्थकर भगवान की जयंती उन जयन्ती के दिन स्वेच्छा से काम काज बन्द रखने की के धार्मिक अनुयायियों तक ही सीमित न रहकर व्यापक मुर्शिदाबाद मंघ की अपील पर शेयर बाजार, ईस्ट इण्डिया रूप में मनायी गयी । अन्य समाजों के व्यक्रियो ने भी जूट तथा हेसियन एक्सचेंज, बंगाल जूट ढीलम एमोसियेशन, समान रूचि एवं उत्साह के साथ मनाह व्यापी जयंती कार्य काशीपुर जूट ब्रोकर्स एसोसियेशन, भारत जूट चेलम एमीक्रमों में भाग लिया। पियेशन, छाता पट्टी, पगैयापट्टी, केशोराम कटरा, सूता पट्टी, जयन्ती समारोह के लिए वस्तुतः पहले से ही पृष्ठभूमि पांचागली, खत्री कटरा, विलासराय कटरा, पंजाबी कटरा, नयार हद थी। मुर्शिदाबाद संघ ने महावीर जयन्ती को मगा पट्टी, मनोहरदास कटरा, महाबोर कटरा आदि अहिमा दिवस के रूप में मनाने के लिए जयन्ती के पूर्व जो भगवान महावीर की जन्म तिथि २४ अप्रैल पर पूर्ण नया प्रचार किया. उसका व्यापक असर हुआ। बंद रहे। संघ सभापति श्री कमलसिंह दुधोरिया की अपील जैन कला प्रदर्शनी का ही यह परिणाम था कि विग्यान उगोगपति श्री मोहन जयन्ती के सप्ताह व्यापी कार्यक्रम का प्रारंभ जैन लाल लतानुभाई शाह की की अध्यक्षता में महावीर जयन्ती कला प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुआ।। भारत जैन महासमारोह समिति का गठन हुश्रा और नगर के विभिन्न वर्गों मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस कला प्रदर्शनी का के विचार शील व्यक्ति जयन्ती के उज्य के प्रति आकृष्ट १६ अप्रैल को स्थानीय एकेडेमी आफ फाईन आर्टम में हुए और उन्होंने जयन्ती के विभिन्न कार्यक्रमों में सहयोग उदघाटन करते हुए केन्द्रीय विधि एवं डाक-तार मंत्री श्री
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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