SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कविवर रइधू चित-सावय चरित जिण सासण काणण पंचाण जा सस्थथुपचिंतह पावणु णं दिसंघ णंदिय तव माणणु जिणहरि प्रज्जतउ सुह भावणु सद्द बंभ रयणोह पयोर्णािह ता तथाइएण सुह जोएं दिव्य वाणि उप्पाइय जण दिहि भव्य चित्त उपाइय मोएं सरसह गच्छे गच्छ सस्थाहिउ प्रायम चरिय पुराण बियाणे बाल बंभयारी मज माहिउ रेक्कणि साहु गुणेण पहाणे सिरि जिणचंदु भडारउ मुणिवइ पंडितत्थ तेण विण्णत्तर तहु पय-पयरुह बंदिव कइवइ करमउ लेप्पिणु वियसिय वत्तर धत्ता-भी भी कइयण वर, दुक्किय स्य-हर, पइ कइत्त भरुवहिउ स्पिरि णिमुणहि णिम्मल मण, रजिय वृहअण, सव्वसुहायरसच्चगिरि ॥२॥ जिह पइइह रयउ महापुराणु पत्थु जि गोवग्गिरि सुह पयासु नेपट्टि महा पुरिमाहिठाणु तोमर कुल कमल वियास-मित्तु जह पुण गाहा बंधेण सारु दुव्वार-रिसंगर अतित्त विरइया पयडु मिद्धतमाम डुगर निव रजधरा समन्यु पुण्णासउ मेंहे.परुचरित्त बदियण ममप्पिय भूरि पत्थु जमहरचरियउ पुणु दयणिमित्तु चउराय विज पालण अतंदु अवर वि जिह णाणा भय नन्थ णिम्मल जम्मवली भवण-कंदु नह मावय चरिउ भणेहु इन्थ कलि चक्कवट्टि पायड णिहागु ना कणा पडिउ उत्तरू पउत्त सिरि कित्तिसिधु महिवइ पहाणु तुह काहउ करमि हंउ तुह शिरुत्त तहु रजि वणी सु-महागुभाउ परणिय मिण सोय । णर पहागु गोलागडय प्रणह पाउ जो सन्थ भातु उन्धहइ जाग्गु संत्री सयाहिउ विदिय णामु जा वहिणउ कोवि महत्तु होइ वुहयण कुवलय पालय थामु ना किम विन्याइ मसत्थु लोह सुहग्गापिय मम राएण रत्तु पुणु १ कणि जपइ वियसियामु सग वमरण पाव वासण विरत घत्ता-तह हुव वर णदणु, दुरिय णिकदण चारिदाणणं दुरिय हरा का चिरा पऊमण गौतही तामणिस्वम गुण-गण-ग्यगा-धरा ॥३॥ पढमिल्लु धम्म धुरि दिन खंधु (१) जिण काराविउ जिणहरु समेट माहम्मिय हर कय पणय-बंधु धयवडपंनिहिं रह-सूरतेउ नवयरण पमुह गुणरयण-गेहु णिय मंतत्तणि रंजियउ राउ णिवाहिउ चउविह संघ-बहु पावय-विहाण कम्माणु राउ माणिक्क साहु मणि मुणिय तच्चु परणारि-परम्मुहु-विगय-लोहु कह मविण पयंपइ गिरि सच्चु असपशि साहुजण जणिय मोहु बीयउ पुणु परउवयारलीगु दुन्थिय (विग्वय १) जण पोमण कामधेणु जिण गुण परिणय उद्धरिय दोगु वरदाण पर पूरण करेस
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy