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किरण ६
जैनप्रन्थ प्रशस्तिसंग्रह
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स्वेणं पसभणंगड।
संतोसु तह य हरिराय पुण । हुट जसपाल वियक्खणु बीयउ,
थिरु अरुह-धम्मु जा महिवलए, पुणु रउपालु पसिड तीयड ।
सायर-जलु जा सुर-सरि मिलिएं। तुरियड चंदपालु सिरि-मंदिर,
कणयदि जाम वसुहा प्रचलु, पंचमु सुभ विहराज सुहकरु ।
वासरहो छ?उ ताम कुलु। बट्टड पुरणपालु पुण्णायरु,
जो पढइ पढावह गुण-भरिओ, सत्तमु बाहहु याम गुणायक।
जो लिहइ लिहावद वर-चरित्रो । अट्टमुरूवएउ रूवउ,
संताण-वुड्ढि विथरइ तहो, एहि भट्ठ-सुहि-चिरु-वड्ढ ।
मणवंछिउ पूरह सबलु सुहो । भाइय-मत्तिज्जय-संजुत्तर,
बाहुबलि-सामि गुरु-गण-संभरण, यंदड वासाधर गुण जुत्तइ ।
महुणामउ जम्म-जरा-मरणु । जं हर्ड पच्छिउ पसमिय गब्वें,
पत्ता-जो देह लिहावइ वि पत्तहो, वायह सुणइ सुणावह । वासाहर-संघाहिव-भब्वें।
सो रिद्धि-सिद्धि-सपय नहिवि, परछह सिव-पउ पावह ॥ तहो वयण मई श्रारिसु दिट्ठउ,
श्रीमत्प्रभाचन्द्र-पद-प्रसादादवासबुया धनपालदरः । जंगणहर सुअ-केवलि-सिटुउ ।
श्रीसाधुवासाधर-नामधेयं स्वकाम्य-सौधे जशो-करोति ॥ सो पेच्छिवि मइ पाइय कन्वें,
इति बाहुबलि-चरित्रं समाप्तम् । विरयड बुह-धणवाले भन्।
(आमेर-भंडार, प्रति सं० १५८६ सिरि-बाहुबलि-चरिउ जं जाणिलं, बक्खण छदु तक्कु ण वियाणि ।
ऐ० पन्नालाल सरस्वती भवनको प्रतिसे संशोधित) बत्ता-खक्षण-मत्ता-छंद-गण-होणाहिउ जं भणिउ मई। २० चंदप्पह-चरिउ (चन्द्रप्रभचरित)भ० यशःकीर्ति
त खमउ सयलु प्रवराहु वाएसरि-सिवहं संगहं ॥३॥ आदिभाग विक्कम-गरिंद-अंकिय-समए,
णमिऊण विमल-केवल-लच्छी-सब्वंग-दिण्ण-परिरंभ। चटदह-सय-संवाछरहिं गए।
लोयालोय-पयाम चंदप्पह-सामियं सिरसा ॥१॥ पंचास-वरिस-चउ-हिय-गणि,
तिक्काल-बमाणं पंचवि परमेटि : ति-सुखोऽहं । वहसहहो सिय-तेरसि सु-दिणि ।
तह नमिऊण भणिस्सं चंदप्पह-सामिणो चरियं ॥२॥ साईणक्खसे परिट्टियई,
धत्तावरसिद्धि-जोग-णामें ठियई।
जिण-गिरि-गुह-णिग्गय सिव-पह-संगय.सरसह-सरिसुह-कारिणिय ससि-वासरे रासि-मयंक-तुले,
महुहोउ पसरिणय गुणहि रवरिणय तिहुवण-अण-मयहारिणिय गोलग मुत्ति-सुक्कै सबने ।
हुबड-कुल-नयलि पुप्फयंत, चउवग्ग-सहिउ-णव-रस-भरिउ,
बहु देउ कुमरसिंहवि महंत । बाहुबलिदेव-सिद्धहो चरियउ ।
तहो सुउ हिम्मलु गुण-गण-विसालु, गुज्जर पुरवाड-वंसतिबर,
मुपमिद्धत पभणइ सिद्धपालु । सिरि-सुहड-सेट्टि गुण-गणणिजउ |
जसकित्ति विबुह-करि सुहु पसाउ, तहो मणहर छाया गेहणिय,
महु पूरहि पाइय कन्व-भाउ । सुहडाएवी णामें भणिय ।
तं निसुणिवि सो भासेह मंदु, तहो उवरि जाउ बहु-विणय-जुनो,
पंगलु तोडेसह केम चंदु। धणवालु वि सुउ णामेण हुओ ।
इह हुइ बहु गणहर णाणवंत, तहो विरिण तणुब्भव विउल-गुण,
जिण-बयण-रसायण विस्थरंत ।