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________________ प्रिय भाई छोटेलालजी, छा छौरालाल जैन का एक पत्र • सादर सस्नेह जय जिनेन्द्र | प्राज कोई ४-५ वर्षों के पश्चात् 'अनेकान्त' पत्रिका के दर्शन पाकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है। वीर-सेवा-मन्दिर के सम्बन्ध में जो विरोध व अव्यवस्था के समाचार देखने सुनने को मिल रहे थे, उनसे तो यह प्राणा भी नहीं रही थी कि इस उपयोगी पत्रिका के अभी पुनः दर्शन हो सकेंगे । आप इस पत्रिका को तथा संस्था को जीवित रखने और पुष्ट बनाने का जो प्रयास व त्याग सदैव करते आये हैं, उसके बल पर एक आशा की किरण तो अवश्य थी । किन्तु आपके स्वास्थ्य को देखते हुए वह आशा की किरण भी विस्तृत अधकार में विलीन मी हो रही थी। ऐसी परि स्थिति में जो प्रापने पत्रिका को पुनः जीवन प्रदान करने का माहस व संकल्प किया, उसके लिये आपके धौर श्री प्रेमचन्दजी के प्रदम्य उत्साह की जितनी प्रशंसा की जाय, थोड़ी है। इस अंक में प्रस्तुत सामग्री भी पत्रिका की पूर्व प्रतिष्ठा के अनुकूल है। डा० प्रादिनाथजी उपाध्ये जैसे अनुभवी और प्रख्यात विख्यान का पत्रिका के सम्पादकों में नाम देखकर भविष्य के लिये बड़ी आशा बंध रही है । मुझे भरोसा है कि आप अब ऐसी योजना बनाने में सफल होंगे जिससे संस्था और उसकी वह पत्रिका आगे जैन माहित्य व शोध-खोज के महत्वपूर्ण कार्य मे विभिन्न रूप से क्रियाशील रह सके । १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता ५००) श्री रामजीवनदास जी मरावगी, कलकत्ता ५०० ) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता ५००) श्री रा० बा० हरखचन्द जी जैन, रॉबी २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पापा), कलकत्ता २२१) श्री म०मि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी २५०) श्री वंशीधर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता २५०) श्री जुगमन्दिरदास जी जैन कनकता २५०) श्री सिंघई कु दनलाल जी, कटनी, २२०) श्री महावीरप्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता २५०) श्री बी० प्रा० मी० जैन, कलकत्ता आपका हीरालाल जंग, जबलपुर वीर सेवा मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक २५०) श्री रामस्वरूप जी नेनिचन्द, कलकत्ता २५० ) श्री बजरंगलाल जी चन्द्रकुमार, कलकत्ता १५०) श्री चम्पालाल जी सरावगी, कलकत्ता १५०) श्री जगमोहन जी मरावगी, कलकत्ता १५०) श्री कस्तूरचन्द जी आनन्दीलाल, कलकत्ता १५०) श्री कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता १५०) श्री प० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता १५० ) श्री मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता १५०) श्री प्रतापमल जी मदनलाल जी पांड्या, कलकत्ता १५०) श्री भागचन्द जी पाटनी, कलकत्ता १५०) श्री शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता १२०) श्री सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ, कलकत्ता १००) श्री रूपचन्द जी जैन, कलकता १००) श्री बद्रीप्रसाद जी आत्माराम, पटना
SR No.538015
Book TitleAnekant 1962 Book 15 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1962
Total Pages331
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size18 MB
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