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________________ अनेकान्त पर अभिमत शुरू से ही यह पत्र पुरातत्त्व की खोज का मान्य पत्र था। उसका सुचारु रूप से चालू रखना निहायत जरूरी है। पाप तो बराबर तन, मन, धन मे महायता करते आये हैं तथा अब भी इसकी मार्थिक स्थिति सुधारने का प्रयत्न कर रहे हैं। ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है, आप इसमें अवश्य सफलीभूत होंगे । नयमल सेठी, कलकत्ता अंक की छपाई, गेट अप, मुरु पृष्ठ का रंग चित्र बहुत सुन्दर है। 'अनेकान्त' सिद्धान्त को प्रकट कर विश्व को अपने कल्याण का मार्ग बतावे एवं अपने ममाज के सामने ग्वोज-ग्वोज कर उनकी अपनी प्राचीन गौरव-गाथा को प्रकाश में लावें। मानमल कासलीवाल, इन्दौर अनेकान्त का प्रथम अंक मिला। अंक सुन्दर एवं खोजपूर्ण लेग्यो मे परिपूर्ण है। एक लम्बे समय में जैन समाज मे एक ग्वोजपूर्ण मामग्री युक्त पत्र का जो अभाव म्बटक रहा था, प्राशा है वह अभाव अब 'अनेकान्न' के प्रकाशन से दूर हो सकेगा। डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जयपुर __अंक सुन्दर निकला है, मामग्री पठनीय है, इम गमय शोध-पत्र की महती आवश्यकता है, आपने इम पत्र को पुनरुज्जीवन देकर समाज का बहुत बड़ा कार्य किया है। डा० नेमिचन्द जैन ज्योतिषाचार्य, पारा दीर्घकाल के उपगत फिर 'अनेकान्त' के दर्शन में बडी प्रसन्नता हुई । लेखों का चयन सुन्दर हुआ है, माय ही छपाई, मफाई अादि भी । मुखपृष्ठ पर दिया हा चित्र आकर्षक ही नहीं, वह पत्र के नाम को स्पष्ट बतला के. भुजबली शास्त्री सम्पादक 'गुरुदेव' प्रकाशन भी बहुत सुन्दर हुअा है, सम्पादक भी योग्य है। प्राशा है अब यह सतत निकलता ही रहेगा। अनुसन्धान की दृष्टि मे बहुत उपयोगी पत्र है । नेमिचन्द्र जैन, सहारनपुर अनेकान्त पत्र की प्रति मिली, वास्तव में अंक मे लेख अादि एवं छपाई पढ़ने योग्य और सुन्दर है, मैं स्वागत करता हूँ । भविष्य मे यह पत्रिका अपने उद्देश्य में सफल हो, ऐमी कामना करता हूँ। मटरूमल बैनाडा अागरा मने तो कई बार लोगों से जिकर किया है कि अनेकान्त जैमा पत्र प्रकाशित होना ही चाहिये, आज पुनः इसे प्रकाशित होते देखकर हृदय में जो सन्तोप प्रकट हा है उमे मैं लिख नहीं सकता हूँ। प्रवागक, व्यवस्थापक तथा सहायक महानुभाव निसन्देह धन्यवाद के पात्र हैं। कामताप्रसाद शास्त्री, काव्यतीर्य डोंगरगढ़ (दुर्ग) म०प्र० प्रकाशक-प्रेमचन्द, वीर मेवा मन्दिर के लिए नया हिन्दुस्तान प्रेम, दिल्ली में मुद्रित
SR No.538015
Book TitleAnekant 1962 Book 15 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1962
Total Pages331
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size18 MB
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